facebookmetapixel
अमेरिका-चीन में ट्रेड फ्रेमवर्क को लेकर बनी सहमति, ट्रंप-शी मुलाकात का रास्ता साफइन्वेस्ट यूपी के बाद योगी सरकार का नया फैसला, जिला उद्योग केंद्रों को कॉरपोरेट रूप देने की योजनाQ2 Results: इस हफ्ते 300 से ज्यादा कंपनियों के नतीजे, लिस्ट में अदाणी ग्रुप की 3 कंपनियां; देखें पूरी लिस्टPSU Stock: रेलवे पीएसयू कंपनी को मिला ₹168 करोड़ का ऑर्डर, सोमवार को शेयर में दिख सकता है तगड़ा एक्शनLenskart 31 अक्टूबर को लॉन्च करेगा IPO, 2,150 करोड़ रुपये जुटाने का है लक्ष्यDividend Stocks: अगले हफ्ते Infosys, CESC और Tanla Platforms शेयरधारकों को देंगे डिविडेंड, देखें पूरी लिस्टStock Market Outlook: Q2 नतीजों से लेकर फेड के फैसले और यूएस ट्रेड डील तक, ये फैक्टर्स तय करेंगे बाजार की चालअनिल अग्रवाल की Vedanta ने $500 मिलियन बांड जारी कर कर्ज का बोझ घटायाMaruti Suzuki के दम पर भारत का वाहन निर्यात 18% बढ़ा: SIAMअदाणी की फंडिंग में US इंश्योरर्स की एंट्री, LIC रही पीछे

एक्सिस बैंक को एक्सिस फाइनैंस के भविष्य पर RBI से स्पष्टीकरण का इंतजार

चौधरी ने कहा, ‘फिर हमें सोचना होगा कि हम इसका विलय करते हैं, आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के लिए जाते हैं या अपनी शेयरधारिता निर्धारित स्तर से नीचे करने का रास्ता अपनाते हैं।’

Last Updated- December 03, 2024 | 10:42 PM IST
Axis Bank sets its sights on acquisition financing, awaits RBI guidelines

भारत के निजी क्षेत्र का तीसरा सबसे बड़ा ऋणदाता एक्सिस बैंक अपने पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी एक्सिस फाइनैंस के भविष्य को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के स्पष्टीकरण का इंतजार कर रहा है। नियामक का प्रस्ताव है कि किसी बैंक समूह से एक ही इकाई को ​कोई विशेष स्वीकार्य कारोबार करने की अनुमति मिल सकती है।

इसके तहत बैंक में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) का विलय करना, सार्वजनिक सूचीबद्धता करना या एनबीएफसी में शेयरधारिता घटाकर निर्दिष्ट सीमा से कम करने के विकल्प शामिल हैं।

ऐक्सिस बैंक के प्रबंध निदेशक या मुख्य कार्याधिकारी अमिताभ चौधरी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘नियामक से यह संकेत मिला था कि वह ऐक्सिस बैंक के एनबीएफसी में इक्विटी बढ़ाने को पसंद नहीं करता। इस पर हमने कहा कि ऐसी स्थिति आ गई थी कि हमें अन्य शेयरधारक को शामिल करना पड़ सकता है। ऐसे में हम देखते हैं कि हमारे पास कितना समय है।’

चौधरी ने कहा, ‘फिर हमें सोचना होगा कि हम इसका विलय करते हैं, आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के लिए जाते हैं या अपनी शेयरधारिता निर्धारित स्तर से नीचे करने का रास्ता अपनाते हैं।’

रिजर्व बैंक के अक्टूबर में जारी प्रारूप परिपत्र के अनुसार एक बैंक समूह में विभिन्न इकाइयां एक जैसा व्यवसाय या वित्तीय क्षेत्र के किसी नियामक से उसे जारी रखने/अधिग्रहण के लिए उसी श्रेणी में लाइसेंस/ प्राधिकरण नहीं रख सकती हैं।

इसमें यह भी कहा गया कि किसी बैंक और उसकी सहायक कंपनियों के बीच ओवरलैपिंग वाली ऋण गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस मसौदे पर प्रतिक्रिया 20 नवंबर तक दी जानी था। इस पर बैंकों ने अपनी प्रतिक्रिया दे दी है। इस क्रम में बैंकों ने व्यक्तिगत स्तर और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) के जरिये प्रतिक्रिया दे दी है।

First Published - December 3, 2024 | 10:42 PM IST

संबंधित पोस्ट