भारत के निजी क्षेत्र का तीसरा सबसे बड़ा ऋणदाता एक्सिस बैंक अपने पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी एक्सिस फाइनैंस के भविष्य को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के स्पष्टीकरण का इंतजार कर रहा है। नियामक का प्रस्ताव है कि किसी बैंक समूह से एक ही इकाई को कोई विशेष स्वीकार्य कारोबार करने की अनुमति मिल सकती है।
इसके तहत बैंक में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) का विलय करना, सार्वजनिक सूचीबद्धता करना या एनबीएफसी में शेयरधारिता घटाकर निर्दिष्ट सीमा से कम करने के विकल्प शामिल हैं।
ऐक्सिस बैंक के प्रबंध निदेशक या मुख्य कार्याधिकारी अमिताभ चौधरी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘नियामक से यह संकेत मिला था कि वह ऐक्सिस बैंक के एनबीएफसी में इक्विटी बढ़ाने को पसंद नहीं करता। इस पर हमने कहा कि ऐसी स्थिति आ गई थी कि हमें अन्य शेयरधारक को शामिल करना पड़ सकता है। ऐसे में हम देखते हैं कि हमारे पास कितना समय है।’
चौधरी ने कहा, ‘फिर हमें सोचना होगा कि हम इसका विलय करते हैं, आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के लिए जाते हैं या अपनी शेयरधारिता निर्धारित स्तर से नीचे करने का रास्ता अपनाते हैं।’
रिजर्व बैंक के अक्टूबर में जारी प्रारूप परिपत्र के अनुसार एक बैंक समूह में विभिन्न इकाइयां एक जैसा व्यवसाय या वित्तीय क्षेत्र के किसी नियामक से उसे जारी रखने/अधिग्रहण के लिए उसी श्रेणी में लाइसेंस/ प्राधिकरण नहीं रख सकती हैं।
इसमें यह भी कहा गया कि किसी बैंक और उसकी सहायक कंपनियों के बीच ओवरलैपिंग वाली ऋण गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस मसौदे पर प्रतिक्रिया 20 नवंबर तक दी जानी था। इस पर बैंकों ने अपनी प्रतिक्रिया दे दी है। इस क्रम में बैंकों ने व्यक्तिगत स्तर और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) के जरिये प्रतिक्रिया दे दी है।