रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के मुताबिक, मार्च 2025 में बैंकों का नॉन-फूड क्रेडिट सिर्फ 12% की दर से बढ़ा है। यह डेटा 21 मार्च को खत्म हुई पखवाड़े तक का है। पिछले साल इसी समय लोन ग्रोथ 16.3% थी, यानी इस बार इसमें साफ़ गिरावट आई है। यह आंकड़े किसी भी बैंक और नॉन-बैंक के मर्जर को अलग रखकर निकाले गए हैं।
RBI ने ये आंकड़े देश के 41 चुनिंदा कमर्शियल बैंकों से जुटाए हैं, जो कुल नॉन-फूड लोन का करीब 95% हिस्सा देते हैं। रिपोर्ट में कृषि, इंडस्ट्री, सर्विस और पर्सनल लोन जैसे मुख्य क्षेत्रों की स्थिति को दिखाया गया है।
कृषि और इंडस्ट्री में क्या रहा हाल?
कृषि और उससे जुड़े कामों को दिया गया लोन इस बार सिर्फ 10.4% बढ़ा, जबकि पिछले साल इसी समय यह बढ़त 20% थी। इंडस्ट्री सेक्टर को दिया गया लोन इस बार भी 8% बढ़ा, जो पिछले साल की रफ्तार के बराबर है। इंडस्ट्री के भीतर पेट्रोलियम, कोयला, धातु, मशीनरी और कंस्ट्रक्शन जैसे क्षेत्रों में लोन ग्रोथ बेहतर रही, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में लोन ग्रोथ कुछ धीमा पड़ा है। सर्विस सेक्टर में बैंक लोन इस साल 13.4% बढ़ा है, जबकि पिछले साल इसी समय यह बढ़त 20.8% थी। RBI ने बताया कि इस गिरावट की बड़ी वजह NBFCs यानी नॉन-बैंकिंग कंपनियों को दिए जाने वाले लोन में आई कमी है। हालांकि प्रोफेशनल सर्विसेज और ट्रेड सेक्टर में लोन ग्रोथ अभी भी अच्छी बनी हुई है।
पर्सनल लोन में भी गिरावट
लोगों को मिलने वाले पर्सनल लोन भी अब धीरे बढ़ रहे हैं। इस साल पर्सनल लोन सिर्फ 14% बढ़ा है, जबकि पिछले साल यह 17.6% बढ़ा था। इसमें सबसे ज्यादा गिरावट गाड़ियों के लिए मिलने वाले लोन (vehicle loans), क्रेडिट कार्ड खर्च और ‘अन्य पर्सनल लोन’ कैटेगरी में आई है। RBI की रिपोर्ट से साफ़ है कि सभी सेक्टरों में बैंक लोन की रफ्तार धीमी पड़ी है। इसका मतलब यह हो सकता है कि बैंक अब लोन देने में थोड़ा सतर्क हो रहे हैं, और लोग भी महंगाई या आर्थिक हालात को देखकर लोन लेने से बच रहे हैं।