आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने मंगलवार को जबरदस्त ढंग से वापसी दर्ज कराई। टीडीपी व उसके सहयोगियों का गठबंधन विधान सभा की 175 सीटों में से 165 सीटों पर बढ़त बनाए हुए था। खबर लिखे जाने तक यह गठबंधन विधान सभा में 44 सीटें जीत चुका था। हालांकि टीडीपी ने 136 सीटों पर अहम बढ़त बनाई हुई थी।
टीडीपी के सहयोगियों ने भी बढ़त बनाई हुई थी। टीडीपी की सहयोगी तेलुगु फिल्म स्टार पवन कल्याण की जनसेना पार्टी ने 21 सीटों और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 8 सीटों पर बढ़त बनाई हुई थी। दूसरी ओर युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) ने मुश्किल से 10 जीटों पर बढ़त बनाई हुई थी, जबकि इस दल ने 2019 में जबरदस्त बहुमत (151 सीटें) हासिल थीं। बीते विधानसभा चुनाव में टीपीडी ने केवल 23 सीटें और जनसेना ने केवल एक सीट पर बढ़त बनाए हुई थी।
राज्य एन. चंद्रबाबू नायडू की वापसी की तैयारी में है। वे चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की ओर अग्रसर हैं। आंध्र प्रदेश को 2014 में विभाजित किए जाने के बाद वे दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। सूचना यह है कि वे 9 जून को शपथ लेने की तैयारी कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश में लोक सभा की 25 सीटों में से टीडीपी ने 16 सीटों पर बढ़त बना रखी थी और राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करने वाली प्रमुख शक्ति बन गई है (भाजपा तीन सीटों और जन सेना दो सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।)
नायडू कुप्पम विधान सभा सीट पर करीब 40,000 मतों से जीत दर्ज करने के करीब थे। उन्होंने वाईएसआरसीपी के केआरजे भरत के खिलाफ जबरदस्त बढ़त बनाई। जनसेना प्रमुख के पवन कल्याण ने पिथापुरम विधानसभा सीट को 70,279 मतों के अंतर से जीता। दूसरी तरफ वाईएसआरसीपी के प्रमुख वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने पुलिवेंदुला विधान सभा क्षेत्र से अपने प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ 61,700 वोटों की बढ़त बनाई हुई थी। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी टीडीपी के एमएलसी मारेड्डी रवींद्रनाथ रेड्डी के खिलाफ मजबूत बढ़त बना ली थी।
मत प्रतिशत के मामले में रोचक तथ्य यह था कि टीडीपी ने 45.57 फीसदी मत हासिल किया जबकि उसने 2019 में 39.17 फीसदी मत हासिल किए थे। दूसरी तरफ वाईएसआरसीपी के वोट प्रतिशत में जबरदस्त गिरावट आई। वाईएसआरसीपी का वोट 49.95 फीसदी से गिरकर 2024 के विधानसभा चुनाव में 39.45 फीसदी पर आ गया। इस मामले में प्रमुख रूप से लाभ में रहने वाला अन्य दल भाजपा था। भाजपा के वोट की हिस्सेदारी 0.84 फीसदी से बढ़कर 2.82 फीसदी हो गई।
रेड्डी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘हम लोगों की विभिन्न योजनाओं के जरिये मदद कर रहे थे। हमने लोगों के लिए अच्छा कार्य किया था लेकिन हम चुनाव में हार गए।’ जनसेना और कल्याण का प्रदर्शन निश्चित रूप से शानदार रहा। वे एक तरह से ‘मैन ऑफ मैच’ थे। उन्होंने 21 सीट पर चुनाव लड़ा और सभी सीट जीत गए। उनकी सफलता की दर 100 फीसदी है। कल्याण के भाई वरिष्ठ ऐक्टर चिरंजीवी हैं।
चिरंजीवी ने कहा, ‘तुम निश्चित रूप से इस चुनाव का पासा पलटने वाले रहे। तुम्हारा प्रदर्शन सबसे अच्छा (मैन ऑफ द मैच) रहा। तुम्हारी आंध्र प्रदेश के लोगों के लिए अत्यधिक चिंता, दूरदृष्टि, राज्य के विकास के लिए हृदय से इच्छा, तुम्हारे बलिदान, तुम्हारी राजनीतिक रणनीतियों के शानदार परिणाम सामने आए। मुझे सही मायनों में तुम पर गर्व है! दिल से बधाई।’
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार वाईएसआरसीपी के खिलाफ इस चुनाव में कई कारक सक्रिय थे। इसमें शासन और आधारभूत ढांचे के विकास से अधिक जनकल्याण योजनाओं पर अत्यधिक ध्यान दिया जाना था। दूसरी तरफ नायडू और कल्याण ने लोगों को यह समझाया कि वे राज्य में नौकरियां और औद्योगिक विकास लेकर आएंगे। इस गठजोड़ ने जनकल्याण के साथ-साथ विकास के मॉडल की जोरदार ढंग से पैरवी की थी।
वाईएसआरसीपी के खिलाफ काम करने वाला अन्य कारक यह था कि वे राज्य बनने के 10 साल बाद भी राज्य की राजधानी पेश नहीं कर पाए थे। राज्य के विभाजन के 10 साल के बाद भी आंध्र प्रदेश की राजधानी नहीं थी। लगता यह है कि इसने मतदाताओं को प्रभावित किया।