साल 2020 के बिहार विधान सभा चुनावों में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने नालंदा लोक सभा की सात में पांच विधान सभा सीटों पर जीत दर्ज की थी और जदयू की सहयोगी रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खाते में एक सीट आई थी।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नालंदा से ही आते हैं और साल 2004 के लोक सभा चुनाव में वह यहीं से सांसद भी थे। नीतीश की लोकप्रियता के कारण ही जदयू का दबदबा लगातार इतने वर्षों से इस सीट पर बना हुआ है।
जदयू नेता कौशलेंद्र कुमार लगातार तीन बार से यहां से सांसद बन रहे हैं। कौशलेंद्र पहली बार साल 2009 में जीते थे उसके बाद साल 2014 और 2019 के चुनावों में भी वह यहां जीतते रहे। नीतीश की तरह कुर्मी जाति से आने वाले कौशलेंद्र के लिए यहां कुर्मी मतदाताओं की संख्या करीब एक चौथाई है।
इस बार यानी साल 2024 के लोक सभा चुनाव में कौशलेंद्र के सामने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के संदीप सौरव हैं। नालंदा उन तीन सीटों में से एक हैं जहां से वाम दल राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। 37 वर्षीय सौरव जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि ली है और उन्होंने साल 2020 के विधान सभा चुनावों में पटना की पालीगंज सीट से चुनाव जीता था।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) का 1980 के दशक में इस सीट पर जबरदस्त प्रभाव था और पार्टी ने यहां से 1980, 1984 और 1991 के चुनावों में जीत हासिल की थी। मगर बिहार की राजनीति में प्रमुख कुर्मी नेता के तौर पर नीतीश कुमार के उदय के साथ यह सीट जदयू के पास आ गई। जदयू से पहले यह समता पार्टी के पास ही थी।
समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडीस ने साल 1996, 1998 और 1999 के चुनावों में समता पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर यहां से जीत दर्ज की थी।