उत्तर प्रदेश में आपसी रार को परे रखते हुए आखिरकार विपक्षी इंडिया गठबंधन के दो अहम दलों कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच लोकसभा चुनावों में सीटों के बंटवारे को लेकर सहमति बन गयी है। लंबे समय से दोनों पार्टियों के बीच सीटों, प्रत्याशियों को लेकर जद्दोजहद चल रही थी। मंगलवार देर रात कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच हुई फोन पर बातचीत ने गठबंधन की गांठ खोलते हुए सीटों का बंटवारा आसान कर दिया।
बुधवार सपा और कांग्रेस की संयुक्त प्रेस वार्ता में गठबंधन के तहत लड़ने और सीटों की संख्या को लेकर घोषणा की गयी। समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के लिए 17 लोकसभा सीटें छोड़ने पर सहमति जता दी है। कांग्रेस ने सपा को मध्य प्रदेश में एक खजुराहो लोकसभा सीट समझौते में दी है। मध्य प्रदेश में बाकी सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए सपा प्रचार करेगी। राहुल गांधी की न्याय यात्रा के उत्तर प्रदेश से मध्य प्रदेश की सीमा में प्रवेश करने के पहले ही सपा मुखिया अखिलेश भी इसमें शामिल हो सकते हैं।
उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन की पहली रैली मार्च के पहले सप्ताह में वाराणसी में की जा सकती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय और सपा अध्यक्ष नरेश उत्तम ने बताया कि इंडिया गठबंधन में रायबरेली, अमेठी, कानपुर, फतेहपुर सीकरी, देवरिया, महराजगंज, वाराणसी, प्रयागराज, बाराबंकी, सीतापुर, मथुरा, गाजियाबाद, बुलंदशहर, झांसी, अमरोहा, बांसगांव और सहारनपुर लोकसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे। बाकी 63 लोकसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी मैदान में होंगे। सभी सीटों पर दोनों दलों के नेता साझा प्रचार करेंगे। सपा अपने कोटे की 63 लोकसभा सीटों में कुछ सीटें छोटे दलों जैसे अपना दल कमेरावादी और चंद्रशेखर रावण की आजाद समाज पार्टी को दे सकती है।
दरअसल कांग्रेस और सपा के बीच पश्चिमी यूपी की कई लोकसभा सीटों को लेकर पेंच फंसा हुआ था। सपा मुखिया ने रालोद के कोटे में पहले दी जा चुकी मथुरा, बुलंदशहर व हाथरस लोकसभा सीटें कांग्रेस को देने की बात कही थी जबकि कांग्रेस पर अमरोहा, बिजनौर और मुरादाबाद जैसी मुस्लिम बहुल सीटें मांग रही थी। अब इस बात पर सहमति बनी कि कांग्रेस सपा की सिटिंग सीट मुरादाबाद पर दावा नहीं करेगी और उसे अमरोहा सीट दी गयी है।
सपा और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे में लखीमपुर लोकसभा सीट को लेकर भी खासी जोर आजमाइश हुयी। कांग्रेस इस सीट पर हाल ही में शामिल हुए सपा के राष्ट्रीय महासचिव रवि प्रकाश वर्मा की बेटी पूर्वी वर्मा को लड़ाना चाहती थी जबकि अखिलेश यादव यहां से अपने खास उत्कर्ष वर्मा का नाम बहुत पहले घोषित कर चुके थे। इस सीट पर भी कांग्रेस ने अपना दावा छोड़ दिया हैं।
गौरतलब है कि इंडिया गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर अखिलेश यादव के अड़ियल रवैये से उनकी ही पार्टी के नेताओं में नाराजगी बढ़ रही थी। पहले राष्ट्रीय लोकदल के अलग होने और उसके बाद कांग्रेस से तनातनी की खबरों के बीच सपा के तमाम नेता असहज हो रहे थे। बिना सहयोगी दलों को विश्वास में लिए जिस तरह से अखिलेश यादव लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी घोषित करते जा रहे उससे भी उनकी ही पार्टी के नेताओं में नाराजगी बढ़ रही थी।
हाल के दिनों में सपा के दो राष्ट्रीय महासचिवों स्वामी प्रसाद मौर्य और सलीम शेरवानी ने पार्टी छोड़ी तो सहयोगी दल व सपा के ही सिंबल पर विधायक अपना दल कमेरावादी की पल्लवी पटेल ने नाराजगी जताते हुए राहुल गांधी की न्याय यात्रा में हिस्सा लिया। एक और राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज के भी सपा छोड़ने की जोरो से चर्चा चल रही थी।
उधर बीते कई दिनों से सपा मुखिया अखिलेश यादव को प्रदेश के अलग-अलग फिरकों के उलेमा, धर्मगुरु व मौलाना चिट्टी लिख कर कांग्रेस के साथ गठबंधन पर उनके रवैये पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। मुस्लिम उलेमाओं के कई प्रतिनिधिमंडल सपा मुखिया से मिल कर साफ कर चुके थे कि कांग्रेस का साथ छोड़ने की दशा में अल्पसंख्यक मतों का बड़ा हिस्सा नहीं मिलेगा।
प्रदेश के लगभग सभी लोकसभा सीटों पर सपा के संभावित प्रत्याशी भी अखिलेश यादव से यह आशंका जता चुके थे कि कांग्रेस से अलग लड़ने पर मुस्लिम मतों से पूरी तरह से हाथ धोना पड़ सकता है। राहुल गांधी की न्याय यात्रा के यूपी में प्रवेश करने बाद उसे मिले अल्पसंख्यकों के जबरदस्त रिस्पांस के बाद सपा मुखिया बैकफुट पर गए और कांग्रेस को सम्मानजनक सीटें देने को तैयार हुए।