भारतीय स्टेट बैंक ने अपने अध्यक्ष दिनेश कुमार खारा के माध्यम से बुधवार को उच्चतम न्यायालय को जानकारी दी है कि 22,217 चुनावी बॉन्ड खरीदे गए और 1 अप्रैल, 2019 और 15 फरवरी, 2024 के बीच राजनीतिक दलों ने 22,030 चुनावी बॉन्ड भुनाए।
एसबीआई ने अपने हलफनामे में इसका जिक्र किया है। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार (मार्च 11) को एसबीआई को निर्वाचन आयोग के साथ चुनावी बॉन्ड का ब्योरा साझा करने का आदेश दिया था जिसके एक दिन बाद बैंक ने यह ब्योरा निर्वाचन आयोग के साथ साझा कर दिया।
हालांकि इस ब्योरे में प्रत्येक चुनावी बॉन्ड के विशिष्ट कोड का जिक्र नहीं है जिसका उपयोग कर पार्टी के हर चंदे का मिलान किया जा सकता है जिसे इसने डेटा के तौर पर हासिल किया है। एसबीआई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने इस बिंदु को सोमवार को उठाया था जब उन्होंने अदालत को बताया कि बैंक को चंदा देने वालों के विवरण और इसे भुनाने वालों के ब्योरे का मिलान करने में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जिन्हें अलग-अलग सूचना स्रोत के तौर पर संग्रह किया गया था।
उन्होंने सोमवार को अदालत से कहा था, ‘हमें आपके आदेश का पालन करने के लिए थोड़े और समय की आवश्यकता है।’ इसके जवाब में, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत के निर्देशों के मुताबिक बैंक को ‘मिलान’ करने की आवश्यकता नहीं है बल्कि उसे केवल जानकारी साझा करना है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि बैंक के पास केवाईसी रिकॉर्ड के सबूत के रूप में सभी आवश्यक विवरण थे।
सोमवार को अदालत ने एसबीआई द्वारा चुनावी बॉन्ड का ब्योरा देने के लिए थोड़ा अधिक समय मांगने पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि बैंक को निर्वाचन आयोग को 12 मार्च (मंगलवार) को कार्यालय का समय समाप्त होने से पहले जानकारी देनी होगी।
इसके साथ ही चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने के लिए अधिक समय मांगने की एसबीआई की याचिका खारिज हो गई। एसबीआई ने 12 अप्रैल, 2019 से लेकर 15 फरवरी, 2024 तक जारी चुनावी बॉन्ड का ब्योरा देने के लिए 30 जून 2024 तक का समय मांगा था। निर्वाचन आयोग 15 मार्च शाम 5 बजे तक अपनी वेबसाइट पर इसके ब्योरे को प्रकाशित करेगा।
बुधवार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि निर्वाचन आयोग को एसबीआई से चुनावी बॉन्ड से जुड़े डेटा मिले हैं और इसे समय पर सार्वजनिक किया जाएगा। अपने हलफनामे में एसबीआई ने कहा कि बैंक के पास तैयार रिकॉर्ड हैं जिनमें खरीद की तारीख, मूल्यवर्ग और खरीदार का नाम दर्ज किया गया था, और (राजनीतिक दलों के संबंध में) पैसा लिए जाने की तारीख और भुनाए गए बॉन्ड के मूल्यवर्ग दर्ज किए गए थे।
बयान में कहा गया है कि डेटा को दो पीडीएफ दस्तावेजों के साथ एक पेन ड्राइव में निर्वाचन आयोग को सौंप दिया गया है जिसमें पासवर्ड है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को संबोधित एक पत्र के साथ मंगलवार को पासवर्ड वाला एक लिफाफा दिया गया। इस पत्र में कहा गया है, ‘जिन बॉन्ड को पंद्रह दिनों की वैध अवधि के भीतर राजनीतिक दल द्वारा नहीं भुनाया गया उन्हें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में स्थानांतरित कर दिया गया है।’
एसबीआई अध्यक्ष ने अदालत को बताया कि बैंक ने ये रिकॉर्ड ‘भारतीय निर्वाचन आयोग को डिजिटल रूप (पासवर्ड संरक्षित) में हाथों में सौंपा है।’ बैंक ने कहा कि ये डेटा 12 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 के बीच खरीदे और भुनाए गए बॉन्ड से जुड़े हैं। 1 अप्रैल से 11 अप्रैल 2019 के बीच खरीदे गए बॉन्ड की कुल संख्या 3,346 है और इस अवधि के दौरान भुनाए गए बॉन्ड की कुल संख्या 1609 है।
वहीं 12 अप्रैल, 2019 और 15 फरवरी, 2024 के बीच, खरीदे गए बॉन्ड की कुल संख्या 18,871 है और भुनाए गए बॉन्ड की कुल संख्या 20,421 है। उच्चतम न्यायालय ने 15 फरवरी को चुनावी बॉन्ड योजना को ‘असंवैधानिक’ और ‘मनमाना’ बताते हुए रद्द कर दिया था।