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रिपोर्ट के अनुसार, बीते वर्ष, सभी ई-किराना ऑर्डर में से दो-तिहाई से अधिक और ई-रिटेल खर्च का दसवां हिस्सा इन मंचों पर हुआ।

Last Updated- March 27, 2025 | 6:03 PM IST
quick commerce

देश में त्वरित वाणिज्य (क्विक कॉमर्स) यानी कुछ ही मिनटों में सामान पहुंचाने की सुविधा देने वाली इकाइयां देश में उपभोक्ताओं की खरीदारी के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव ला रही हैं। बीते वर्ष इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सभी किराना ऑर्डर में से दो-तिहाई से अधिक और ‘ई-रिटेल’ खर्च का दसवां हिस्सा त्वरित वाणिज्य से जुड़ी इकाइयों के मंच पर हुआ। फ्लिपकॉर्ट और बेन एंड कंपनी की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।

$60B का हो गया भारत का E-Retail

भारत में 2025 में ऑनलाइन खरीदारी के रुख पर फ्लिपकार्ट-बेन की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश पिछले एक दशक में खुदरा क्षेत्र में बड़ा केंद्र बन गया है और 2024 में वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा खुदरा बाजार बन गया है। भारतीय ई-रिटेल बाजार का सकल वस्तु मूल्य लगभग 60 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। इसके साथ यह ऑनलाइन खरीदारी के लिहाज से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र बन गया है।
हालांकि, निजी खपत में कमी से 2024 में ई-रिटेल क्षेत्र में वृद्धि 20 प्रतिशत के ऐतिहासिक उच्चस्तर से 10 से 12 प्रतिशत पर आ गयी। लेकिन 2025 में त्योहारों के दौरान स्थिति बदलने की उम्मीद है। एक अनुमान के अनुसार, ई-रिटेल खंड अगले छह साल में 18 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के साथ 170 से 190 अरब डॉलर जीएमवी पर पहुंच सकता है।

2030 तक होगी 40% की ऐतिहासिक वृध्दि

रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक फटाफट सामान पहुंचाने वाली इन इकाइयों में सालाना 40 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने की उम्मीद है। इसकी वृद्धि को विभिन्न श्रेणियों, भौगोलिक क्षेत्रों और ग्राहक खंड में विस्तार से गति मिलेगी। इसमें कहा गया, ‘‘फटाफट सामान पहुंचाने (30 मिनट से कम समय में डिलिवरी) की सुविधा का शुरू होना पिछले दो वर्षों में देश के ई-रिटेल बाजार की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक रहा है।’’

देश के 2/3 किराना ऑर्डर अब Q-Com के जरिए

रिपोर्ट के अनुसार, बीते वर्ष, सभी ई-किराना ऑर्डर में से दो-तिहाई से अधिक और ई-रिटेल खर्च का दसवां हिस्सा इन मंचों पर हुआ। उल्लेखनीय है कि देश की फटाफट सामान पहुंचाने वाली वाणिज्य इकाइयां वैश्विक रुझानों को पीछे छोड़ते हुए तेजी से आगे बढ़ी हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इन इकाइयों में तेज वृद्धि का कारण उच्च जनसंख्या घनत्व और कम किराये वाले ‘डार्क स्टोर’ यानी पूरी तरह से ऑनलाइन ऑर्डर को पूरा करने वाले खुदरा दुकानों के नेटवर्क तक करीबी पहुंच शामिल हैं। इस क्षेत्र ने कई कंपनियों को आकर्षित किया है, जिसने उपभोक्ता मूल्य प्रस्ताव को समृद्ध किया है।

वैसे फटाफट सामान पहुंचाने की सुविधा की शुरुआत किराने के सामान से हुई थी। लेकिन अब इसके सकल वस्तु मूल्य या जीएमवी का 15 से 20 प्रतिशत सामान्य वस्तुएं, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक्स और परिधान जैसी श्रेणियों से आता है। महानगरों के अलावा छोटे शहरों में विस्तार ने भी वृद्धि को गति दी है। हालांकि, अब भी जीएमवी का बड़ा हिस्सा शीर्ष छह महानगरों से आता है।

रिपोर्ट में सुझाव- महानगरों से अब छोटे शहरों की ओर बड़े Q-Com कंपनियां

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया, ‘‘हालांकि, लाभदायक विकास को बनाए रखने के लिए, कंपनियों को प्रमुख महानगरों के अलावा अन्य बाजारों के लिए भी व्यापार मॉडल को अपनाना चाहिए, बढ़ती प्रतिस्पर्धा का प्रबंधन करना चाहिए और आपूर्ति श्रृंखलाओं को अनुकूलतम करना चाहिए…।’’

(एजेंसी इनपुट के साथ) 

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First Published - March 27, 2025 | 6:03 PM IST

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