अमेरिका में महंगाई फिर से तेज़ होने के संकेत मिले हैं और इसकी अहम वजह है हाल ही में लगाए गए भारी-भरकम आयात टैक्स यानी टैरिफ। SBI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने अपने ज्यादातर आयात पर औसतन 20% टैरिफ लागू कर दिया है, जिससे न केवल अमेरिकी बाजार में चीजें महंगी होंगी, बल्कि इसका असर भारत जैसे देशों के व्यापार और निर्यात पर भी पड़ सकता है।
SBI की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका हर साल करीब 3.26 ट्रिलियन डॉलर (₹272 लाख करोड़) का माल दूसरे देशों से आयात करता है। जब इस पूरे आयात पर 20% टैक्स लगाया जाएगा, तो यह अपने-आप में एक बहुत बड़ा झटका होगा। यह टैक्स एक तरह का सप्लाई झटका है, यानी सामानों की लागत पहले ही स्तर पर बढ़ जाती है, जो धीरे-धीरे कंज़्यूमर तक पहुंचती है। रिपोर्ट का कहना है कि इस टैक्स की वजह से अमेरिका की खुदरा महंगाई (CPI) तुरंत 2.4% तक बढ़ सकती है, और लंबी अवधि में भी 1.2% की बढ़ोतरी बनी रह सकती है।
SBI ने अनुमान लगाया है कि इस टैक्स की वजह से हर अमेरिकी परिवार को औसतन 2,400 डॉलर (करीब ₹2 लाख) का सालाना नुकसान होगा। गरीब परिवारों पर इसका बोझ सबसे ज्यादा होगा क्योंकि उनकी आमदनी का बड़ा हिस्सा महंगाई में चला जाएगा। वहीं, अमीर परिवारों को भले ही ज्यादा पैसे का नुकसान हो (करीब 5,000 डॉलर), लेकिन उनके जीवन स्तर पर इसका असर उतना गंभीर नहीं होगा।
देश का नाम | FY24 में निर्यात (अरब डॉलर) | FY25 में निर्यात (अरब डॉलर) | कितनी बढ़ोतरी हुई (%) | भारत के कुल निर्यात में हिस्सा (%) | कृषि सामान पर औसतन टैक्स (%) | बाकी सामान पर औसतन टैक्स (%) |
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अमेरिका (US) | 77.5 | 86.5 | 11.6% | 19.8% | 35.1% | 12.0% |
यूएई (UAE) | 35.6 | 36.6 | 2.8% | 8.4% | – | – |
नीदरलैंड | 22.4 | 22.8 | 1.8% | 5.2% | 35.1% | 12.0% |
ब्रिटेन (UK) | 12.9 | 14.5 | 12.6% | 3.3% | 35.1% | 12.0% |
चीन (China) | 16.7 | 14.3 | -14.5% (घटत) | 3.3% | 29.4% | 11.2% |
सिंगापुर | 14.4 | 13.0 | -10.0% (घटत) | 3.0% | 18.3% | 3.1% |
सऊदी अरब | 11.6 | 11.8 | 1.7% | 2.7% | 35.1% | 12.0% |
बांग्लादेश | 11.1 | 11.5 | 3.5% | 2.6% | 5.7% | 1.8% |
जर्मनी (Germany) | 9.8 | 10.5 | 7.1% | 2.4% | 35.1% | 12.0% |
ऑस्ट्रेलिया | 7.9 | 8.6 | 8.2% | 2.0% | 35.1% | 12.0% |
कुल | 437.1 | 437.5 | 0.1% | 100% | – | – |
स्रोत: SBI Research
अमेरिका, भारत के लिए सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है। FY25 में भारत के कुल निर्यात का 20% हिस्सा अमेरिका को गया, और FY26 के पहले कुछ महीनों में यह बढ़कर 22.4% हो गया है। भारत जिन 15 प्रमुख उत्पादों का निर्यात करता है, उनमें से 63% का निर्यात केवल अमेरिका को होता है। ऐसे में अगर अमेरिका में महंगाई बढ़ती है और टैक्स के चलते भारतीय सामान महंगे हो जाते हैं, तो भारत का निर्यात बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।
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रिपोर्ट में बताया गया है कि इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, जेम्स एंड ज्वेलरी और मशीनरी जैसे सेक्टर सबसे ज़्यादा प्रभावित होंगे। अभी तक इन सामानों पर अमेरिका कोई या बहुत कम टैक्स लगाता था – जैसे डायमंड, स्मार्टफोन और दवाओं पर टैक्स 0% था। लेकिन अब इन सभी पर सीधा 25% टैक्स लगेगा। इससे अमेरिका में भारतीय सामान महंगे हो जाएंगे और वहां के ग्राहक इन्हें खरीदने से बच सकते हैं।
SBI की रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका भारत की दवा ज़रूरतों का करीब 47% हिस्सा भारत से ही पूरा करता है। खासकर जेनेरिक दवाओं, कैंसर की दवाओं और एंटीबायोटिक्स में भारत की मजबूत पकड़ है। लेकिन अगर अमेरिका अब इन दवाओं को कहीं और से खरीदने या खुद बनाने की कोशिश करता है, तो इसमें कम से कम 3-5 साल का वक्त लगेगा। इस दौरान अमेरिकी बाजार में दवाओं की कमी और कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। भारत की बड़ी फार्मा कंपनियों की 40-50% कमाई अमेरिका से होती है, इसलिए अगर 25% टैक्स लंबे समय तक जारी रहा, तो उनकी कमाई में 2 से 8% तक की गिरावट आ सकती है।
अमेरिका ने जब चीन से सोलर पैनल खरीदने पर रोक लगाई थी, तब भारत से सोलर मॉड्यूल का निर्यात तेज़ी से बढ़ा। साल 2024 में भारत ने अमेरिका को 8 गीगावाट से ज्यादा सोलर मॉड्यूल भेजे। लेकिन अब अगर इन पर 25% टैक्स लग गया, तो अमेरिका के लिए ये सामान महंगे हो जाएंगे और वह दूसरे, टैक्स-फ्री देशों से सामान लेना पसंद करेगा। यही बात स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक सामानों के लिए भी लागू होती है।
SBI की रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका ने कई देशों के साथ अलग-अलग टैरिफ डील की है। वियतनाम को 20% टैक्स पर समझौता मिला है, लेकिन अगर किसी तीसरे देश से सामान वियतनाम के रास्ते भेजा गया, तो उस पर 40% टैक्स लगेगा। ब्रिटेन ने 10% टैक्स मान लिया है और बदले में अमेरिका ने ब्रिटेन को यह सुविधा दी कि वह अपने एयरक्राफ्ट इंजन और बीफ (गाय का मांस) अमेरिका को आसानी से बेच सकेगा। जापान और EU ने भी 15% टैरिफ पर सहमति जताई है।
रिपोर्ट का सुझाव है कि भारत के कुछ सेक्टरों – जैसे ऑटोमोबाइल, FMCG, इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्सटाइल – पर अमेरिका से आने वाले सामानों पर 15-20% तक का टैक्स (MFN ड्यूटी) लग रहा है। भारत सरकार अगर चाहे, तो इन टैक्स को थोड़ा कम करके अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में लचीलापन दिखा सकती है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार संबंध बेहतर हो सकते हैं।