भारत में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) से लेनदेन की संख्या10 से 15 साल में 100 अरब तक पहुंचने की संभावना है, लेकिन इसमें ऋण वृद्धि की अहम भूमिका होगी। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के मुख्य कार्याधिकारी दिलीप अस्बे ने कहा, ‘हम भारत में अगले 10 से 15 वर्षों में यूपीआई पर 100 अरब लेनदेन की संभावना देख रहे हैं। हम इसके पहले भी इस आंकड़े तक पहुंच सकते हैं। यह हासिल किए जाने योग्य आंकड़े हैं। इसमें ऋण वृद्धि की अहम भूमिका होने जा रही है।’
ग्लोबल फिनटेक फेस्ट में क्रेड के संस्थापक और उद्यमी कुणाल शाह द्वारा यूपीआई से लेनदेन के अगले लाखों के आंकड़े को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए अस्बे ने यह कहा। अस्बे ने यह भी कहा, ‘हमने यूपीआई पर क्रेडिट शुरू किया है और दो हफ्ते में हम इसे व्यावसायिक रूप से जारी करेंगे। मुझे लगता है कि छोटे और अक्सर लिए जाने वाले ऋण इस लक्ष्य को हासिल करने में मुख्य भूमिका निभाने जा रहे हैं।’एनपीसीआई के मुख्य कार्याधिकारी ने यह भी कहा कि इसके इस्तेमाल में फिनटेक अहम भूमिका निभाएगा।
उन्होंने कहा, ‘हमें विश्वास है कि रिकरिंग पेमेंट्स, मैंडेट क्यूआर, ईएमआई क्यूआर से इसका इस्तेमाल संचालित होगा। अभी यह थकाऊ प्रक्रिया है।’ यूपीआई के आंकड़ों के मुताबिक जून महीने में लेनदेन की संख्या 13.89 अरब थी। मई में यह संख्या 14.04 अरब थी।
फिनटेक के भविष्य को लेकर चर्चा के दौरान पाइन लैब्स के संस्थापक और सीईओ अमरीश राऊ ने कहा कि ऋण में वृद्धि पर 3 वजहें अधिकतम असर डाल सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘इनमें ऋण आपूर्ति की रफ्तार, ऋण की लागत और ऋण में भरोसा शामिल है। हमने यह यात्रा शुरू की है, लेकिन मुझे लगता है कि भारतीय यूजर ने अभी व्यक्तिगत और आर्थिक वृद्धि के लिए ऋण को स्वीकार नहीं किया है।’
पीक-15 पार्टनर्स के शैलेंद्र सिंह ने कहा कि ऋण संतुलन बनाने वाली मजबूत ताकत है, लेकिन यह जिम्मेदारी से किया जाना चाहिए।