भारत पर 27 फीसदी जवाबी शुल्क लगाने के अमेरिका के निर्णय पर निर्यातकों का कहना है कि इससे न केवल लघु अवधि में मांग को झटका लगेगा बल्कि चीन से डंपिंग की आशंका भी बढ़ गई है। निर्यातकों ने कहा कि जवाबी शुल्क पर स्पष्टता न होने के कारण अमेरिकी खरीदारों ने अपने ऑर्डरों को अब तक रोक रखा था। मगर अब शुल्क की घोषणा हो गई है और ऐसे में भारतीय आपूर्तिकर्ता उनसे संपर्क कर आगे की राह तैयार करेंगे।
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने बुधवार को जवाबी शुल्क पर एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए जिसमें तमाम व्यापार भागीदार देशों से आयात पर 10-50 फीसदी तक का अतिरिक्त शुल्क लगाया गया। आदेश में कहा गया है कि 10 फीसदी का बुनियादी शुल्क शनिवार से प्रभावी होगा जबकि देश विशेष पर आधारित अन्य अतिरिक्त शुल्क 9 अप्रैल से प्रभावी होंगे।
चीन पर पहले से लगाए गए 20 फीसदी शुल्क के अलावा 34 फीसदी का जवाबी शुल्क लगाया जाएगा। एक निर्यातक ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘अब डंपिंग का जोखिम बढ़ जाएगा क्योंकि अमेरिका चीन पर 50 फीसदी से अधिक शुल्क लगाएगा। ऐसे में हमें आयात के मोर्चे पर सतर्क रहने की जरूरत है। सरकार भी सतर्क है।’
भारतीय कपड़ा उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष राकेश मेहरा ने कहा कि फिलहाल सबसे बड़ी चिंता कपड़ा सहित अन्य वस्तुओं के लिए अमेरिकी मांग में गिरावट की आशंका और स्पष्टता का अभाव है। ऐसे में यह देखना महत्त्वपूर्ण होगा कि भारत अपने प्रतिस्पर्धियों के बीच खुद को किस प्रकार स्थापित करता है।
मेहरा ने कहा, ‘अमेरिका द्वारा घोषित शुल्क बेहतर बाजार पहुंच के लिहाज से भारत के लिए एक अवसर प्रस्तुत करता है। शुल्क ढांचे के बारे में अनिश्चितता के मद्देनजर भारतीय निर्यातकों के लिए वैकल्पिक बाजारों की तलाश करना भी आवश्यक है। इससे उन्हें अपने निर्यात को बरकरार रखने में मदद मिलेगी।’
निर्यातकों का मानना है कि अमेरिका द्वारा लगाए गए जवाबी शुल्क से कुछ क्षेत्रों को फायदा हो सकता है। उनके शुरुआती आकलन के अनुसार, रत्न एवं आभूषण, फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक्स, फुटवियर जैसे क्षेत्रों को इसका लाभ मिल सकता है। इसका कारण यह है कि प्रतिस्पर्धी देशों को भारत के मुकाबले अधिक शुल्कों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में व्यापार भारत की ओर रुख कर सकता है। दूसरी ओर समुद्री उत्पाद और कालीन निर्यातकों को नुकसान हो सकता है क्योंकि भारत के मुकाबले प्रतिस्पर्धी देशों का शुल्क कम हो सकता है।
भारतीय निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष एससी रल्हन ने कहा कि अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए जवाबी शुल्क से एक जटिल स्थिति पैदा हो गई है। हालांकि शुल्क के कारण चुनौतियां बढ़ गई हैं लेकिन तुलनात्मक रूप से भारत की स्थिति अनुकूल बनी हुई है।
रल्हन ने कहा, ‘वियतनाम पर 46 फीसदी, चीन पर 34 फीसदी और इंडोनेशिया पर 32 फीसदी शुल्क लगाया गया है। इससे भारत वियतनाम, चीन, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, श्रीलंका और म्यांमार जैसे प्रमुख प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है।’ उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) का समय पर संपन्न होना इन शुल्कों को कम करने और भारतीय निर्यातकों को राहत प्रदान करने के लिए महत्त्वपूर्ण होगा।