वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद के अंतर्गत फिटमेंट समिति जीएसटी के मौजूदा ढांचे में बदलाव का सुझाव देने के लिए गठित मंत्रिसमूह के सामने दो विकल्प पेश कर सकती है। दोनों विकल्पों में यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा कि आम उपभोग की आवश्यक वस्तुओं के दाम न बढ़ने पाएं। माना जा रहा है कि इनमें से एक विकल्प के तहत 8 फीसदी, 16 फीसदी और 24 फीसदी का स्लैब होगा। दूसरा विकल्प 9 फीसदी, 18 फीसदी और 27 फीसदी के कर स्लैब का होगा।
शुरुआती चर्चा के अनुसार दोनों विकल्पों में आवश्यक वस्तुओं की सुरक्षा की बात कही गई है। इसमें कर में छूट का प्रावधान शामिल हो सकता है और विलासिता संबंधी वस्तुओं पर अलग किस्म का कर लग सकता है।
चर्चा से अवगत एक अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘दरों में बदलाव की प्रक्रिया के तहत कुछ विकल्पों पर विचार-विमर्श किया गया है। फिलहाल कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। अंतिम सिफारिश को ही मंत्रिसमूह के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।’
इस बाबत जानकारी के लिए जीएसटी सचिवालय और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) को ईमेल भेजे गए थे मगर खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।
फिटमेंट समिति में केंद्र और राज्यों के राजस्व अधिकारी शामिल हैं। इस समिति को जीएसटी दरों को वाजिब बनाने की सूरत में राजस्व पर पड़ने वाले असर का आकलन करने के लिए बुनियादी काम की जिम्मेदारी दी गई है।
अधिकारी ने कहा, ‘सुझावों पर विचार करना मंत्रिसमूह का विशेषाधिकार है।’ मगर मंत्रिसमूह से अपेक्षा की जाती है कि वह जीएसटी परिषद के लिए अपनी अंतिम रिपोर्ट में फिटमेंट समिति की सिफारिशों पर उचित विचार करेगा। इस समूह में छह राज्यों के मंत्री शामिल हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की बैठक 21 से 23 अगस्त को होने की उम्मीद है। बैठक में परिषद को जीएसटी दरों में बदलाव पर स्थिति रिपोर्ट से अवगत कराया जाएगा।
सीतारमण ने 23 जुलाई को अपने बजट भाषण में कहा था कि जीएसटी दरों में बदलाव कितना अहम है। मंत्रिपरिषद की पहली बैठक जीएसटी परिषद की बैठक से पहले होने की उम्मीद है। गोवा के हटने के बाद मंत्रियों के इस समूह में सदस्यों की संख्या सात से घटकर छह रह गई है।
चालू वित्त वर्ष के दौरान जीएसटी व्यवस्था में व्यापक बदलाव दिख सकता है। अभी इसमें चार दरें हैं मगर जल्द ही केवल तीन दरें रह सकती हैं। मौजूदा स्लैब में 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी जीएसटी का प्रावधान है।
सीतारमण ने परिषद की हालिया बैठक के बाद कहा था, ‘जीएसटी परिषद की अगली बैठक में हम दरों में बदलाव पर विचार करेंगे। अगस्त में होने वाली अगली बैठक में मंत्रिसमूह की एक प्रस्तुति होगी और उसके बाद परिषद दरों में बदलाव पर चर्चा शुरू करेगी।’
मंत्रिसमूह में 2 जुलाई को आंशिक संशोधन किया गया और अब इसमें पहले के सात सदस्यों के बजाय छह सदस्य शामिल हैं। नई समिति का गठन बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में किया गया है। इसके सदस्यों में राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा मंत्री गजेंद्र सिंह, पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, कर्नाटक के राजस्व मंत्री कृष्ण बायरे गौड़ा और केरल के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल शामिल हैं।
छह सदस्यीय समिति को दरों में बदलाव के लिए आवश्यक सुझाव देने और दर ढांचे को सरल बनाने, जीएसटी छूट सूची की समीक्षा करने तथा जीएसटी राजस्व बढ़ाने के लिए सुझाव देने की जिम्मेदारी दी है।सबसे पहले 2021 में गठित राज्यों के मंत्रियों की इस समिति का नवंबर 2023 में पुनर्गठन किया गया था, जब इस समिति के तत्कालीन प्रमुख बसवराज एस बोम्मई कर्नाटक विधानसभा चुनाव हार गए थे।
दोबारा पुनर्गठन उस समय किया गया, जब बिहार के पूर्व वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने इस्तीफा दे दिया था। जीएसटी के दायरे में 1,200 वस्तुएं एवं सेवाएं आती हैं। जीएसटी की मानक दरों के अलावा कुछ विशेष दरें भी हैं।