लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों से पता चलता है कि बजट में प्रस्तावित कुल 34.8 लाख करोड़ रुपये व्यय में से करीब 60 प्रतिशत या 20.7 लाख करोड़ रुपये नवंबर तक खर्च किए गए हैं, लेकिन कुछ विभागों और मंत्रालयों को अभी आवंटन का बड़ा हिस्सा खर्च करना है।
यहां तक कि सरकार की प्रमुख योजनाओं जैसे नैशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी), जल जीवन मिशन और डिजिटल इंडिया के प्रभार वाले मंत्रालयों ने वित्त वर्ष 2021-22 में केंद्रीय बजट के माध्यम से मिले धन का बहुत कम हिस्सा खर्च किया है।
एनआईपी
सरकार ने वित्त वर्ष 22 के लिए एनआईपी को 44,700 करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि आवंटित की थी। इसे आर्थिक मामलों के विभाग को सीधे खर्च करना था, जिसका पूंजी आवंटन साल के लिए 56,500 करोड़ रुपये था। बहरहाल नवंबर तक निर्यातकों को प्रोत्साहन देने पर महज 2 प्रतिशत यानी 1,150 करोड़ रुपये के करीब खर्च किए गए। वित्त मंत्रालय ने निर्यात उत्पादों पर शुल्क व करों की वापसी (आरओडीटीईपी) के लिए 13,000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। इस योजना के तहत निर्यातों को प्रोत्साहन दिया जाना था। केंद्रीय अप्रत्य कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने अपने विभाग के लिए वित्त वर्ष 22 में आवंटित 20,100 करोड़ रुपये में से महज 5,100 करोड़ रुपये पहले 8 महीने में खर्च किए हैं। इसके बावजूद इस साल भारत का निर्यात बढ़ा है और दिसंबर में सर्वाधिक निर्यात का रिकॉर्ड बना है।
सभी घरों में पेयजल
सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम की जल जीवन मिशन नाम से 2019 में नए सिरे से ब्रांडिंग की है। इस योजना का मकसद देश के सभी परिवारों में टोंटी से पानी पहुंचाना है। वित्त वर्ष 2022 में योजना के लिए 60,000 करोड़ रुपये बजट आवंटन किया गया था। लेकिन इसका सिर्फ एक तिहाई 18,400 करोड़ रुपये ही नवंबर तक खर्च हुआ है।
सरकारी दूरसंचार कंपनियां
महज एक सप्ताह बीते हैं, जब टेलीकॉम सेक्टर की कोई खबर नहीं है। सरकार हाल ही में वोडाफोन आइडिया में सबसे बड़ी हिस्सेदार बन गई है, जो भारत की तीसरी बड़ी संचार कंपनी है। लेकिन नवंबर तक दूरसंचार विभाग का व्यय सुस्त रहा है। बीएसएनए और एमटीएनएल जैसी राष्ट्रीय दूरसंचार कंपनियों पर डीओटी का व्यय अभी बहुत दूर है, जिसके 4जी नेटवर्क को मजबूत करने के लिए 20,500 करोड़ रुपये पूंजी दी गई थी। लेकिन शुरुआती 8 महीनों में बजट आवंटन की तुलना में सिर्फ 12 प्रशित या 3,200 करोड़ रुपये खर्च हुआ। दूसरा अहम मसला रक्षा सेवाओं के लिए ऑप्टिकल फाइबर आधारित तेज नेटवर्क बनाने का है। इसके लिए 5,200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। यह भी बहुत बुरी तरह प्रभावित हुई है।
डिजिटल इंडिया
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीक मंत्रालय (मेइटी) भी आवंटित धनराशि खर्च करने के मामले में अभी बहुत पीछे है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम सरकार की अहम योजना है, जिसके लिए वित्त वर्ष 22 में 6,800 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। इस राशि का केवल एक तिहाई खर्च किया जा सका है, जबकि वित्त वर्ष का दो तिहाई हिस्सा पूरा हो चुका है।
अन्य प्रमुख विभाग
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने नवंबर तक अपने आवंटन का 27 प्रतिशत खर्च किया है। रसोई गैस पर सब्सिडी खत्म किए जाने के कारण यह धन पड़ा हुआ है।
गृह मंत्रालय द्वारा पुलिस पर पूंजीगत व्यय भी सुस्त है और नवंबर तक आवंटित राशि का एक तिहाई खर्च हो पाया है। राजस्व व्यय के हिसाब से, जो वेतन और केंद्रीय सैन्य पुलिस बल की देयताओं व अन्य मद में जाता है, स्थिति संतोषजनक है और 94,000 करोड़ रुपये बजट आवंटन में से नवंबर तक 68,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने बजट राशि का महज एक तिहाई खर्च किया है। केंद्रशासित प्रदेशों खासकर नव सृजित लद्दाख और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को हस्तांतरण भी कम रहा है।
बहरहाल ये विभाग अभी शेष बचे 4 महीनों में खर्च करके इसकी भरपाई कर सकते हैं, क्योंकि तमाम विभाग इसे वित्त वर्ष के आखिरी महीने मार्च तक के लिए छोड़े रहते हैं। निश्चित रूप से पूरक अनुदान मांग के माध्यम से 3 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त व्यय को भी संशोधित अनुमान में व्यय की गणित में जोड़ा जाएगा।
