भारतीय उद्यम एवं वैकल्पिक पूंजी संगठन (IVCA) ने मंगलवार को कहा कि आगामी बजट में सूचीबद्ध और गैर सूचीबद्ध निवेश के बीच कर समानता पर जोर दिया जाना चाहिए और वित्त मंत्रालय द्वारा वैकल्पिक फंडों को नियामकीय रियायतें दी जानी चाहिए।
गैर-सूचीबद्ध प्रतिभूतियों पर कर सूचीबद्ध इकाइयों पर लगने वाले कर का करीब 2.4 गुना
कुछ प्रमुख उद्यम पूंजीपतियों और निजी इक्विटी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले IVCA ने बजट-पूर्व उद्योग की मांगें उठाने के लिए एक परिचर्चा का आयोजन किया। हितधारकों का मानना है कि गैर-सूचीबद्ध प्रतिभूतियों पर कर सूचीबद्ध इकाइयों पर लगने वाले कर का करीब 2.4 गुना है, भले ही गैर-सूचीबद्ध कंपनियों और स्टार्टअप में निवेश से नए परिसंपत्ति सृजन रोजगार वृद्धि को बढ़ावा मिल रहा है।
उद्यम पूंजी फर्म 3वन4 कैपिटल में संस्थापक भागीदार सिद्धार्थ पई ने कहा, ‘उद्योग के नजरिये से, हम सभी दामोदरन समिति के साथ चर्चा के आधार पर आशाजनक बदलाव (कर रियायत के संदर्भ में) की उम्मीद कर रहे हैं। पिछले बजट में, हमने बड़ा बदलाव देखा था, क्योंकि पूंजीगत लाभ पर अधिभार सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध निवेश के बीच समान बनाया गया था।’
भारतीय स्टार्टअप तंत्र घटती फंडिंग की वजह से झेल रहे दबाव
पई ने कहा कि भारतीय स्टार्टअप तंत्र को घटती फंडिंग की वजह से चालू वित्त वर्ष में दबाव का सामना करना पड़ा था। उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि भारतीय मुद्रा में पूंजी से स्टार्टअप कंपनियों को पूरी सहायता नहीं मिल पाई है। इसकी मुख्य वजह यह है कि कर दरें सूचीबद्ध बाजार के मुकाबले दोगुनी हैं।’
यह भी पढ़े: निफ्टी में निर्माण क्षेत्र का बढ़ रहा भारांक
वीसी और पीई उद्योग दिग्गजों द्वारा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात किए जाने के कुछ सप्ताह बाद हितधारकों से यह मांग सामने आई है। उन्होंने मंत्री से पारिवारिक कार्यालयों, कंपनियों और बीमा कंपनियों जैसे दीर्घावधि निवेशकों से पूंजी जुटाए जाने की अनुमति देने का अनुरोध किया।