संसद में अंतरिम बजट पेश होने के एक दिन बाद आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ ने रुचिका चित्रवंशी और असित रंजन मिश्र से बातचीत में प्रमुख बजट अनुमान के पीछे सरकार की सोच और राजकोषीय गणित पर विस्तार से चर्चा की। सेठ बजट तैयार करने वाली टीम के एक प्रमुख सदस्य है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
मैंने वित्त वर्ष 2023-24 को पहला वर्ष माना है जहां सभी क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। वित्त वर्ष 2022-23 में कुछ ऐसे क्षेत्र थे जो वैश्विक महामारी के प्रभाव से उबर रहे थे। वित्त वर्ष 2023-24 में उद्योग जगत की लाभप्रदता और सामान्य अर्थव्यवस्था अच्छा कर रहे हैं जिसकी झलक जीएसटी संग्रह के आंकड़ों में भी मिलती है। हम उम्मीद करते हैं कि वह उछाल अगले साल भी जारी रहेगी, मगर यह भी सही है कि उछाल हमेशा बरकरार नहीं रह सकती है। यह (राजस्व अनुमान) सभी क्षेत्रों के अच्छा प्रदर्शन करने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने से उत्पन्न होता है। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि कर क्षेत्र का दायरा बढ़ रहा है।
प्रमुख गैर-कर राजस्व में विनिवेश के अलावा बैंकों, सार्वजनिक उपक्रमों, भारतीय रिजर्व बैंक से प्राप्त लाभांश और स्पेक्ट्रम शुल्क शामिल हैं। कुल गैर-कर रास्व में इसका योगदान 80 से 85 फीसदी होगा। हरेक हितधारक से बातचीत करने के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे। मैं समझता हूं कि यह बिल्कुल उपयुक्त आंकड़ा है।
इस पर आपको इस लिहाज से देखना होगा कि हम किस आधार से आ रहे हैं। सब्सिडी का एक बड़ा हिस्सा उर्वरक कीमतों पर है। ये आकलन मौजूदा मूल्यों के साथ-साथ अगले साल के संभावित परिदृश्य पर आधारित हैं। ऐसा नहीं है कि उर्वरक की खपत कम होने वाली है, बल्कि यह कीमत का सवाल है। वैश्विक महामारी के बाद की अवधि में दाम काफी बढ़े हैं।
इसमें कई चीजों को एक साथ करते हुए बताया गया है। विनिवेश और मुद्रीकरण को अलग-अलग देखने के बजाय दोनों को एक साथ रखा गया है। इस प्रकार बजट दस्तावेज में एक संयुक्त आंकड़े की ओर संकेत किया गया है। कई बार हमने देखा है कि मुद्रीकरण आय हमारे अनुमान से अधिक रहने पर भी विनिवेश का आंकड़ा कमजोर रहा है। इसलिए हमने सोचा कि कोई संयुक्त आंकड़ा रखना बेहतर होगा।
वह अगले सप्ताह आएगा। उसे सदन के पटल पर प्रस्तुत किया जाएगा। उसके लिए काम जारी है।
जनसंख्या नियंत्रण और जनसांख्यकीय बदलाव चुनौतियां और अवसर दोनों हैं। हमें उसे व्यापक तौर पर देखना होगा और सिफारिश करनी होगी। इसके लिए मैं कोई समय-सीमा नहीं बता सकता। घोषणा हो चुकी है। यह एक स्पष्ट विचार प्रक्रिया है।
मैं आर्थिक प्रभाग का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हूं। वित्त मंत्रालय ने काफी सोच-समझकर यह अनुमान लगाया है। यह एक महत्त्वपूर्ण आंकड़ा है। मगर हमने कहा है कि यह और भी बेहतर हो सकता है।
बजट उद्देश्यों से अर्थव्यवस्था का नोमिनल ग्रोथ प्रासंगिक होता है। अर्थव्यवस्था की वास्तविक वृद्धि आर्थिक प्रबंधन एवं विकास के लिहाज से महत्त्वपूर्ण होती है। ये दोनों अलग-अलग हैं।
इस संबंध में अंतिम निर्णय उस समय लिया जाएगा जब हम कैलेंडर की घोषणा करेंगे। हम वास्तविक आंकड़ा जारी करेंगे ताकि बाजार को पहले से जानकारी हो, लेकिन यह रकम हम दूसरी छमाही में जुटाना चाहते हैं।