राजस्व विभाग कर रिफंड की प्रक्रिया और उसके भुगतान की व्यवस्था में तेजी लाने और इसकी अवधि 16 दिन से घटाकर 10 दिन करने पर काम कर रहा है। उम्मीद की जा रही है कि नई समयसीमा चल रहे वित्त वर्ष में लागू कर दी जाएगी।
एक सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘वित्त वर्ष 2022-23 में कर रिटर्न के प्रॉसेसिंग में औसतन 16 से 17 दिन लगे। वहीं इसके पहले के वित्त वर्ष 2021-22 में यह समयावधि 26 दिन थी। अब हम कर रिटर्न के प्रॉसेसिंग की अवधि घटाकर 10 दिन करने और साथ साथ रिफंड करने पर काम कर रहे हैं।’
इस वित्त वर्ष के दौरान 1 अप्रैल से 21 अगस्त के बीच अब तक 72,215 करोड़ रुपये रिफंड जारी किया गया है। इसमें 37,775 करोड़ रुपये कॉर्पोरेट और 34,406 करोड़ रुपये व्यक्तिगत करदाताओं को की गई वापसी शामिल है। रिफंड के बाद प्रत्यक्ष कर संग्रह 5.88 लाख करोड़ रुपये रहा है।
प्रत्यक्ष कर से सकल संग्रह, जिसमें व्यक्तिगत आयकर और कॉर्पोरेशन कर दोनों शामिल है, 6.6 लाख करोड़ रुपये रहा है। राजस्व विभाग व्यवस्था में तेजी लाने के लिए उन्नत तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है, जिससे कर रिटर्न की तेज प्रॉसेसिंग सुनिश्चित हो सके और बगैर देरी किए तेजी से रिफंड जारी हो सके।
इसके पहले के वित्त वर्ष में आकलन वर्ष 2022-23 में प्रॉसेस किए गए टैक्स रिटर्न के प्रतिशत में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई थी।
अधिकारी ने कहा कि अगर मौजूदा धारणा को देखें तो इस वित्त वर्ष में हम उम्मीद कर रहे हैं कि प्रॉसेसिंग के वक्त में और सुधार होगा और इससे रिफंड जारी करने के वक्त में कमी आएगी। अधिकारी ने कहा कि रिटर्न से जुड़े करीब सभी जांच और आकलन इलेक्ट्रॉनिक होते हैं और इसमें करदाता और कर अधिकारियों के बीच बगैर किसी व्यक्तिगत आमना सामना हुए जांच के लिए मामले चुने जाते हैं।
विभाग का विचार है कि रिटर्न की प्रॉसेसिंग और रिफंड साथ साथ किया जाना चाहिए। अधिकारी ने कहा कि हम कर रिटर्न की प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही रिफंड जारी करने की कवायद कर रहे हैं।
यह पहले की गतिविधि के विपरीत है, जब राजस्व संग्रह में वृद्धि के लिए कॉर्पोरेशन का रिफंड रोके रखा जाता था।
विभाग व्यवस्था में ऐसे उन्नयन पर विचार कर रहा है, जिससे कि 24 घंटे के भीतर रिफंड हो जाए। उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा, ‘यह लक्ष्य महत्त्वाकांक्षी है, लेकिन असंभव नहीं है। हमने कम से कम 10 से 12 प्रतिशत रिटर्न के मामलों में 3 से 4 कार्यदिवस में रिफंड जारी किए हैं। हमें भरोसा है कि अगले कुछ साल में यह मानक बन जाएगा।’
यहां तक कि संशोधन का आवेदन भी कुल प्रॉसेस्ड रिटर्न का 0.1 प्रतिशत रह गया है और ऐसे मामलों के निपटान की औसत अवधि भी घटकर अब सिर्फ 9 दिन रह गई है। उल्लेखनीय है कि आईटीआर के प्रॉसेसिंग के बाद रिफंड जारी किया जाता है।