उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने 17 सरकारी विभागों को पत्र लिखकर कहा है कि सरकारी मंजूरी का इंतजार कर रहे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के प्रस्तावों पर जल्द निर्णय लिया जाए। सूत्रों के मुताबिक करीब 46 एफडीआई प्रस्ताव अभी सरकारी फैसले की बाट जोह रहे हैं। इन प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए सरकार द्वारा निर्धारित 12 सप्ताह की समय-सीमा भी खत्म हो चुकी है।
मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि डीपीआईआईटी ने एक पत्र में कहा है कि सरकारी विभाग अक्सर एफडीआई प्रस्तावों को निपटाने के लिए निर्धारित मानक प्रक्रिया के अनुरूप समय-सीमा का पालन नहीं करते हैं। विभाग ने अटके हुए प्रस्तावों को समय से मंजूरी दिलाने के लिए वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग और संबंधित सरकारी विभागों से तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।
ऐसे 46 प्रस्तावों में से 27 पर गृह मंत्रालय की टिप्पणी भी मिल चुकी है। गृह मंत्रालय ऐसे मामलों में सुरक्षा संबंधी पहलुओं पर गौर करता है। मंजूरी संबंधी निर्णय फिलहाल संबंधित सरकारी विभाग के पास अटका पड़ा है। एफडीआई प्रस्तावों का विवरण उपलब्ध नहीं हो सका मगर जिन आवेदनों के लिए गृह मंत्रालय से सुरक्षा मंजूरी की जरूरत होती है उनमें प्रसारण, दूरसंचार, उपग्रह, रक्षा, नागर विमानन आदि क्षेत्रों में निवेश संबंधी प्रस्ताव शामिल हैं। इनमें चीन जैसे साझा सीमा वाले पड़ोसी देशों के एफडीआई प्रस्ताव भी शामिल हैं।
डीपीआईआईटी के प्रवक्ता ने कहा कि विभाग नैशनल सिंगल विंडो सिस्टम पोर्टल के जरिये विदेशी निवेश सुविधा पोर्टल पर प्राप्त एफडीआई आवेदनों पर गौर करने और निर्णय के लिए संबंधित प्रशासनिक मंत्रालय के पास भेजने के लिए जिम्मेदार है। वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि एफडीआई प्रस्तावों के लिए नोडल मंत्रालय के तौर पर डीपीआईआईटी समय-समय पर प्रस्तावों की समीक्षा करता है और उसकी स्थिति संबंधित मंत्रालयों/ विभागों को बताता है।
मंत्रालय ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के एक सवाल के जवाब में कहा, ‘डीपीआईआईटी के पत्र में सभी मंत्रालयों/ विभागों में अटके 46 प्रस्तावों का जिक्र है। उनमें से केवल 2 प्रस्ताव आर्थिक मामलों के विभाग से संबंधित हैं। उन्हें मंत्रालयों के बीच बातचीत और हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के साथ प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जा रहा है।’
भारत को वैश्विक निवेश का सबसे आकर्षक ठिकाना बनाने के लिए सरकार प्रक्रिया संबंधी देर खत्म करने, कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने और लालफीताशाही पर लगाम लगाने के लिए पिछले एक दशक से कदम उठा रही है। विदेशी निवेश प्रस्तावों की तेजी से मंजूरी देना काफी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि सरकार अगले पांच साल में औसतन 100 अरब डॉलर सालाना एफडीआई का लक्ष्य बना रही है।