वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने चीन से भारत भेजे जाने वाले माल की खेप पर ‘रिस्क प्रोफाइलिंग’ बढ़ा दी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अंडर इनवॉइसिंग के संभावित मामलों की पहचान करने के लिए ऐसा किया गया है। अधिकारी ने नाम न जाहिर किए जाने की शर्त पर कहा, ‘वाणिज्य विभाग ने इसे हरी झंडी दे दी है। हमने राजस्व विभाग के साथ बैठकें की हैं। राजस्व विभाग कार्रवाई कर रहा है।
शुरुआती रिपोर्टों से पता चला है कि सीमा शुल्क विभाग ने खेप रोक दी है और कुछ जब्ती भी हुई है।’ अप्रैल-सितंबर के दौरान चीन से आयात करीब 12 प्रतिशत बढ़कर 75.87 अरब डॉलर हो गया है। ऐसे में सरकार ने यह कदम उठाए हैं। वहीं चीन में कोविड संबंधी सख्त लॉकडाउन के कारण भारत से होने वाला निर्यात 35.58 प्रतिशत गिरकर 11 अरब डॉलर हो गया है।
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि भारत महामारी के कारण चीन में निर्यात बढ़ाने में कामयाब नहीं हुआ है। वहीं दूसरी तरफ चीन से आयात घटाना संभव नहीं है क्योंकि भारत के उद्योग जरूरी कच्चे माल और इंटरमीडिएटरी सामान के लिए चीन पर निर्भर है। एक अन्य सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हम इस तथ्य से भी अवगत हैं कि चीन से आयात कम गुणवत्ता का हो सकता है, जिसके ग्राहक संभवतः जागरूक नहीं हैं। हमें गुणवत्ता पर ध्यान देने की जरूरत है।’
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में प्रतिबंध प्रभावित रूस से आने वाले शिपमेंट की संख्या 400 प्रतिशत बढ़कर 32.88 अरब डॉलर हो गई है। यह मुख्य रूप से इसलिए हुआ है, क्योंकि भारत छूट वाले कच्चे तेल की खरीद रूस से कर रहा है। इसकी वजह से रूस अब भारत का चौथा सबसे बड़ा आयात साझेदार बन गया है।
यह भारत के लिए फायदेमंद रहा है क्योंकि भारत पेट्रोलियम उत्पादों के शोधन व निर्यात करने में सक्षम हुआ है। साथ ही भारत ने रूस द्वारा भारतीय माल की खरीद बढ़ाने के लिए संपर्क साधा है। मार्च से लगातार 6 महीने तक संकुचन के बाद रूस को होने वाला निर्यात अब धीरे धीरे बढ़ रहा है। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि रुपये में व्यापार को अभी तेजी पकड़ना बाकी है, क्योंकि निर्यातक और बैंक अभी भी इस व्यवस्था को लागू करने में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
यह भी पढ़ें: Indian Railways: माल ढुलाई से कमाई का लक्ष्य बढ़ेगा
अधिकारियों में से एक ने कहा, ‘रूस के साथ बाजार तक पहुंच और गुणवत्ता को लेकर कुछ समस्याएं हैं। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण संभवतः उन्हें भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। रूस में इलेक्ट्रॉनिक सामान के लिए अच्छा बाजार है और हम रूस में इलेक्ट्रॉनिक सामान के निर्यात पर जोर दे रहे हैं। रूस प्रतिबंधों का सामना कर रहा है।