अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी S&P ग्लोबल ने शुक्रवार को भारत के 10 प्रमुख वित्तीय संस्थानों की रेटिंग को अपग्रेड किया। इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), HDFC बैंक, ICICI बैंक, एक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन बैंक शामिल हैं। इसके अलावा, बजाज फाइनेंस, टाटा कैपिटल और L&T फाइनेंस जैसी तीन वित्तीय कंपनियों की रेटिंग में भी सुधार किया गया है। यह फैसला भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग में 18 साल बाद हुए सुधार के एक दिन बाद आया है।
S&P ने कहा कि भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि और वित्तीय प्रणाली में सुधार इन संस्थानों के लिए फायदेमंद साबित हो रहे हैं। खासकर, खराब कर्जों की वसूली में हुई प्रगति ने इन बैंकों और कंपनियों की स्थिति को और मजबूत किया है। एजेंसी का मानना है कि ये संस्थान भारत की घरेलू मांग और आर्थिक गति का पूरा फायदा उठाएंगे।
गुरुवार को S&P ने भारत की लॉन्ग-टर्म सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को BBB- से बढ़ाकर BBB कर दिया, जिसमें आउटलुक स्थिर रखा गया। यह 18 साल में भारत की रेटिंग में पहला सुधार है। अब भारत की रेटिंग मैक्सिको, इंडोनेशिया और ग्रीस के समान स्तर पर है। एजेंसी ने भारत की आर्थिक मजबूती, बेहतर राजकोषीय नीतियों और सार्वजनिक खर्च की गुणवत्ता में सुधार को इस अपग्रेड की मुख्य वजह बताया।
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने भारतीय सामानों पर 50 फीसदी टैरिफ की घोषणा की थी और भारत को ‘डेड इकोनॉमी’ कहा था। इसके बावजूद, एक्सपर्ट का मानना है कि रेटिंग में यह सुधार भारत को अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के बीच और आकर्षक बनाएगा। S&P ने कहा कि भारत की मजबूत मौद्रिक नीतियां और नियंत्रित मुद्रास्फीति ने भी इस अपग्रेड में अहम भूमिका निभाई।
वित्त मंत्रालय ने इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि भारत ने बुनियादी ढांचे और समावेशी विकास में बड़े निवेश के साथ राजकोषीय अनुशासन को संतुलित किया है। मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि भारत 2047 तक “विकसित भारत” के लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ेगा। रेटिंग अपग्रेड की खबर के बाद भारत के 10 साल के बॉन्ड यील्ड में भारी गिरावट आई और यह 6.38 फीसदी तक पहुंच गया, जो दो महीने में सबसे बड़ी एकदिवसीय गिरावट है। इसके बाद यह 6.40 फीसदी पर बंद हुआ। भारतीय रुपये ने भी कुछ नुकसान की भरपाई की और यह 87.56 प्रति अमेरिकी डॉलर पर बंद हुआ।
S&P ने यह भी कहा कि अमेरिकी टैरिफ से भारत की अर्थव्यवस्था को एक बार के लिए झटका लग सकता है, लेकिन लंबे समय में भारत का आर्थिक दृष्टिकोण मजबूत बना रहेगा। एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष में भारत की GDP 6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जो उपभोक्ता मांग और सरकारी निवेश से समर्थित होगी। साथ ही, आगामी राज्य चुनावों के बाद नीतिगत स्थिरता बनी रहेगी, जो सुधारों और राजकोषीय मजबूती को और बढ़ावा देगी।
(डिस्क्लेमर: बिज़नेस स्टैंडर्ड प्राइवेट लिमिटेड में कोटक परिवार के नियंत्रण वाली इकाइयों की बड़ी हिस्सेदारी है)