अर्थशास्त्रियों का कहना है कि खुदरा मूल्य महंगाई दर के मौजूदा ढांचे ने बेहतर काम किया है, जिसमें महंगाई दर का 4 प्रतिशत का लक्ष्य है, जिसमें 2 प्रतिशत कमी या इतनी ही बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि अर्थशास्त्रियों का कहना है कि प्रमुख महंगाई दर की निगरानी करने की भी जरूरत है। सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक इस महीने लक्ष्य की समीक्षा करने वाले हैं।
बहरहाल कुछ अर्थशास्त्रियों जैसे केयर रेटिंग के मदन सबनवीस का विचार है कि यह लक्ष्य बदलकर 2 प्रतिशत घट-बढ़ की सीमा के साथ 5 प्रतिशत किए जाने की जरूरत है और इसका कानून में स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए।
2020 के ज्यादार महीनों में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर ऊपरी लक्ष्य 5 प्रतिशत से ज्यादा रही है। लेकिन रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने समावेशी नीति अपनाई, खासकर लॉकडाउन के शुरुआती समय में, जिससे कि आर्थिक वृद्धि को गिरने से रोका जा सके।
पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन ने कहा कि मौजूदा ढांचा अच्छा है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन मैं नहीं चाहता कि भारत जैसे देश में प्रमुख महंगाई एकमात्र लक्ष्य हो। मैंं दूसरे लक्ष्य को प्राथमिकता दूंगा जो प्रमुख हो सकता है।’ प्रमुख महंगाई दर में खाद्य और ईंधन छोड़कर उच्च स्तर पर है. क्योंकि दोनोंं ही उतार चढ़ाव वाली प्रकृति के हैं। इंटरनैशनल ग्रोथ सेंटर (आईजीसी) में कार्यक्रम निदेशक सेन ने कहा कि प्रमुख महंगाई का लक्ष्य एक प्रतिशत घट बढ़ के साथ 3 प्रतिशत रखने का लक्ष्य होना चाहिए।
प्रमुख महंगाई अहम क्यों है, इस सवाल के जवाब में सेन कहते हैं, ‘जब मॉनसून अनुकूल नहीं रहता है तब प्रमुख महंगाई के आधार पर फैसला लेना गलत होता है क्योंकि मॉनसून की विफलता संकुचनकारी मामला है। अगर उसके बाद एक और संकुचनकारी ब्याज दरें जोड़ते हैं तो आप अनुकूल चक्रीय होते हैं, जबकि आपको ऐसे वक्त में विपरीत चक्रीय नीति अपनाने की जरूरत होती है।’ उन्होंने कहा कि अगर खाने की चीजों के दाम आमदनी में सुधार के कारण बढ़ रहे हैं तो आपको इसे कम करने की जरूरत होती है।
इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा कि महंगाई दर के लक्ष्य से महंगाई दर घटाने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि खाने पीने केदाम ज्यादा होने की वजह से ज्यादा महंगाई दर होने से वेतन की ज्यादा उम्मीद होती है, जिससे दूसरे चरण के असर के कारण उच्च महंगाई हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘यही वजह है कि प्रमुख महंगाई की जगह पर खाद्य महंगाई का इस्तेमाल किया जाता है। 2 से 6 प्रतिशत के बीच महंगाई दर का लक्ष्य कमोबेश बरकरार रखा जाना चाहिए।’
इक्रा में प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘हमारे ख्याल से महंगाई दर की ऊपरी सीमा 6 प्रतिशत बरकरार रखी जानी चाहिए, जिससे अप्रत्याशित महंगाई की संभावनाओं से बचा जा सके।’
क्वांटिको रिसर्च की संस्थापक शुभदा राव ने कहा कि मौजूदा ढांचा खाद्य महंगाई और महंगाई दर की उम्मीदों के हिसाब से बेहतर काम कर रहा है। उ्होंने कहा कि ‘खाद्य महंगाई दर की उम्मीदों के कारण ही नहीं बल्कि कुल मिलाकर वृहद आर्थिक स्थिरता के हिसाब से भी महंगाई दर का यह लक्ष्य बनाए रखने की जरूरत है।’
बहरहाल केयर रेटिंग के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि यह सीमा 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 5 प्रतिशत की जानी चाहिए, जिसका मतलब यह है कि महंगाई दर की सीमा 2 से 7 प्रतिशत के बीच रखी जाए। उनका कहना है कि यह आर्थिक वृद्धि के हिसाब से आदर्श होगा।
इसके पहले मुख्य आर्तिक सलाहकार संजीव सान्याल ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा था कि महंगाई दर का लक्ष्य बेहतर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि 2 से 6 प्रतिशत की सीमा में व्यापक फेरबदल की जरूरत नहीं है।
