उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति मई में घटकर 4.7 फीसदी रह गई, जो 12 महीने में इसका सबसे कम आंकड़ा है। खाद्य पदार्थों के दाम ऊंचे रहने के बावजूद ईंधन और मुख्य वस्तुओं के दाम नरम होने से खुदरा मुद्रास्फीति नीचे आई है। मगर औद्योगिक उत्पादन में थोड़ी नरमी देखी गई। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) अप्रैल में 5 फीसदी बढ़ा, जबकि मार्च में यह 5.4 फीसदी बढ़ा था।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा आज जारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति मई में 8.69 फीसदी रही, जो अप्रैल में 8.7 फीसदी थी। अनाज, अंडे, फल और दालों के दाम बढ़ने से खाद्य मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है। मगर सब्जियों के दाम में कमी आई है।
केयर रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि ईंधन और बिजली में नरमी आई है मगर खाद्य मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है, जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, ‘मॉनसून सामान्य रहने के अनुमान से खाद्य मुद्रास्फीति घटने की उम्मीद है मगर मॉनसून में कहां-कहां कितनी बारिश होगी, यह देखना जरूरी है। ऊंची खाद्य मुद्रास्फीति के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिंसों के दाम बढ़ने से भी मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम बना हुआ है।’
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि लू के थपेड़ों से सब्जियों की आपूर्ति प्रभावित हुई है और आलू, प्याज तथा टमाटर के दाम एक-दो महीने और बढ़े रह सकते हैं।
औद्योगिक उत्पादन की बात करें तो विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में नरमी के कारण आईआईपी वृद्धि प्रभावित हुई है। अप्रैल में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 3.9 फीसदी बढ़ा जबकि मार्च में यह 5.7 फीसदी बढ़ा था। 23 विनिर्माण क्षेत्रों में से 6 में ही उत्पादन बढ़ा है। पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन 3.1 फीसदी बढ़ा है।