Retail Inflation June 2025: भारत में महंगाई की रफ्तार जून 2025 में और धीमी पड़ गई। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के मुताबिक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित खुदरा महंगाई दर जून में घटकर 2.1 फीसदी हो गई, जो मई में 2.82 फीसदी थी। मंत्रालय ने बताया कि यह जनवरी 2019 के बाद सबसे कम सालाना महंगाई दर है। यह आंकड़ा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के 4 फीसदी के मीडियम टर्म टारगेट से काफी नीचे है, जो हाल के महीनों में कम दबाव वाली कीमतों के रुझान को दर्शाता है।
खास बात यह है कि खाद्य महंगाई में भी भारी कमी देखी गई। ग्रामीण इलाकों में जून में खाद्य महंगाई -0.92 फीसदी रही, जबकि शहरी इलाकों में यह -1.22 फीसदी दर्ज की गई। मई में ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य महंगाई 0.95 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 0.96 फीसदी थी। मंत्रालय ने कहा कि खाद्य महंगाई का यह स्तर भी जनवरी 2019 के बाद सबसे कम है। मंत्रालय ने बताया कि जून में हेडलाइन महंगाई और खाद्य महंगाई में कमी का मुख्य कारण अनुकूल बेस इफेक्ट और सब्जियों, दालों, मांस-मछली, अनाज, चीनी, दूध और मसालों की कीमतों में गिरावट है।
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जून में न सिर्फ खुदरा महंगाई घटी, बल्कि थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई भी माइनस में चली गई। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जून में थोक महंगाई -0.13 फीसदी रही, जो मई में 0.39 फीसदी थी। यह 2025 में पहली बार थोक महंगाई का नेगेटिव फिगर है। इस गिरावट का कारण फूड प्रोडक्ट, ईंधन, बिजली और बेसिक मेटल्स की कीमतों में कमी बताया गया है।
RBI ने अपनी जून की द्विमासिक बैठक में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई का अनुमान घटाकर 3.7 फीसदी कर दिया था। केंद्रीय बैंक ने अप्रैल-जून तिमाही के लिए 2.9 फीसदी, दूसरी तिमाही के लिए 3.4 फीसदी, तीसरी तिमाही के लिए 3.9 फीसदी और चौथी तिमाही के लिए 4.4 फीसदी महंगाई का अनुमान जताया है। जून के आंकड़े RBI के पहले तिमाही के अनुमान से भी कम रहे, जो अर्थव्यवस्था के लिए पॉजिटिव संकेत दे रहे हैं।