उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में घटकर 1.54 फीसदी रह गई जो अगस्त में 2.07 फीसदी थी। खुदरा मुद्रास्फीति दर जून 2017 के बाद से सबसे कम है। अनुकूल आधार प्रभाव तथा सब्जियों और दालों सहित खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी के कारण मुद्रास्फीति में कमी आई है। इस साल यह दूसरा मौका है जब खुदरा मुद्रास्फीति 2 फीसदी से नीचे रही है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा आज जारी मुद्रास्फीति के आंकड़ों से पता चला कि समग्र मुद्रास्फीति अगस्त में 1.69 फीसदी से घटकर सितंबर में 1.07 फीसदी रह गई। इसी तरह शहरी मुद्रास्फीति 2.47 फीसदी से कम होकर 2.04 फीसदी पर आ गई। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि हाल ही में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरें घटाए जाने से खुदरा मुद्रास्फीति में आगे और कमी आएगी जिससे चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति अनुमान से 25 आधार अंक तक घट सकती है।
उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक द्वारा मापी गई खाद्य मुद्रास्फीति शून्य से 2.28 फीसदी नीचे रही जो दिसंबर 2018 के बाद से इसका निम्नतम स्तर है। ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में खाद्य मुद्रास्फीति घटी है।
तेल और वसा की कीमतें 18.34 फीसदी की वृद्धि के साथ ऊंची बनी रहीं मगर सब्जियों और दालों के दाम में भारी गिरावट दर्ज की गई। सब्जियों की कीमतें 21 फीसदी से ज्यादा घटीं और दालों के दाम में 15 फीसदी से अधिक की गिरावट आई। इस बीच खाद्य तेल की मुद्रास्फीति 18 फीसदी पर दोहरे अंक में बनी हुई है।
केयरएज रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने आगे कहा, ‘जीएसटी दरों के हालिया कटौती से समग्र मुद्रास्फीति के माहौल पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। हमारा अनुमान है कि इससे खुदरा मुद्रास्फीति में 70-90 आधार अंक तक की कमी आ सकती है। खाद्य मुद्रास्फीति कम होने और मांग-आपूर्ति का दबाव घटने से चालू वित्त वर्ष में औसत मुद्रास्फीति 2.4 फीसदी रहने का अनुमान है।’
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि अगस्त के अंत और सितंबर की शुरुआत में देश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश और बाढ़ से खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचने की आशंका है। उन्होंने कहा कि अक्टूबर में सामान्य से अधिक बारिश का खरीफ की उपज पर प्रभाव पड़ सकता है।
कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि जीएसटी में कटौती का असर अक्टूबर के आंकड़ों में और ज्यादा दिखाई देगा। हालांकि त्योहारों से जुड़ी खुदरा बिक्री में तेजी से अर्थव्यवस्था में अंतर्निहित स्थायी मांग का आकलन करना मुश्किल हो सकता है इसलिए दरों में कटौती का अनुमान लगाना कठिन है।’
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि इस वर्ष मुद्रास्फीति 3 फीसदी के भीतर रहेगी तथा जीएसटी में कटौती इसे 2.8 फीसदी तक सीमित रखने में मदद करेगा।