खाद्य पदार्थों के दाम घटने और अनुकूल आधार की वजह से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 5.48 फीसदी रह गई। अक्टूबर में यह 6.21 फीसदी पर पहुंच गई थी जो 14 महीने में सबसे अधिक थी। मुद्रास्फीति में नरमी से फरवरी में होने वाली मौद्रिक समीक्षा बैठक में रीपो दर घटाए जाने की उम्मीद बढ़ गई है। दूसरी ओर उद्योगों के उत्पादन में भी सुधार हुआ है। विनिर्माण गतिविधियों में तेजी से औद्योगिक उत्पादन सूचकांक अक्टूबर में 3.5 फीसदी बढ़ा जो सितंबर में 3.1 फीसदी बढ़ा था।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा आज जारी आंकड़ों से पता चलता है कि नवंबर में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 9 फीसदी रह गई जो अक्टूबर में 15 महीने के उच्चतम स्तर 10.7 फीसदी पर थी। सब्जियों की मुद्रास्फीति घटकर 29 फीसदी रही जो अक्टूबर में 42 फीसदी थी। अनाजों, अंडे, दूध, फलों और दालों के दाम भी नवंबर में घटे हैं।
केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि खरीफ की अच्छी पैदावार और रबी की बोआई में तेजी को देखते हुए कृषि उत्पादन का परिदृश्य सकारात्मक बना हुआ है। उन्होंने कहा, ‘आने वाले महीनों में खाद्य पदार्थों पर मुद्रास्फीति का दबाव और कम होना चाहिए।’
इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने ऊंची मुद्रास्फीति की चिंता को देखते हुए रीपो दर को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा था। दूसरी ओर अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक(आईआईपी) की तेजी में विनिर्माण क्षेत्र का अहम योगदान रहा। विनिर्माण गतिविधियों में 4.1 फीसदीकी तेजी आई और बिजली उत्पादन में 2 फीसदी का इजाफा हुआ। मगर खनन क्षेत्र में नरमी का रुख बना हुआ है।
इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च में वरिष्ठ आर्थिक विश्लेषक पारख जसराई ने कहा कि अक्टूबर में ऊंची मुद्रास्फीति के बावजूद त्योहारी मांग के कारण उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में इजाफा हुआ है जो उत्साहजनक है और अर्थव्यवस्था में खपत मांग के लिए अच्छा संकेत है।