facebookmetapixel
दिल्ली में लाल किले के पास कार में धमाका, पास खड़ी दो गाड़ियां जलींVodafone Idea Q2 results: घाटा कम होकर ₹5,524 करोड़ पर आया, रेवेन्यू 2.4% बढ़ाअमेरिका में ट्रंप के टैरिफ पर सुप्रीम कोर्ट का केस बढ़ा सकता है भारत की चिंता, व्यापार समझौते पर बड़ा खतराबजट-पूर्व बैठक में एक्सपर्ट्स ने कृषि सेक्टर में R&D के लिए ज्यादा धनराशि पर जोर दियाअगर बैंक ने ज्यादा पैसे काट लिए या शिकायत पर जवाब नहीं दिया, ऐसे घर बैठे करें फ्री में कंप्लेंटBihar Election 2025: दूसरे चरण में 3.7 करोड़ मतदाता 122 सीटों पर करेंगे 1,302 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसलाBandhan MF ने उतारा नया हेल्थकेयर फंड, ₹100 की SIP से निवेश शुरू; किसे लगाना चाहिए पैसा?Explained: AQI 50 पर सांस लेने से आपके फेफड़ों और शरीर को कैसा महसूस होता है?अगर इंश्योरेंस क्लेम हो गया रिजेक्ट तो घबराएं नहीं! अब IRDAI का ‘बीमा भरोसा पोर्टल’ दिलाएगा समाधानइन 11 IPOs में Mutual Funds ने झोंके ₹8,752 करोड़; स्मॉल-कैप की ग्रोथ पोटेंशियल पर भरोसा बरकरार

RBI MPC Meet: क्या रीपो रेट में होगा बदलाव! 3 अप्रैल से RBI की एमपीसी बैठक, एक्सपर्ट्स से जानें

RBI MPC Meet: एक अप्रैल, 2024 से शुरू वित्त वर्ष में एमपीसी की छठ बैठकें होगी। आरबीआई ने पिछली बार फरवरी 2023 में रीपो रेट बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था।

Last Updated- March 31, 2024 | 3:42 PM IST
RBI

RBI MPC Meet: भारतीय रिजर्व बैंक इस सप्ताह पेश मौद्रिक नीति समीक्षा एक बार फिर नीतिगत दर को यथावत रख सकता हैं। इसका कारण आर्थिक वृद्धि को लेकर चिंता दूर होने और इसके करीब आठ प्रतिशत रहने के साथ केंद्रीय बैंक का अब और अधिक जोर मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के लक्ष्य पर लाने पर हो सकता है। विशेषज्ञों ने यह बात कही।

साथ ही नीतिगत दर पर निर्णय लेने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) अमेरिका और ब्रिटेन जैसे कुछ विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों के रुख पर गौर कर सकती है। ये केंद्रीय बैंक नीतिगत दर में कटौती को लेकर स्पष्ट रूप से ‘देखो और इंतजार करो’ का रुख अपना रहे हैं।

3 अप्रैल से RBI की एमपीसी बैठक

विकसित देशों में स्विट्जरलैंड पहली बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसने नीतिगत दर में कटौती की है। वहीं दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जापान आठ साल बाद नकारात्मक ब्याज दर की स्थिति को समाप्त किया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास की अध्यक्षता वाली MPC की तीन दिवसीय बैठक तीन अप्रैल को शुरू होगी। मौद्रिक नीति समीक्षा की की घोषणा पांच अप्रैल को की जाएगी। यह वित्त वर्ष 2024-25 की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा होगी।

एक अप्रैल, 2024 से शुरू वित्त वर्ष में एमपीसी की छठ बैठकें होगी। आरबीआई ने पिछली बार फरवरी 2023 में रीपो रेट बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था। उसके बाद लगातार छह द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में इसे यथावत रखा गया है।

एमपीसी इस बार भी नीतिगत दर और रुख पर यथास्थिति बनाए रख सकता

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति अभी भी पांच प्रतिशत के दायरे में है और खाद्य मुद्रास्फीति के मोर्चे पर भविष्य में झटका लगने की आशंका है, इसको देखते हुए एमपीसी इस बार भी नीतिगत दर और रुख पर यथास्थिति बनाए रख सकता है।’’

उन्होंने कहा कि जीडीपी अनुमान में संशोधन हो सकता है। इस पर सबकी बेसब्री से नजर होगी। सबनवीस ने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि उम्मीद से कहीं बेहतर रही है और इसीलिए केंद्रीय बैंक को इस मामले में चिंताएं कम होंगी और वह मुद्रास्फीति को लक्ष्य के अनुरूप लाने पर ज्यादा ध्यान देना जारी रखेगा।’’

Also read: India-China Trade: भारत और चीन के व्यापारिक आंकड़ों में बढ़ रहा फर्क, डेटा में पाई जा रही खामियां

देश की आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2023-24 की दिसंबर तिमाही में 8.4 प्रतिशत रही। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने पहली और दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि के अनुमान को संशोधित कर क्रमश: 8.2 प्रतिशत और 8.1 प्रतिशत किया है जो पहले 7.8 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत थ।

रीपो रेट में अगस्त 2024 से पहले बदलाव होने की संभावना नहीं

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के 2023-24 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान बढ़ाये जाने के साथ लगातार तीन तिमाहियों में वृद्धि दर आठ प्रतिशत से अधिक रहने तथा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) फरवरी में 5.1 प्रतिशत रहने से आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर और रुख में बदलाव की संभावना नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘इक्रा का मानना है कि नीतिगत स्तर पर रुख में अगस्त 2024 से पहले बदलाव होने की संभावना नहीं है। उस समय तक मॉनसून को लेकर स्थिति साफ होगी। साथ ही आर्थिक वृद्धि तथा अमेरिकी केंद्रीय बैंक का नीतिगत दर को लेकर रुख भी साफ हो जाएगा।’’

नायर ने कहा कि इन सबको देखते हुए नीतिगत दर में कटौती इस साल अक्टूबर तक होने की उम्मीद है। यह स्थिति तब होगी जब आर्थिक वृद्धि के स्तर पर कोई समस्या नहीं हो।

Also read: प्रमुख सब्सिडी में सरकार की बचत पर नजर, वित्त वर्ष 24 में संशोधित बजट अनुमान का 87 प्रतिशत ही किया खर्च

एमपीसी नीतिगत दर को यथावत रखेगा

पीडब्ल्यूसी इंडिया के भागीदार और प्रमुख आर्थिक परामर्शदाता रानेन बनर्जी ने कहा कि तीसरी तिमाही में समग्र मजबूत जीडीपी वृद्धि, मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति का 3.5 प्रतिशत से नीचे जाना, कच्चे तेल की कीमतों में वैश्विक वृद्धि, लॉजिस्टिक लागत में वृद्धि और वैश्विक स्तर पर राजनीतिक संघर्षों में बढ़ती स्थिति विचार-विमर्श के लिए प्रमुख मुद्दे होंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में कुछ केंद्रीय बैंकों ने नीतिगत दरों में कटौती शुरू कर दी है लेकिन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंक अभी भी अनिश्चितता की स्थिति में हैं। भारत और अमेरिका के बीच प्रतिफल (बॉन्ड) का अंतर कम हो गया है, जिससे कोष प्रवाह पर दबाव पड़ रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘…इस बात की काफी संभावना है कि एमपीसी नीतिगत दर को यथावत रखेगा। लेकिन दर में कटौती को लेकर एक छोटी संभावना भी है। एमपीसी के कुछ सदस्य नीतिगत दर में कटौती के लिए मतदान कर सकते हैं लेकिन वे बहुमत में नहीं हैं।’’

First Published - March 31, 2024 | 3:31 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

संबंधित पोस्ट