भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों ने अगस्त की बैठक में यथास्थिति को बरकरार रखा है। अमेरिका के भारत पर लगाए जाने वाले शुल्कों के प्रभाव को लेकर अनिश्चितता और ब्याज दर में लगातार की जा रही कटौती के दौर में सदस्यों ने कदम उठाया है।
समिति की कार्रवाई के विवरण के अनुसार ब्याज दर तय करने वाली समिति के सभी छह सदस्यों ने आम सहमति से नीतिगत रीपो दर को 5.5 प्रतिशत पर कायम रखा और तटस्थ रुख बरकरार रखा। हालांकि बाहरी सदस्यों ने अधिक वृद्धि पर चिंता जताई। हालांकि आंतरिक सदस्यों ने तर्क दिया कि एक वर्षीय प्रमुख महंगाई 4 प्रतिशत से अधिक हो गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, ‘वृद्धि को रोकने वाले प्रमुख कारक शुल्क व भूराजनीतिक असमंजस के दौर में बाहरी मांग को लेकर अनिश्चितता है। इसने निजी निवेश की पहल में भी रुकावट डाली है और इसे अभी सुधार के संकेत प्रदर्शित करने हैं।’ मल्होत्रा ने शुल्कों की बढ़ती अनिश्चितता पर टिप्पणी की कि मौद्रिक बदलाव जारी है और यह तेजी व त्वरित ढंग से हुए हैं। मल्होत्रा ने कहा, ‘इन सभी सहित विशेष तौर पर बाहरी मोर्चे पर हालिया अनिश्चितता के मद्देनजर मौद्रिक नीति को सजग रहने की जरूरत है।’
डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता ने कहा कि बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताएं और संरचनात्मक कारक नए निवेश और उपभोग संबंधी निर्णयों के लिए अधिक बाधक प्रतीत होते हैं। उनका नजरिया यह था कि वर्तमान स्थिति में कोष की लागत या उपलब्धता को वृद्धि के लिए बाधक नहीं माना जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘प्रतिकूल आधार प्रभाव के कारण वर्ष 2025-26 की चौथी तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई 4 प्रतिशत के दायरे से अधिक रहने की संभावना है। यह मूल्य में मामूली बदलाव तक होने की स्थिति में भी 2026-27 की पहली तिमाही में 5 प्रतिशत के करीब पहुंच सकती है।’
अन्य बाहरी सदस्य राजीव रंजन ने भी कहा कि वर्ष 2025-26 की चौथी तिमाही में मुख्य महंगाई चार प्रतिशत के दायरे से अधिक रह सकती है। यह वर्ष 2026-27 की पहली तिमाही में 4.9 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। रंजन ने कहा, ‘इन जोखिमों के मद्देनजर मौद्रिक नीति के लिए मजबूत तर्क यह है कि नीतिगत ढील देने से पहले मुद्रास्फीति में निरंतर नरमी के बारे में अधिक स्पष्ट संकेत का इंतजार किया जाए।’
उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा समय में अतिरिक्त ब्याज दरों में कटौती से वैश्विक या घरेलू जोखिमों के वास्तविक होने की स्थिति में नीतिगत गुंजाइश कम हो सकती है। बाहरी सदस्य नागेश कुमार ने आर्थिक वृद्धि के परिदृश्य को चुनौतीपूर्ण रहने को मानते हुए कहा कि बिक्री की वृद्धि सुस्त हो चुकी है और निजी निवेश बेहतरी के संकेत नहीं दे रही है। उन्होंने कहा, ‘ब्याज दरें कम रहने के बावजूद ऋण का उठान उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा है।’ कुमार ने कहा कि व्यापार नीति की अनिश्चितता के कारण निवेश के रुझान खराब ढंग से प्रभावित हुए हैं।
अन्य बाहरी सदस्य राम सिंह ने कहा, ‘ हालांकि महंगाई और वृद्धि के मोर्चे पर असामान्य रूप से उच्च स्तर की अनिश्चितता के कारण अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है।’ सौगत भट्टाचार्य ने प्रकाश डाला कि नए ऋणों की तुलना में नई जमाओं पर ब्याज दरों में अधिक तेजी से गिरावट आई है।