आज की मौद्रिक नीति समीक्षा करीब तीन साल के अंतराल के बाद 4 फीसदी महंगाई लक्ष्य पर आरबीआई के लौटने को रेखांकित करती है।
कानून के मुताबिक, आरबीआई को महंगाई 4 फीसदी पर रखना है, जिसमें दो फीसदी की घटबढ़ हो सकती है। मार्च 2020 में कोविड महामारी के आगाज के बाद से केंद्रीय बैंक की कोशिश इसे 2 से 6 फीसदी के दायरे में रखने की रही है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा, भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई मार्च-अप्रैल 2023 में नरम हुई और स्वीकार करने योग्य सीमा की ओर बढ़ी। इस तरह से महंगाई 2022-23 की 6.7 फीसदी की दर से नीचे आई। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मुख्य महंगाई हालांकि अभी भी लक्ष्य से ऊपर है और 2023-24 के अनुमान के मुताबिक इसके इसी दायरे में रहने की संभावना है।
छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने आमसहमति से रीपो दर 6.5 फीसदी पर रखने का फैसला लिया। नीतिगत घोषणा के बाद मीडिया से बात करते हुए दास ने कहा कि कोविड और फिर यूक्रेन युद्ध व उसके नतीजे के बाद केंद्रीय बैंक ने महंगाई को 6 फीसदी की ऊपरी सीमा से नीचे रखने का फैसला लिया। हालांकि अब इस तरह की अनिश्चितता नहीं है।
दास ने कहा, हमारा लक्ष्य और हमारी कोशिश यह देखने की है कि मुख्य महंगाई लंबी अवधि के लिहाज से लक्ष्य से जुड़ा रहे। मौद्रिक नीति का प्राथमिक लक्ष्य 4 फीसदी है। कोविड के तनावपूर्ण माहौल और फिर यूक्रेन युद्ध व उसके नतीजे के बाद हमने अपने दायरे में परिचालन किया, हमने लचीला रुख अपनाया। हम महंगाई को 4 फीसदी से ऊपर स्वीकार करने को तैयार रहे और हमारी कोशिश इसे छह फीसदी से नीचे रखने की रही। उन्होंने कहा, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। अब काफी निश्चितता है और रास्ता पहले के मुकाबले ज्यादा स्पष्ट दिख रहा है। ऐसे में हम 4 फीसदी का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं, जो हमारा प्राथमिक लक्ष्य है।
4 फीसदी महंगाई पर लौटने के संकेत को बाजार ने आक्रामक माना है, जो बॉन्ड के प्रतिफल में प्रतिबिंबित हुआ और उसमें तेजी दर्ज हुई। 10 वर्षीय बेंचमार्क सरकारी बॉन्ड का प्रतिफल 4 आधार अंक चढ़कर 7.02 फीसदी पर बंद हुआ।
येस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पन ने कहा, हमारी राय में महंगाई को लेकर संदेश थोड़ा आक्रामक रहा। वित्त वर्ष 24 के लिए महंगाई अनुमान में 10 आधार अंक की कटौती हुई है लेकिन गवर्नर इसे रेखांकित किया कि अब मौद्रिक नीति समिति महंगाई को 4 फीसदी पर लाना चाहती है।
केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 24 के लिए महंगाई का अनुमान थोड़ा घटाकर 5.1 फीसदी कर दिया है, जो अप्रैल की नीतिगत समीक्षा में 5.2 फीसदी अनुमानित था।
महंगाई को लेकर एक जोखिम मॉनसून के साथ-साथ अल नीनो का अनुमान है, जिसमें देर हुई है। आरबीआई ने दूसरी छमाही में ज्यादा महंगाई का अनुमान लगाया है और अक्टूबर-दिसंबर में औसत महंगाई 5.4 फीसदी और जनवरी-मार्च में 5.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के एमडी व सीईओ धीरज रेली ने कहा, अल नीनो की स्थिति से पड़ने वाले असर को लेकर अनिश्चितता से 2023 में मॉनसून प्रभावित हो सकता है, ऐसे में आरबीआई सतर्क है और वित्त वर्ष 24 के लिए महंगाई का अनुमान 10 आधार अंक सशोधित कर 5.1 फीसदी कर दिया है। आरबीआई गवर्नर ने महंगाई के प्राथमिक लक्ष्य 4 फीसदी की ओर लौटने पर जोर दिया है।
रेली ने कहा, इस पृष्ठभूमि में कैलेंडर वर्ष 2023 के दौरान दरों में कटौती की संभावना धुमिल हुई है। हमें लगता है कि पहली दर कटौती शायद फरवरी 2024 में होगी।