केंद्रीय बिजली, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन और इसके प्रमुख घटक इलेक्ट्रोलाइजर के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार आने वाले महीनों में ‘उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन’ (पीएलआई) जैसी योजना लाएगी। मिशन के प्रमुख सिद्धांतों में ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप (साइट) कार्यक्रम के लिए 17,490 करोड़ रुपये का आवंटन शामिल है। साइट के तहत इलेक्ट्रोलाइजर के घरेलू विनिर्माण और ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन को लेकर दो वित्तीय प्रोत्साहन योजनाएं होंगी।
सिंह ने कहा, ‘हम पीएलआई योजना के माध्यम से प्रोत्साहन देंगे। हम भारत को पूरी दुनिया में ग्रीन हाइड्रोजन के सबसे प्रतिस्पर्धी स्रोत बनाने का लक्ष्य रख रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि सालाना 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन का लक्ष्य पूरा करने के लिए हमें 15 जीडब्ल्यू इलेक्ट्रोलाइजर क्षमता की जरूरत होगी। सिंह ने कहा कि उद्योग इस दिशा में आगे विचार कर रहा है, वहीं विकसित देशों द्वारा ग्रीन हाइड्रोजन सेक्टर को मुहैया कराई जा रही सब्सिडी की वजह से चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि यह व्यापार बिगाड़ने का कदम है, जो मेरे हिसाब से डब्ल्यूटीओ के नियमों के मुताबिक कार्रवाई के योग्य है।’इस मिशन में 5 घटक होंगे।
इनका मकसद ग्रीन हाइड्रोजन के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और इलेक्ट्रोलाइट के उत्पादन को प्रोत्साहन देना है, जो ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए अहम है। केंद्र ने एक बयान में कहा है कि साइट कार्यक्रम के तहत 1,466 करोड़ रुपये की प्रायोगिक परियोजना है, जिसमें शोध एवं विकास (आरऐंडडी) पर 400 करोड़ रुपये और अन्य मिशन कंपोनेंट पर 388 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
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नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के अधिकारियों ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल के लिए 4 प्रायोगिक परियोजनाओं में कम कार्बन वाला स्टील, मोबिलिटी, शिपिंग और विकेंद्रीकृत ऊर्जा और ऊर्जा भंडारण परियोजनाएं हैं। पिछले साल फरवरी में बिजली मंत्रालय ने ग्रीन हाइड्रोजन/अमोनिया नीति अधिसूचित की थी। इसमें 2030 तक 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन का लक्ष्य था। अंतिम मिशन में भी यही लक्ष्य बना हुआ है।