भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के अध्यक्ष संजीव पुरी ने इस बात पर जोर दिया है कि नई सरकार को वस्तु एवं सेवा कर (GST) को दर में नरमी लाने के साथ ही तीन दरों वाली संरचना के दायरे में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने गुरुवार को कहा कि पेट्रोलियम उत्पाद, बिजली और रियल एस्टेट को भी इसके दायरे में लाया जाना चाहिए।
पिछले महीने सीआईआई (CII) के अध्यक्ष पद का प्रभार संभालने के बाद पहली बार संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पुरी ने कहा कि नई सरकार के 14 सूत्री एजेंडे के तहत पूंजीगत लाभ कर को भी तर्कसंगत बनाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘प्रत्यक्ष कर के लिहाज से, सरकार पूंजीगत लाभ कर और टीडीएस प्रावधानों को तर्कसंगत और सरल बनाए जाने के लिए एक रोडमैप तैयार करने पर विचार कर सकती है।’
साथ ही उनका यह भी कहना था कि पूंजीगत लाभ कर दरों और विभिन्न प्रकार के उपकरणों की धारण अवधि में एकरूपता होनी चाहिए। उनका कहना था, ‘अप्रत्यक्ष करों के लिहाज से देखा जाए तो जीएसटी के अगले चरण के सुधार के तहत जीएसटी की दरों में नरमी के साथ तीन दरों वाली संरचना के दायरे में लाने के साथ ही जीएसटी परिषद के साथ परामर्श कर पेट्रोलियम उत्पादों, बिजली और रियल एस्टेट को जीएसटी के तहत लाया जाना चाहिए।’
पुरी ने कहा कि कृषि और सार्वजनिक निवेश में सुधार के बलबूते भारत के सरकार घरेलू उत्पाद (GDP) में वर्ष 2024-25 (वित्त वर्ष 2025 में) में 8 प्रतिशत की दर से वृद्धि की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में पिछले साल के 1.4 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में 3.7 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘हम पहले से ही यह देख रहे हैं कि मॉनसून की स्थिति बेहतर हो रही है। ऐसे में कृषि उत्पादन और भी बेहतर होगा।’
सीआईआई के एजेंडा पर बात करते हुए पुरी ने कहा कि केंद्र को रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना अधिक कामगारों की मांग वाले क्षेत्र में शुरू की जानी चाहिए जैसे कि खिलौना उद्योग, पर्यटन, लॉजिस्टिक्स, रिटेल और मीडिया एवं मनोरंजन क्षेत्र। उन्होंने कहा, ‘रोजगार सृजन के आधार पर प्रोत्साहन मिलना चाहिए। अधिक प्रोत्साहन महिला कर्मचारियों को दिया जाना चाहिए।’
पुरी ने कहा कि कुल कार्यबल में कुशल श्रमिकों का अनुपात मौजूदा के 5 प्रतिशत से बढ़ाकर वर्ष 2030 तक 25 प्रतिशत किया जाना चाहिए। विनिर्माण क्षेत्र के बारे में उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2024 के 9.3 प्रतिशत के स्तर से यह घटकर वित्त वर्ष 2025 में 8.4 प्रतिशत हो जाएगा खासतौर पर इसके उच्च आधार प्रभाव के कारण।