पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) का घाटा पूरा हो चुका है, इसलिए पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी की उम्मीद की जा सकती है।
उद्योग के एक कार्यक्रम में मौजूद उक्त अधिकारी ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘वित्त वर्ष 2013 की चौथी तिमाही में तेल मार्केटिंग कंपनियों का प्रदर्शन अच्छा रहा है और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही भी बेहतर रहने की उम्मीद है। ऐसा हुआ तो सरकार तेल कंपनियों को दाम कम करने के लिए कह सकती है, जो जायज मांग होगी। हम उम्मीद करते हैं कि वे इसका कुछ लाभ ग्राहकों को देंगे।’ इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही के नतीजे जुलाई में आएंगे।
मगर वहां मौजूद तेल मार्केटिंग कंपनियों के दो शीर्ष अधिकारी उनसे सहमत नहीं दिखे। उन्होंने कहा कि कंपनियां अभी तक कोविड-19 महामारी और फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के शुरुआती दिनों में हुए घाटे की भरपाई नहीं कर पाई हैं।
देश में तेल की खुदरा कीमतें बदले एक साल से भी ज्यादा वक्त हो गया है। पिछले साल 22 मई को पेट्रोल का दाम 96.72 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम 89.62 रुपये प्रति लीटर किया गया था और तब से दाम करीब इतने ही हैं।
इसलिए 2022 की पहली छमाही में जब अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेल महंगा हो रहा था तब भारतीय ग्राहकों पर महंगे पेट्रोल-डीजल का बोझ नहीं पड़ा मगर जब दाम गिरे तब भी उन्हें ईंधन सस्ता नहीं मिला। ब्रेंट क्रूड के दाम 10 जून, 2022 को 112.24 डॉलर प्रति बैरल थे, जो अब घटकर केवल 74.95 डॉलर प्रति बैरल रह गए हैं।
सरकार की दलील है कि तीनों तेल मार्केटिंग कंपनियों ने पिछली तिमाही में अच्छा मुनाफा कमाया है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन का कुल शुद्ध मुनाफा पिछले साल की समान अवधि से 52 फीसदी बढ़कर 10,841.23 करोड़ रुपये हो गया। भारत पेट्रोलियम का शुद्ध मुनाफा 168 फीसदी बढ़कर 6,780 करोड़ रुपये और हिंदुस्तान पेट्रोलियम का मुनाफा 79 फीसदी बढ़कर 3,608 करोड़ रुपये रहा।
विश्लेषकों का कहना है कि काफी समय तक गिरने के बाद वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में दोनों ईंधनों पर कुल मुनाफा बढ़कर 2.5 रुपये प्रति लीटर हो गया, जो 10 महीने का सबसे ऊंचा स्तर था। उसके बाद चौथी तिमाही में कंपनियों को डीजल की बिक्री पर 1.2 रुपये प्रति लीटर घाटे का अनुमान है। मगर पेट्रोल पर उन्हें 6.8 रुपये प्रति लीटर का मुनाफा हो रहा है। इस तरह दोनों ईंधनों पर उसे कुल मिलाकर मुनाफा ही हो रहा है।
वित्त वर्ष 2023 में तेल मार्केटिंग कंपनियों ने रिकॉर्ड सकल रिफाइनिंग मार्जिन दर्ज किया। 1 बैरल ब्रेंट कूड को पेट्रोलियम उत्पाद में बदलने पर रिफाइनरियों को जो फायदा होता है, उसे रिफाइनिंग मार्जिन कहा जाता है। इंडियन ऑयल का वित्तीय ब्योरा बताता है कि वित्त वर्ष 2023 में उसका औसत रिफाइनिंग मार्जिन 19.52 डॉलर प्रति बैरल रहा, जो वित्त वर्ष 2022 में 11.25 डॉलर प्रति बैरल ही था।
अलबत्ता तेल कंपनियों के अधिकारियों ने कहा कि वे सरकार को बता चुके हैं कि सकल रिफाइनिंग मार्जिन पिछले कुछ महीनों में बढ़ा था, लेकिन अब इसमें कमी आ रही है। अप्रत्याशित लाभ कर का असर भी मुनाफे पर पड़ रहा है। ऐसे में अभी यह नहीं कहा जा सकता कि बुरा दौर पीछे छूट चुका है।
सरकार ने संसद को बताया था कि वित्त वर्ष 2023 के शुरुआती 9 महीनों में तेल मार्केटिंग कंपनियों को कुल 18,622 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, जबकि वित्त वर्ष 2022 की समान अवधि में इन कंपनियों का कर पूर्व लाभ 28,360 करोड़ रुपये था। पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस (एलपीजी) के खुदरा दाम तथा अंतरराष्ट्रीय दाम के बीच अंतर के कारण कंपनियों का घाटा हुआ था।