वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक केंद्र सरकार के बंदरगाहों (जिन्हें प्रमुख बंदरगाह भी कहा जाता है) ने कार्गो ट्रैफिक की वृद्धि के मामले में निजी बंदरगाहों व राज्य सरकार के बंदरगाहों (गैर प्रमुख बंदरगाहों) से बेहतर प्रदर्शन किया है। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक केंद्रीय बंदरगाहों का यह प्रदर्शन सामान्य रुझान के विपरीत रहा है।
वर्ष 2024-25 के दौरान प्रमुख बंदरगाहों की कार्गो संभालने की क्षमता करीब 5 फीसदी बढ़कर 348.06 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) रही। इसमें विदेशी कार्गो की हिस्सेदारी 4.9 फीसदी और तटीय कार्गो की हिस्सेदारी 5.2 फीसदी थी। यह कोविड के बाद के दौर में एक बड़ी उछाल है।
हालांकि, दूसरी तरफ इस अवधि में गैर प्रमुख बंदरगाहों के कार्गो में 2.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। गैर प्रमुख बंदरगाहों से विदेशी कार्गो में 4.29 प्रतिशत की वृद्धि जो प्रमुख बंदरगाहाें के मुकाबले प्रतिस्पर्धी है, लेकिन तटीय कार्गो में बड़ी गिरावट से गैर प्रमुख बंदरगाह पिछड़ गए हैं।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘प्रमुख बंदरगाह आक्रामक रूप से कार्गो हासिल करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। उनका शुल्क अपने समीपवर्ती अहम बंदरगाहों की तुलना में कहीं कम है। प्रमुख बंदरगाहों के तटीय कार्गो में इस साल सुधार हुआ है जबकि बीते साल कोई सुधार नहीं हुआ था, जिससे उनका आधार प्रभाव कम रहा।’
बीते साल इस अवधि में प्रमुख बंदरगाहों के तटीय कार्गो में करीब शून्य वृद्धि नजर आई थी। लेकिन गैर प्रमुख बंदरगाहों के ट्रैफिक में 2021-22 की तुलना में करीब 21 फीसदी की वृद्धि हुई थी। प्रमुख उद्योगों ने तटीय शिपिंग जरूरतों के लिए निजी बंदरगाहों की ओर रुख किया था।
इस वित्त वर्ष में तटीय कार्गो की आवाजाही तेजी से प्रमुख बंदरगाहों के अनुकूल हो रही है। प्रमुख बंदरगाहों का तटीय कार्गो अगस्त में 10 फीसदी बढ़कर 15.7 एमएमटी हुआ जबकि गैर प्रमुख बंदरगाहों का 3 फीसदी गिरकर 1.3 एमएमटी रहा।
विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में समुद्री मार्ग से सबसे ज्यादा ढुलाई की जाने वाली जिंस कच्चा तेल है। कई रिफाइनरियों जैसे बीपीसीएल कोच्चि, आईओसीएल और नायरा एनर्जी ने वित्त वर्ष 2025 (अब तक) में योजनाबद्ध ढंग से उत्पादन रोका था। इससे पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात प्रभावित हुआ था। इससे गैर प्रमुख बंदरगाहों से कच्चे तेल की आवाजाही सुस्त रही।