आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने मंगलवार को मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भारत का वृद्धि अनुमान 40 आधार अंक बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है। यह वृद्धि मौद्रिक और राजकोषीय सुगमता और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कटौती के चलते की गई है, हालांकि उच्च शुल्क दरों से निर्यात क्षेत्र पर ‘दबाव’ पड़ने की उम्मीद है।
वहीं दूसरी ओर वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसऐंडपी ग्लोबल ने चालू वित्त वर्ष के लिए लिए भारत का वृद्धि अनुमान 6.5 प्रतिशत बरकरार रखा है। एजेंसी को उम्मीद है कि घरेलू मांग मजबूत बनी रहेगी, जिसे मुख्य रूप से अनुकूल मॉनसून, आयकर और जीएसटी में कटौती के साथ-साथ बढ़ते सरकारी निवेश का समर्थन मिलेगा।
ओईसीडी ने अपने ताजा अंतरिम दृष्टिकोण में कहा, ‘उच्च शुल्क दरें भारत के निर्यात क्षेत्र पर दबाव डालेंगी, लेकिन कुल मिलाकर जीएसटी में सुधार सहित मौद्रिक और राजकोषीय नीति में सुगमता से गतिविधियों को समर्थन मिलने की उम्मीद है।’ हालांकि ओईसीडी ने अगले वर्ष के अनुमान को लेकर निराशा दिखाई है और वित्त वर्ष 2027 के वृद्धि अनुमान को 20 आधार अंक घटाकर 6.2 प्रतिशत कर दिया है।
वैश्विक आर्थिक मोर्चे पर ओईसीडी का अनुमान है कि यह 2025 की पहली छमाही के लिए वृद्धि अनुमान की तुलना में अधिक लचीला साबित हुआ है। ओईसीडी का कहना है कि पहली छमाही में वृद्धि दर 3.2 प्रतिशत रही, जो जून के अनुमान से 30 आधार अंक ज्यादा है। यह वृद्धि अमेरिका की उच्च शुल्क दरों की शुरुआत से पहले वस्तु उत्पादन और व्यापार में तेजी के कारण हुई है, जिसमें पहली छमाही के दौरान औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर अधिकांश जी-20 देशों में 2024 की औसत गति से अधिक है। इसमें कहा गया है, ‘उच्च तकनीकी क्षेत्रों में निवेश में मजबूत वृद्धि के कारण अमेरिका और जापान में भी गतिविधियां बढ़ीं। हालांकि अमेरिका और फ्रांस व इटली जैसे कुछ यूरो क्षेत्र के देशों में निजी खपत की वृद्धि कमजोर हुई है। तमाम उभरते बाजार वाली अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि की गति अप्रत्याशित रही है, लेकिन कुछ मामलों में यह विशिष्ट कारकों को दर्शाता है जिनके जारी रहने की उम्मीद नहीं है। इसमें ब्राजील में कृषि उत्पादन में पहली तिमाही में उछाल और भारत में दूसरी तिमाही में जीडीपी डिफ्लेटर की वृद्धि में भारी गिरावट शामिल है।’
ओईसीडी ने आगे कहा कि इस वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि में उल्लेखनीय कमी आने की उम्मीद है, क्योंकि फ्रंट-लोडिंग गतिविधि कम हो जाएगी और अमेरिका में आयात पर उच्च शुल्क दरें लागू हो जाएंगी और चीन में निवेश और व्यापार की वृद्धि कमजोर होगी।बढ़ी हुई भू-राजनीतिक और नीतिगत अनिश्चितता भी कई अर्थव्यवस्थाओं में घरेलू मांग पर दबाव डालती रहेगी।
ओईसीडी ने वित्त वर्ष 2026 में भारत में उपभोक्ता मूल्य में वृद्धि दर 2.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो उसके पहले के 4.1 प्रतिशत रहने के पूर्वानुमान से बहुत कम और वित्त वर्ष 2027 में 3 प्रतिशत वृद्धि के अनुमान के करीब है। भारत में खाद्य कीमतों में भारी गिरावट के अनुमान के कारण इसमें कमी की गई है, जिसे मजबूत घरेलू आपूर्ति और निर्यात पर प्रतिबंधों से मदद मिली है।
इसी तरह एसऐंडपी ने भी मौजूदा वित्त वर्ष के लिए अपने महंगाई के अनुमान को घटाकर 3.2 प्रतिशत किया है। ऐसे में एजेंसी को वित्त वर्ष 2026 में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर में 25 आधार अंक की कटौती की उम्मीद है।
एसऐंडपी ने कहा, ‘खाद्य महंगाई में उम्मीद से अधिक गिरावट के बाद इस वित्त वर्ष के लिए हमने भारत के लिए अपने महंगाई के अनुमान को घटाकर 3.2 प्रतिशत कर दिया है। इससे आगे मौद्रिक नीति में समायोजन की गुंजाइश है और हमें इस वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर में 25 आधार अंक की कटौती की उम्मीद है।’
भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने सोमवार को सीएनबीसी टीवी-18 से बात करते हुए कहा कि पहली तिमाही की वृद्धि की गति जुलाई-सितंबर तिमाही में भी जारी रहने की संभावना है, क्योंकि जीएसटी में सुधार से घरेलू मांग को बढ़ावा मिलेगा।