Agriculture Warehouse Market: भारत में कृषि वेयरहाउसिंग में उद्योग के लिए काफी संभावनाएं नजर आ रही है क्योंकि इस क्षेत्र में भंडारण क्षमता में काफी कमी है। अगले कुछ सालों में अनाज उत्पादन भी बढ़ने का अनुमान है। ऐसे में यह कमी और बढ़ सकती है। ऐसे में भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए उद्योग को बड़े निवेश की जरूरत है। वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड 35.4 करोड़ टन अनाज उत्पादन हुआ। इसके 2030-31 तक बढ़कर लगभग 36.8 करोड़ टन होने का अनुमान है।
उद्योग संगठन पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री (PHDCCI) ने गुरुवार को “Agriculture Warehouse Market in India 2025–2030” विषय पर एक पैनल चर्चा कर रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में तेजी से बढ़ते अनाज उत्पादन ने 2030 तक भंडारण में 690 लाख टन की कमी पैदा कर दी है, जिसके लिए तुरंत राष्ट्रीय स्तर पर निवेश की जरूरत है। हालांकि इस क्षेत्र में निजी उद्यमी गारंटी (PEG),कृषि अवसंरचना कोष (AIF) और PPP साइलो प्रोजेक्ट्स जैसी सरकारी स्कीमों ने नीतिगत माहौल को मजबूत किया है, लेकिन अनुबंधों, भूमि उपलब्धता और वित्तपोषण में आगे के सुधार से निजी निवेश के नए द्वार खुलेंगे।
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नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद ने बताया कि PHDCC की रिपोर्ट में वेयरहाउस की क्वांटिटी और क्वालिटी के मुद्दों को ठीक से बताया गया है और कृषि वेयरहाउसिंग के सभी पहलुओं में एक कॉमन बात रखी गई है। उन्होंने PHDCCI से कहा कि वह भारत की कृषि के वेयरहाउसिंग पहलुओं को पूरा करने के लिए कोल्ड स्टोरेज पर एक और विश्लेषणात्मक रिपोर्ट बनाए और इस सेक्टर के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करने और सरकार के संबंधित मंत्रालय के साथ सिफारिशें साझा करने के लिए नीति आयोग भारत सरकार के साथ मिलकर एक कार्यशाला आयोजित करे।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के अनाज प्रबंधन का भविष्य अब अत्याधुनिक तकनीकों पर टिकेगा जैसे IoT-आधारित क्लाइमेट मॉनिटरिंग, ऑटोमेटेड क्वालिटी लैब्स, डिजिटल ट्विन्स और ब्लॉकचेन आदि। 2025-26 में अनाज भंडारण बाजार 37,336 करोड़ रुपये का है, जो 2030-31 तक बढ़कर 43,953 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। ऐसे में इस क्षेत्र में उद्योग को काफी मौके मिल सकते हैं।
पीएचडीसीसीआई के इस पैनल चर्चा के दौरान सैफायर वेयरहाउसिंग का प्रतिनिधित्व करते हुए पवन प्रीत सिंह ने वेयरहाउसिंग सेक्टर की व्यावहारिकता और कारोबारी सुगमता को मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कई गंभीर चुनौतियों की ओर भी ध्यान दिलाया जैसे उच्च बीमा लागत, जीएसटी से जुड़ी जटिलताएं, कड़े अनुबंध प्रावधान, PEG प्रदाताओं को भुगतान और ब्याज लागत का बढ़ता दबाव आदि।
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सिंह ने इन मुद्दों पर तत्काल नीतिगत हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने कहा कि किफायती वित्तपोषण की उपलब्धता और एग्री-वेयरहाउसिंग उद्योग को प्राथमिकता क्षेत्र का दर्जा दिया जाना समय की जरूरत है।
PHDCCI के सीईओ और महासचिव डॉ. रणजीत मेहता ने कहा कि भारत एक कृषि अर्थव्यवस्था है और “दुनिया का फूड बास्केट” बनने के लिए तैयार है। भारत के कृषि सेक्टर में वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक ग्रोथ का साइलेंट इंजन है। इसलिए सरकार भारत में वेयरहाउसिंग में निजी सेक्टर के निवेश को बढ़ावा देने के लिए समझदारी भरे कदम उठा रही है।