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Infosys का ₹18,000 करोड़ का शेयर बायबैक शुरू, कब तक कर सकेंगे अप्लाई; क्या आपको शेयर टेंडर करने चाहिए?

Infosys Buyback: बायबैक 20 नवंबर से शुरू होकर 26 नवंबर शाम 5 बजे तक चलेगा। जो शेयरधारक इसमें हिस्सा लेंगे, उन्हें भुगतान 3 दिसंबर तक कर दिया जाएगा।

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जतिन भूटानी   
Last Updated- November 20, 2025 | 11:05 AM IST

Infosys buyback: आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी इंफोसिस का 18,000 करोड़ रुपये का शेयर बायबैक कार्यक्र गुरुवार (20 नवंबर) से सब्सक्रिप्शन के लिए खुल गया है। यह कंपनी के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा बायबैक है। एलिजिबल निवेशकों के पास इंफोसिस बायबैक में अपने शेयर टेंडर करने के लिए पांच ट्रेडिंग दिन होंगे। तय समयसीमा के अनुसार, इंफोसिस का शेयर बायबैक विंडो 26 नवंबर तक खुला रहेगा।

इंफोसिस बायबैक के लिए एलिजिबल शेयरहोल्डर्स के नाम तय करने की रिकॉर्ड डेट 14 नवंबर थी। इसलिए केवल वही शेयरहोल्डर्स इस बायबैक में अपने शेयर टेंडर कर सकते हैं जिनके पास 14 नवंबर तक उनके डिमैट खाते में इंफोसिस के शेयर मौजूद थे।

Infosys Share buyback Details

इंफोसिस के शेयरधारकों ने शेयर बायबैक को मंजूरी दे दी। कंपनी 5 रुपये फेस वैल्यू वाले 10 करोड़ तक के फुली पेड शेयर वापस खरीदेगी। इस बायबैक पर कुल 18,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। शेयरों का बायबैक टेंडर ऑफर के जरिए होगा। बायबैक की कीमत 1,800 रुपये प्रति शेयर तय की गई है।

बायबैक 20 नवंबर से शुरू होकर 26 नवंबर शाम 5 बजे तक चलेगा। जो शेयरधारक इसमें हिस्सा लेंगे, उन्हें भुगतान 3 दिसंबर तक कर दिया जाएगा। शेयरहोल्डर्स की एलिजिबिलिटी तय करने की डेट 14 नवंबर थी। केफिन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड को इस बायबैक का रजिस्ट्रार बनाया गया है। कोटक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग इस पूरे सौदे का प्रबंधन कर रही है।

बायबैक की शर्तों के अनुसार, छोटे शेयरधारकों को हर 11 शेयर पर 2 शेयर टेंडर करने का हक मिलेगा। सामान्य श्रेणी के अन्य शेयरधारकों के लिए हर 706 शेयर पर 17 शेयर की एलिजिबिलिटी होगी। कंपनी इस बायबैक के लिए अपनी उपलब्ध नकदी का इस्तेमाल करेगी। इंफोसिस ने कहा है कि इस बायबैक से उसकी आय पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा।

Infosys Buyback: शेयर टेंडर करना चाहिए या नहीं?

एनालिस्ट्स ने कहा कि निचले कर दायरे में एक निवेशक के लिए बायबैक में हिस्सा लेना बेहतर होगा क्योंकि इससे उसे अधिक राशि उपलब्ध रहेगी। हालांकि, हाई टैक्स श्रेणी (16 लाख रुपये से अधिक वार्षिक आय) में एक निवेशक के लिए बायबैक में सौंपने के बजाय खुले बाजार में शेयरों को बेचना टैक्स सेविंग्स के लिहाज से अधिक फायदेमंद हो सकता है।

एक्सिस सिक्योरिटीज के अनुसार, रिटेल निवेशकों की भागीदारी कुल मिलाकर कम रहने की संभावना है। लेकिन इस बायबैक को छोटे शेयरहोल्डर्स के लिए एक ‘लाभदायक अवसर’ बताया है। नए टैक्स नियमों के तहत बायबैक से मिलने वाली राशि को डिविडेंड आय माना जाएगा और व्यक्तिगत टैक्स स्लैब के अनुसार उस पर टैक्स लगेगा। वहीं, कंपनी की तरफ से खरीदे गए शेयरों की लागत को शेयरधारकों के लिए कैपिटल लॉस माना जाएगा, जिसे वे अपनी अन्य कैपिटल गेन से समायोजित कर सकते हैं। यदि चालू वर्ष में कैपिटल गेन कम हैं और यह घाटा पूरी तरह एडजस्ट नहीं होता, तो इसे अगले आठ वर्षों तक आगे ले जाया जा सकता है और भविष्य के कैपिटल गेन के खिलाफ सेट-ऑफ किया जा सकता है।

First Published : November 20, 2025 | 10:58 AM IST