India Russia Oil Import: भारत भेजे जाने के लिए रूस में कच्चे तेल का लदान नवंबर में 3 साल के निचले स्तर तक लुढ़क गया। इससे पता चलता है कि अमेरिकी प्रतिबंध के कारण भारतीय रिफानिंग कंपनियां सतर्क रुख अपना रही हैं। अमेरिका ने रूस के दो बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुक ऑयल पर प्रतिबंध लगा दिया है। इन कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंध 21 नवंबर से प्रभावी होंगे।
मैरीटाइम इंटेलिजेंस फर्म केप्लर के अनुसार, नवंबर में अब तक भारत के लिए रूसी तेल का लदान पिछले महीने के मुकाबले लगभग आधा रह गया है। 20 नवंबर तक भारत को भेजे गए रूसी तेल की मात्रा 9.82 लाख बैरल प्रति दिन रही, जबकि अक्टूबर में यह आंकड़ा 18.6 लाख बैरल प्रति दिन था। भारतीय रिफाइनर अमेरिकी ऑफिस ऑफ फॉरेन ऐसेट्स कंट्रोल (ओएफएसी) के प्रतिबंधों के मद्देनजर रूसी कच्चा तेल खरीदने के प्रति अधिक सतर्क हो गए हैं।
केप्लर के प्रमुख अनुसंधान प्रमुख (रिफाइनिंग एवं मॉडलिंग) सुमित रिटोलिया ने कहा, ‘इस गिरवट की मुख्य वजह भारतीय रिफाइनरों की रूसी आपूर्तिकर्ता रोसनेफ्ट और लुक ऑयल पर लगे अमेरिकी प्रतिबंध है। हालांकि वॉल्यूम में अभी भी बदलाव हो सकता है क्योंकि रास्ते में मौजूद कुछ जहाज अपने आखिरी गंतव्य को बदल सकते हैं। मगर मौजूदा रुझान बिल्कुल स्पष्ट है कि भारत के लिए लदान में नरमी आई है।’
सरकारी कंपनी इंडियन ऑयल और निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज अमेरिकी प्रतिबंध को मानने के लिए सहमत हैं, जबकि एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लिमिटेड (एचएमईएल) ने रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के बाद रूस से तेल खरीद को रोक दिया है। भारत को रूसी तेल की आपूर्ति में दोनों प्रतिबंधित रूसी कंपनियों का योगदान 60 से 70 फीसदी है।
आरआईएल के पास रोसनेफ्ट से करीब 5 लाख बैरल प्रति दिन कच्चा तेल खरीदने का दीर्घावधि अनुबंध है, जबकि नायरा एनर्जी में 49 फीसदी हिस्सा रूस की सरकारी कंपनी का है। इसके विपरीत भारतीय सरकारी रिफाइनिंग कंपनियों का रूस के साथ कोई दीर्घावधि अनुबंध नहीं है। वे ज्यादातर बिचौलियों के जरिये हाजिर बाजार से खरीदारी करती हैं ताकि किसी प्रतिबंध के सीधे असर से बचा जा सके।
सरकारी रिफाइनरी के अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि रूस की प्रतिबंधित कंपनियों से कच्चे तेल की खरीद से बचने की कोशिश की जाएगी। अधिकारी ने कहा, ‘हम व्यापारियों से तेल खरीदते हैं लेकिन हमेशा सोर्स के बारे में भी पूछते हैं। अगर कोई ऐसा रास्ता मिलता है जो हमें उन प्रतिबंधित कंपनियों तक ले जाता है तो हम उसे हाथ नहीं लगाएंगे।’ भले ही रूस से लदान में भारी कमी आई है, लेकिन नवंबर में भारत के लिए रवाना होने वाले रूसी तेल की मात्रा 17.39 फीसदी बढ़ गई क्योंकि रिफाइनर 21 नवंबर की अंतिम तिथि से पहले अधिक से अधिक खरीदारी करने में जुट गए।