अब लेफ्ट पार्टियों के हटने के साथ ही सरकार के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियो (पीएसयू) के विनिवेश रास्ता साफ हो गया है।
उसे ऑयल इंडिया लि., एनएचपीसी लि. और राइट्स समेत अन्य सभी कंपनियों के आईपीओ पर कुछ करने से पहले शेयर बाजार के फिर से बेहतर होने का इंतजार करती दिख रही है।
सरकार की योजना है कि वह इन सार्वजनिक कंपनियों की दस फीसदी हिस्सेदरियों को आईपीओ के जरिए बेचते हुए शेयर बाजार में आईपीओ से संबंधित अवसरों का लाभ उठाया जाए। इस प्रकार 10 फीसदी की हिस्सेदारी बेचकर कुल 2,000 से 3,000 करोड़ रुपये जुटाए जाने की सरकार की योजना है। इस रकम को राष्ट्रीय निवेश फंड में जमा किया जाएगा।
आईपीओ की हालत नवंबर तक बेहतर होने की उम्मीद है। एक वित्त मंत्रालय के आधिकारी के अनुसार इन कंपनियों को बाजार में उतारने के लिए जरूरी है कि बाजार में और स्थिरता आए। उनके मुताबिक यह खासा अहम है कि कंपनियों को बेहतर कीमत मिले और इनके आईपीओ को अच्छे खरीददार मिलें, लेकिन इस वक्त बाजार बहुत सही हालत में नही है। लिहाजा कंपनियों को कुछ समय तक इंतजार करना पड़ सकता है।
यह 2 से 3 महीनों लंबा हो सकता है। बकौल अधिकारी सरकारी शेयरों का प्राइवेट प्लेसमेंट संभव नहीं है लिहाजा उन्हें पारदर्शी और बुक-बिल्डिंग प्रक्रिया से गुजरना होगा। मालूम हो कि जनवरी में अपने सबसे उच्चतम 21,000 अंकों पर होने के बाद सेंसेक्स गिरकर अब 14,359 अंकों के स्तर पर है। ऐसा वैश्विक वित्तीय संकट और घरेलू अर्थव्यवस्था में महंगाई ज्यादा होने के कारण हुआ है।
ऑयल इंडिया के कुल कारोबार की बात करें तो 2007-08 में यह 6,100 करोड़ रुपये रहा जबकि कुल 1,800 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा इस कंपनी ने बनाया है। एनएचपीसी की बात की जाए तो कुल 3,155 करोड़ रुपये के कारोबार के साथ कुल 1,004 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा इसे हुआ है। हालांकि राइट्स यानी आरआईटीइएस के शुद्ध मुनाफे की बात करें तो सीएजीआर के आधार पर इसकी विकास दर 2003-04 से 2006-07 के बीच 29.19 फीसदी की रही है।