facebookmetapixel
बीमा क्षेत्र में 100% FDI का रास्ता होगा साफ! सरकार शीतकालीन सत्र में बड़ा बदलाव लाने की तैयारी मेंCorporate Action: अगले हफ्ते मार्केट में स्प्लिट-डिविडेंड-बोनस का मिलेगा तगड़ा मिश्रण, निवेशकों की चांदीG20 में PM मोदी के बड़े सुझाव: अफ्रीका के विकास से लेकर वैश्विक पारंपरिक ज्ञान तक बड़ा एजेंडाDividend Stocks: नवंबर के आखिरी हफ्ते निवेशकों की चांदी, कई कंपनियां अपने शेयरधारकों को बांटेगी डिविडेंडUP में युवाओं के लिए रोजगार का बड़ा मौका, KVIC से 21% ज्यादा नौकरियां!Car Loan Offer: सिर्फ 7.6% पर कार लोन! EMI केवल ₹10,000 के करीब; जानें कौन दे रहा है सबसे सस्ता ऑफरभारत की पहली मरीन NBFC सागरमाला फाइनेंस ने बढ़ाई कर्ज सीमा, समुद्री प्रोजेक्ट्स को ₹25,000 करोड़ की राहतSudeep Pharma IPO: सब्सक्राइब करें या नहीं? पूरा रिव्यू 3 मिनट में!Bonus Stocks: अगले हफ्ते ये दो बड़ी कंपनियां निवेशकों को बांटेगी बोनस, पोर्टफोलियो में जुटेगें नए शेयरSIP निवेशक की गाइड: कब और कैसे करें निकासी; एक्सपर्ट से समझें

Income Tax Refund पर राहत: देर से रिटर्न भरने वालों को भी मिलेगा पैसा, सरकार बदल सकती है नियम

सरकार 2025 के नए आयकर विधेयक में बदलाव करेगी, जिससे तय तारीख के बाद भी रिटर्न दाखिल करने पर टैक्सपेयर्स को आयकर रिफंड मिल सकेगा, नियम होगा स्पष्ट।

Last Updated- June 15, 2025 | 8:49 PM IST
Finance Minister Nirmala Sitharaman
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण | फाइल फोटो

टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए सरकार नए आयकर (आई-टी) विधेयक, 2025 में विवादास्पद रिफंड नियम में संशोधन करने की योजना बना रही है, जिसमें कहा गया है कि अगर आयकर रिटर्न नियत तारीख के बाद दाखिल किया जाता है तो रिफंड नहीं मिलेगा। यह जानकारी वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने दी। नए आई-टी विधेयक की धारा 433 में कहा गया है कि रिफंड का दावा रिटर्न दाखिल करके करना होगा, चाहे वह देर से दाखिल किया जाए। इसके विपरीत, धारा 263(1)(a)(ix) में उल्लेख है कि रिफंड पाने के लिए रिटर्न नियत तारीख तक दाखिल करना होगा, जिससे एक विरोधाभास पैदा होता है।

एक सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, “विशेषज्ञों और हितधारकों ने ड्राफ्ट विधेयक में रिफंड नियम को लेकर चिंता जताई है। यह एक ड्राफ्टिंग त्रुटि थी, जिसे ठीक किया जाएगा।”

अधिकारी ने आगे कहा, “नए कानून में रिफंड से संबंधित नियम मौजूदा कानून जैसे ही रहेंगे।”

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 13 फरवरी को नए आई-टी विधेयक, 2025 को पेश किया था। इसके बाद 31 सांसदों की एक चयन समिति बनाई गई थी, जो इसकी जांच कर रही है। मार्च में, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने हितधारकों से सुझाव मांगे थे, जिन्हें चयन समिति को भेजा गया। इन सुझावों का उद्देश्य नियमों को स्पष्ट करना और टैक्सपेयर्स पर अनुपालन का बोझ कम करना था।

अधिकारी के अनुसार, चयन समिति संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। अधिकारी ने कहा, “मंत्रालय चयन समिति की सिफारिशों का विश्लेषण करेगा, जिसके बाद विधेयक में बदलाव किए जाएंगे।”

संसद से पारित होने के बाद, नया आयकर कानून 1 अप्रैल, 2026 से लागू होने की उम्मीद है। हालांकि, इसको लेकर मंत्रालय को भेजे गए एक ईमेल का जवाब इस समाचार के प्रकाशन तक नहीं मिला।

Also Read: खुशखबरी! इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ITR भरने की बढ़ाई डेडलाइन, अब इस तारीख तक कर सकते हैं फाइल

टैक्सपेयर्स के लिए रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा

आयकर रिटर्न दाखिल करने की नियत तारीख टैक्सपेयर के आधार पर अलग-अलग होती है। अधिकांश व्यक्तिगत टैक्सपेयर्स, जैसे वेतनभोगी कर्मचारी और हिंदू अविभाजित परिवार (HUF), जिन्हें ऑडिट की आवश्यकता नहीं होती, के लिए समयसीमा आमतौर पर मूल्यांकन वर्ष के 31 जुलाई तक होती है। व्यवसायों, पेशेवरों और कंपनियों, जिनके खातों का कर ऑडिट होता है, के लिए समयसीमा 31 अक्टूबर तक होती है। देर से या संशोधित रिटर्न 31 दिसंबर तक दाखिल किया जा सकता है, हालांकि देर से दाखिल करने पर जुर्माना लग सकता है और नुकसान को आगे ले जाने जैसे लाभों पर रोक लग सकती है।

टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज के पार्टनर विवेक जालान ने कहा, “CBDT ने दावा किया है कि नए आई-टी विधेयक, 2025 में रिफंड से संबंधित नियमों में कोई नीतिगत बदलाव नहीं है, लेकिन यह सच है कि धारा 263(1)(a)(ix) में कहा गया है कि रिफंड का दावा करने के लिए रिटर्न नियत तारीख तक दाखिल करना होगा।”

जालान ने आगे कहा, “लेकिन धारा 433 में कहा गया है कि रिफंड केवल रिटर्न दाखिल करते समय मांगा जा सकता है, जो इस मुद्दे को और जटिल बनाता है। इससे कर निर्धारण अधिकारी देर से दाखिल रिटर्न पर रिफंड देने से मना कर सकते हैं। मौजूदा कर कानून में, अगर कोई व्यक्ति मूल्यांकन वर्ष के 31 दिसंबर तक देर से रिटर्न दाखिल करता है, तब भी वह अतिरिक्त कर के लिए रिफंड का दावा कर सकता है।”

जालान के अनुसार, ऐसे नियम उन टैक्सपेयर्स के लिए परेशानी पैदा करेंगे जो नियत तारीख चूक जाते हैं। मंत्रालय को ड्राफ्ट आई-टी विधेयक, 2025 को अंतिम रूप देते समय इस नियम में बदलाव करना चाहिए ताकि टैक्सपेयर्स को मुकदमेबाजी का सामना न करना पड़े।

इसी तरह, ध्रुवा एडवाइजर्स के पार्टनर पुनीत शाह ने कहा, “धारा 263 और 433 के बीच का तालमेल देर से या संशोधित कर रिटर्न पर रिफंड दावे को लेकर भ्रम पैदा करता है। यह सरकार का इरादा नहीं हो सकता और यह एक ड्राफ्टिंग त्रुटि प्रतीत होती है। सरकार को संबंधित नियमों में संशोधन करना चाहिए ताकि देर से या संशोधित कर रिटर्न में भी रिफंड का दावा किया जा सके।”

First Published - June 15, 2025 | 8:49 PM IST

संबंधित पोस्ट