भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार देश के नगर निगमों को कर से प्राप्त होने वाले राजस्व के स्रोतों को बढ़ाने के लिए समग्र सुधार की जरूरत है। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार नगर निगमों को इस्तेमाल करने वालों पर लगाए गए शुल्क को तार्किक बनाने और वंचना को रोककर संग्रह के तंत्र को मजबूत बनाने की आवश्यकता है।
बहरहाल, नगर निगमों के राजस्व खाते में अधिशेष रहता है लेकिन वे बहुत अधिक सरकार के ऊपरी स्तर से स्थानांतरण व शुल्कों पर निर्भर रहते हैं। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर नगर निगमों के पास खर्चे से निपटने के लिए अपने राजस्व स्रोत नहीं हैं। इससे नगर निगमों की कार्यप्रणाली और स्वायत्ता प्रभावित होती है।
रिजर्व बैंक ‘नगर निगमों के राजस्व सृजन के अपने स्रोतों : अवसरों और चुनौतियों’ पर आज रिपोर्ट जारी की। इसमें देश की 232 नगर निगमों के बजट के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया और ये नगर निगम देश के कुल नगर निगमों के 90 प्रतिशत से अधिक हैं।
नगर निगमों की राजस्व प्राप्तियां मार्च, 2024 की समाप्ति (वित्त वर्ष 24) पर सालाना आधार पर 20.1 प्रतिशत बढ़कर 1.7 लाख करोड़ रुपये हो गईं। हालांकि इससे पिछले वर्ष में राजस्व 1.42 लाख करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 22 में 1.37 लाख करोड़ रुपये था।