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Manufacturing PMI: जनवरी में एक्सपोर्ट और नए ऑर्डर ने दिया उछाल, मैन्युफैक्चरिंग PMI 6 महीने के टॉप पर

Manufacturing PMI: सर्वे में यह भी बताया गया कि इनपुट कॉस्ट में दूसरी बार गिरावट दर्ज हुई है, जिससे कंपनियों पर फाइनल प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ाने का दबाव कम हुआ है।

Last Updated- February 03, 2025 | 11:30 AM IST
UP's targeted intervention for MSMEs could boost industrial output, jobs
PMI Manufacturing

Manufacturing PMI: जनवरी में भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने दमदार शुरुआत की है। दिसंबर में थोड़ी सुस्ती के बाद अब एक्सपोर्ट्स में करीब 14 साल की सबसे तेज बढ़त देखने को मिली है। नए ऑर्डर्स भी जुलाई के बाद सबसे तेज रफ्तार से बढ़े हैं। इस वजह से जनवरी का मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) छह महीने के टॉप लेवल पर पहुंच गया है।

HSBC और S&P Global द्वारा जारी किए गए डेटा के अनुसार, जनवरी में PMI 57.7 रहा, जबकि दिसंबर में यह 56.4 था। बता दें कि PMI का 50 से ऊपर होना सेक्टर में ग्रोथ को दर्शाता है, जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा गिरावट को दिखाता है।

जबरदस्त एक्सपोर्ट्स और ऑर्डर्स की इस तेजी से भारतीय प्रोड्यूसर्स ने नए साल की मजबूत शुरुआत की है, जो आगे भी इकोनॉमी के लिए पॉजिटिव संकेत माना जा रहा है।

सर्वे के मुताबिक, कॉस्ट प्रेशर 11 महीनों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया, लेकिन मांग में तेजी के चलते कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ाए। इसके साथ ही बिजनेस कॉन्फिडेंस भी मजबूत हुआ है। खरीदारी में बढ़ोतरी और रिकॉर्ड लेवल पर रोजगार सृजन देखने को मिला है। नए ऑर्डर्स में उछाल की वजह बेहतर घरेलू मांग और इंटरनेशनल सेल्स में बढ़ोतरी रही। खास बात यह रही कि भारतीय प्रोडक्ट्स की अंतरराष्ट्रीय मांग में 14 साल की सबसे तेज रफ्तार से बढ़ोतरी दर्ज की गई।

HSBC की चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी ने कहा, “डोमेस्टिक और एक्सपोर्ट डिमांड दोनों मजबूत बनी हुई हैं, जिससे नए ऑर्डर्स में ग्रोथ देखने को मिल रही है।” उन्होंने आगे बताया कि एम्प्लॉयमेंट PMI ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मजबूत जॉब क्रिएशन का संकेत दिया है। यह इंडेक्स अपने लॉन्च के बाद से अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है।

सर्वे में यह भी बताया गया कि इनपुट कॉस्ट में दूसरी बार गिरावट दर्ज हुई है, जिससे कंपनियों पर फाइनल प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ाने का दबाव कम हुआ है।

इसके साथ ही कंपनियां भविष्य को लेकर भी ज्यादा आशावादी हो गई हैं। लगभग 32% कंपनियों ने कहा कि वे ग्रोथ की उम्मीद कर रही हैं, जबकि सिर्फ 1% कंपनियों ने प्रोडक्शन में कमी की आशंका जताई है।

नए सर्वे के मुताबिक, भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ग्रोथ के संकेत बेहद मजबूत हैं। पैनल मेंबर्स का कहना है कि डिमांड में तेजी, ग्राहकों के साथ बेहतर संबंध, अनुकूल आर्थिक परिस्थितियां और मार्केटिंग के प्रयास इस ग्रोथ को और बढ़ावा देंगे।

सर्वे के अनुसार, मजबूत बिक्री और सकारात्मक भविष्यवाणी के चलते कंपनियों ने वित्तीय वर्ष की चौथी तिमाही की शुरुआत में नए कर्मचारियों की भारी संख्या में भर्तियां कीं। रोजगार में यह बढ़त पिछले 20 वर्षों में सबसे तेज रही, जिससे यह संकेत मिलता है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में एक्टिविटी अपने चरम पर है।

जनवरी में भारतीय कंपनियों ने इनपुट्स की खरीदारी में तेजी दिखाई, जो पिछले तीन महीनों में सबसे तेज रही। इन्वेंटरी बढ़ाने की कोशिशों में कंपनियां कामयाब रहीं क्योंकि सप्लायर्स ने समय पर डिलीवरी की। सर्वे के मुताबिक, वेंडर परफॉर्मेंस बीते आठ महीनों में सबसे बेहतर रही, जबकि इनपुट स्टॉक्स का जमाव अक्टूबर 2024 के बाद सबसे तेज स्तर पर पहुंच गया।

 

जनवरी 2024 56.5
फरवरी 56.9
मार्च 59.1
अप्रैल 58.8
मई 57.5
जून 58.3
जुलाई 58.1
अगस्त 57.5
सितंबर 56.5
अक्टूबर 57.5
नवंबर 56.5
दिसंबर 56.4
जनवरी 2025 57.7
Source: HSBC

First Published - February 3, 2025 | 11:30 AM IST

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