भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज कहा कि हाल में खत्म हुए वित्त वर्ष 2022-23 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7 फीसदी के आधिकारिक अनुमान से अधिक रह सकती है। दास ने यह भी कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति में नरमी आई है, लेकिन इस पर नजर रखे जाने की जरूरत है क्योंकि मौसम की अनिश्चितता रोड़ा बन सकती है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम में दास ने कहा, ‘मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है और हमें सचेत रहने की जरूरत है। आत्मसंतुष्टि की गुंजाइश नहीं है। हमें देखना होगा कि अल-नीनो का कैसा असर रहता है।’
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 4.7 फीसदी रह गई थी, जो मार्च में 5.66 फीसदी थी। दास ने कहा कि मई में खुदरा मुद्रास्फीति में और कमी आ सकती है।
दास ने कहा कि नीतिगत दरें घटाने या बढ़ाने का निर्णय उनके हाथ में नहीं है। यह फैसला मौद्रिक नीति समिति लेती है, जो हालात को देखकर ही कुछ तय करती है। अप्रैल में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सभी को चकित करते हुए दरें बढ़ाने का सिलसिला रोक दिया था और रीपो दर 6.5 फीसदी बनाए रखने का निर्णय किया था।
वृद्धि दर पर दास ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2023 में जीडीपी की वृद्धि दर 7 फीसदी से अधिक रहने की संभावना है। आंकड़े इस महीने के अंत तक आएंगे। सभी हालिया रुझान देखते हुए पिछले वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर 7 फीसदी के आधिकारिक अनुमान से ज्यादा रहे तो हैरानी नहीं होगी।’
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय वित्त वर्ष 23 और जनवरी-मार्च 2023 तिमाही के जीडीपी वृद्धि के आंकड़े 31 मई को जारी करेगा।
आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘जनवरी-मार्च तिमाही के सभी आर्थिक संकेतकों से पता चलता है कि आर्थिक गतिविधियों में रफ्तार बनी हुई है और उच्च आवृत्ति वाले जिन संकेतकों पर हम नजर रखते हैं, उन सभी में वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में भी तेजी बनी हुई थी।’
आर्थिक समीक्षा में सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए 6.5 फीसदी जीडीपी वृद्धि का भरोसा जताया है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 6.3 फीसदी और विश्व बैंक ने 5.9 फीसदी वृद्धि दर का अनुमान लगाया है। दास ने कहा कि भू-राजनीतिक अनिश्चितता और वैश्विक व्यापार में गिरावट से देश से होने वाला निर्यात गिर सकता है, जो चुनौतीपूर्ण स्थिति होगी।
2,000 रुपये के नोट वापस लिए जाने के निर्णय पर दास ने कहा कि आरबीआई स्थिति पर लगातार नजर रख रहा है। उन्होंने भरोसा जताया कि यह कवायद बिना किसी परेशानी के पूरी होगी।
आरबीआई ने अपनी मुद्रा प्रबंधन नीति के तहत बीते शुक्रवार को 2,000 रुपये के नोट वापस लेने की घोषणा की थी। मंगलवार से ये नोट बदलने और खातों में जमा कराने का काम शुरू भी हो गया। लोग 30 सितंबर तक 2,000 रुपये के नोट बदल या जमा करा सकते हैं। इस नोट की वैधता अभी खत्म नहीं की गई है।
नोट बदलने की 30 सितंबर की समयसीमा के बारे में उन्होंने कहा कि कोई भी प्रक्रिया बिना समयसीमा के कारगर नहीं रहती। उन्होंने कहा, ‘इसके लिए लोगों को समय चाहिए और हमने पर्याप्त मोलहत दी है।’
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भारतीय बैंकिंग तंत्र स्थिर और मजबूत बना हुआ है। बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त पूंजी और तरलता बनी हुई है तथा परिसंपत्ति की गुणवत्ता भी सुधर रही है। उन्होंने कहा, ‘आरबीआई देश में वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए अपना श्रेष्ठ प्रयास करेगा।’
दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने भारतीय मुद्रा यानी रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण का कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया है क्योंकि यह लंबे समय तक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है और आरबीआई इस पर काम कर रहा है। 17 बैंकों ने रुपये में विदेशी व्यापार की सुविधा के लिए 65 विशेष वोस्त्रो खाते खोले हैं। आरबीआई ने 18 देशों के साथ व्यापार निपटान खाते को मंजूरी दी है।