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FY24 में भारत की GDP ग्रोथ घटकर रह सकती है 6.3%, महंगाई धीरे-धीरे होगी कम: OECD

OECD रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि धीमी ग्रोथ के कारण, महंगाई दर के अनुमान, आवास की कीमतें और मजदूरी सभी धीरे-धीरे कम हो जाएंगी।

Last Updated- November 29, 2023 | 7:04 PM IST
GDP base year revision: Government considering changing the base year for GDP calculation to 2022-23 जीडीपी गणना के लिए आधार वर्ष को बदलकर 2022-23 करने पर विचार कर रही सरकार

चालू वित्त वर्ष में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में गिरावट देखने को मिल सकती है। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) ने बताया कि वित्त वर्ष 23 में भारत की GDP में 7.2 फीसदी की वृद्धि दर के बाद वित्त वर्ष-24 में गिरावट आने का अनुमान है। संगठन ने कहा कि GDP ग्रोथ की रफ्तार में कमी की मुख्य वजह प्रतिकूल मौसम संबंधी घटनाएं और कमजोर इंटरनैशनल आउटलुक होंगी।

वित्त वर्ष 2026 में वापसी से पहले, अगले वित्तीय वर्ष में GDP की वृद्धि दर और धीमी होकर 6.1 प्रतिशत होने की आशंका है।

महंगाई दर में आती रहेगी गिरावट

रिपोर्ट में कहा गया कि ‘बढ़ते सेवाओं के निर्यात (services exports) और सार्वजनिक निवेश (Public investments) से अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलती रहेगी। क्रय शक्ति (पर्चेंजिंग पावर) में सुधार के साथ महंगाई दर में लगातार गिरावट आती रहेगी।

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FY26 में फिर बढ़ेगी GDP ग्रोथ

रिपोर्ट में आगे बताया गया कि ‘अल नीनो मौसम पैटर्न की समाप्ति, हाल के नीतिगत सुधारों से उत्पादकता (प्रोडक्टिविटी) में वृद्धि और वैश्विक स्थितियों में सुधार के साथ, वित्त वर्ष 2025-26 में 6.5 प्रतिशत की अनुमानित real GDP ग्रोथ के साथ आर्थिक गतिविधियों को मजबूत करने में मदद मिलेगी।’

हेडलाइन मुद्रास्फीति को कम करने में मिलेगी मदद

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि धीमी ग्रोथ के कारण, महंगाई दर के अनुमान, आवास की कीमतें और मजदूरी सभी धीरे-धीरे कम हो जाएंगी। इससे हेडलाइन मुद्रास्फीति को 4.2 प्रतिशत तक लाने में मदद मिलेगी, जो RBI को 2024 के मध्य से 2025 के अंत तक ब्याज दरों को कम करके 5.5 प्रतिशत तक लाने में मदद करेगा।

हटेंगे चावल, गेहूं के एक्सपोर्ट बैन

इसके अलावा, बढ़ती महंगाई दर से लड़ने के लिए पिछले साल लगाए गए व्यापार प्रतिबंध – जैसे- गेहूं और चावल पर निर्यात प्रतिबंध, वापस ले लिए जाएंगे। इससे निर्यात वृद्धि को ठीक होने में मदद मिलेगी। जिसके चलते, चालू खाता घाटा ‘मैनेजेबल’ लेवल के भीतर रहेगा।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘हालांकि आर्थिक एंडीकेटर्स बताते हैं कि भारत की वृद्धि फिलहाल स्थिर (stable) है, लेकिन बढ़ती वैश्विक अनिश्चितता से मजबूत प्रतिकूल परिस्थितियां भी हैं। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री जैसे कुछ सामाजिक-आर्थिक संकेतकों (socio-economic indicators) की निराशाजनक डॉयनामिक्स के साथ-साथ घरेलू नीति सख्त होने का हल्का प्रभाव महसूस किया जाता रहेगा।’

First Published - November 29, 2023 | 6:48 PM IST

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