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निर्यात के नए बाजार ढूंढ़ने की कोशिशों के बावजूद, अमेरिका में बढ़ा भारत का निर्यात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के दौरान भारत की अमेरिका से आयात बढ़ाने की अक्षमता पर भी चर्चा हो सकती है।

Last Updated- June 20, 2023 | 10:32 PM IST
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निर्यात के नए बाजार ढूंढ़ने की कोशिशों के बावूजद भारत का निर्यात अमेरिका को बढ़ता जा रहा है। भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात बीते 12 वर्षों में 7 फीसदी से बढ़कर 2022-23 (वित्त वर्ष 23) में 17.4 फीसदी को छू गया। अमेरिका को होने वाले निर्यात में 2011-12 के बाद बदलाव का रुझान आया।

इसके विपरीत 1998-99 से 2010-11 के दौरान भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात में निरंतर गिरावट आई। भारत के वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक यह 1998-99 में 21.7 फीसदी से गिरकर 2010-11 में 10.1 फीसदी आ गया। हालांकि भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 23 के स्तर से अधिक महामारी के वर्षों 2020-21 और 2021-22 के दौरान रही थी।

वाणिज्य मंत्रालय ने 2017 में विदेश व्यापार नीति की 2015-20 की मध्यावधि समीक्षा के लिए विजन स्टेटमेंट जारी किया था। इसमें वाणिज्य मंत्रालय ने कहा था कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी के बावजूद निर्यात के नए बाजार खोजने की नीति कारगर रही। यह आने वाले समय में भी देश की व्यापर नीति को निर्धारित करने का प्रमुख तत्त्व रहेगी। इस क्रम में विभिन्न उत्पादों के निर्यात पर भी ध्यान केंद्रित रहेगा।

इसमें कहा गया, ‘निर्यात को उच्च दायरे में रखने के लिए भारत को विश्व की बढ़ती अर्थव्यवस्था के अनुरूप नए बाजार तलाशने की जरूरत है। अभी तक भारत का द्विपक्षीय व्यापार औद्योगिक शक्तियों के साथ है। आने वाले समय में भारत का प्रमुख क्षेत्रों और देशों के साथ व्यापार बढ़ाएगा। ये प्रमुख क्षेत्र और देश ने केवल प्रमुख बाजार होंगे बल्कि प्रमुख आपूर्तिकर्ता भी होंगे। ये भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में भी मददगार होंगे।’

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विश्वजित धर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान द्विपक्षीय व्यापार में बढ़ते अधिशेष पर भी चर्चा हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘भारतीय मूल के लोगों के कारण बड़ा बाजार मिलता है। भारत के लिए इस बाजार में प्रवेश करना आसान है। उद्योग को सफलतापूर्वक कुछ और तलाशना चाहिए। हम वो कर रहे हैं जो उनके लिए फायदेमंद होगा।

व्यापार अधिशेष बढ़ने की स्थिति में अमेरिका में जोरदार ढंग से आवाज उठनी शुरू हो जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के दौरान भारत की अमेरिका से आयात बढ़ाने की अक्षमता पर भी चर्चा हो सकती है।’वित्त वर्ष 12 से वित्त वर्ष 23 के दौरान भारत की आयात बॉस्केट में अमेरिका की हिस्सेदारी 4.8 फीसदी से बढ़कर 7 फीसदी हुई।

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के मुख्य कार्याधिकारी व महानिदेशक अजय सहाय ने बताया कि उभरते क्षेत्रों दवा और औषधि, इलेक्ट्रॉनिक और कलपुर्जों और श्रम साध्य क्षेत्रों का निर्यात बढ़ा। इससे अमेरिका को होने वाले निर्यात को बढ़ावा मिला। उन्होंने बताया, ‘इसके बावजूद अमेरिका को होने वाले आयात में हमारी हिस्सेदारी केवल दो फीसदी है।

यह दर्शाता है कि हम अमेरिका में होने वाले प्रमुख आयात क्षेत्रों पर अपनी छाप नहीं छोड़ पाए हैं। हमें अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि अमेरिका की अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर आयात हो रहा है।

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार वित्त वर्ष 12 से वित्त वर्ष 23 के दौरान कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, एग्रोकेमिकल्स, लोहे व स्टील उत्पाद व अन्य में महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ी। धर के मुताबिक मुक्त व्यापार समझौते से अमेरिका की हिस्सेदारी बढ़ रही है और इससे भारत फायदा नहीं उठा पाया। उन्होंने कहा, ‘भारत ने दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के संघ (आसियान) के साथ मुक्त व्यापार समझौता (2009) किया।

लेकिन आसियान ने चीन के साथ भी व्यापार समझौता किया। हम आसियान देशों में चीन के निर्यात से मुकाबला नहीं कर पाए और हम मुक्त व्यापार समझौते के पहले के वर्षों की तुलना में अपना बाजार खो दिया। जब प्रोत्साहन आधारित प्रोत्साहन योजना से कुछ आमूलचूल बदलाव नहीं होता और हमें प्रतिस्पर्धी रूप से बढ़त नहीं मिलती, तब तक निर्यात के नए बाजार ढूंढ़ना कारगर सिद्ध नहीं होगा।’ साही ने भी स्वीकार किया कि हालिया मुक्त व्यापार समझौते से भारत को फायदा नहीं हुआ।

First Published - June 20, 2023 | 10:32 PM IST

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