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Indian Immigrants: अमेरिका में गुजराती 20.8% ज्यादा कमाते हैं, लेकिन पंजाबी को राजनीतिक बढ़त: रिपोर्ट

अध्ययन के अनुसार, पंजाबी शरणार्थियों की सफलता दर 63% रही, जबकि गुजराती मामलों में यह सिर्फ 25% थी।

Last Updated- March 14, 2025 | 3:05 PM IST
US

अमेरिका में शरण मांगने वाले भारतीयों में पंजाबी और गुजराती लोगों के बीच बड़ा अंतर देखा गया है। यह जानकारी अनऑथराइज्ड इंडियंस इन द यूनाइटेड स्टेट्स: ट्रेंड्स एंड डेवलपमेंट्स नाम की एक रिपोर्ट में दी गई है। स्टडी के अनुसार, 2001 से 2022 के बीच अमेरिकी इमिग्रेशन अदालतों में भारतीय शरण मामलों में 66% पंजाबी बोलने वाले थे, जबकि केवल 7% गुजराती थे। अमेरिका में शरण उन्हीं को मिलती है जो अपने देश में उत्पीड़न का सामना कर रहे होते हैं, न कि सिर्फ आर्थिक परेशानी झेल रहे लोगों को। इसी कारण, पंजाबी लोगों के दावों को ज्यादा गंभीरता से लिया जाता है, क्योंकि वे खालिस्तानी आंदोलन और भारत सरकार के साथ तनाव का हवाला देते हैं। दूसरी ओर, गुजराती शरणार्थी मुख्य रूप से आर्थिक कारणों से आ रहे हैं, जिससे उनके दावे कमजोर माने जाते हैं।

अध्ययन के अनुसार, पंजाबी शरणार्थियों की सफलता दर 63% रही, जबकि गुजराती मामलों में यह सिर्फ 25% थी। हिंदी बोलने वालों की शरण स्वीकृति दर 58% और अंग्रेजी बोलने वालों की मात्र 8% रही।

रिपोर्ट के अनुसार, फ्रीडम ऑफ इंफॉर्मेशन एक्ट (FOIA) के तहत जुटाए गए डेटा से पता चलता है कि 2001 से अब तक अमेरिका में शरण मांगने वाले भारतीयों में पंजाबी बोलने वाले सबसे बड़ी संख्या में रहे हैं।

आर्थिक स्थिति और अवैध प्रवास

अमेरिका में गुजराती प्रवासियों की औसत कमाई $58,000 है, जो पंजाबी प्रवासियों ($48,000) से ज्यादा है। लेकिन भारतीय भाषाएं बोलने वालों में उनकी आय दूसरी सबसे कम है, सिर्फ पंजाबी प्रवासियों से ज्यादा।

बुडिमान के मुताबिक, गुजराती और पंजाबी प्रवासियों में अवैध रूप से रहने वालों की संख्या ज्यादा हो सकती है। इसलिए, वे अच्छी तनख्वाह वाली नौकरियों में कम जा पाते हैं।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अवैध रूप से अमेरिका जाने में बहुत खर्चा आता है। लैटिन अमेरिका या कनाडा के रास्ते जाने का खर्च भारत की आमदनी से 30 से 100 गुना ज्यादा हो सकता है। ऐसे में ज्यादातर वही लोग यह कर पाते हैं, जो अपनी जमीन या संपत्ति बेचकर पैसे जुटाते हैं।

अमेरिका में सख्त हो रही नीति

अमेरिका में भारतीय शरणार्थियों की संख्या 2021 में 5,000 से बढ़कर 2023 में 51,000 हो गई। इसी दौरान, भारत से अमेरिका आने की कोशिश में पकड़े गए लोगों की संख्या भी 2020 में 1,000 से बढ़कर 2023 में 43,000 हो गई। नाल्ड ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति बनने के बाद, शरणार्थियों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उनकी सरकार ने CBP One ऐप बंद कर दिया है, जिससे शरण के लिए अपॉइंटमेंट लेना आसान था। करीब 3 लाख अपॉइंटमेंट रद्द कर दिए गए हैं। शेषज्ञों का मानना है कि सख्त नीतियों का असर गुजराती प्रवासियों पर ज्यादा पड़ेगा, क्योंकि उनके शरण के दावे कमजोर होते हैं। वहीं, पंजाबी लोगों को उत्पीड़न का हवाला देकर कुछ हद तक राहत मिल सकती है।

First Published - March 14, 2025 | 3:05 PM IST

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