Indian Economy Review: वित्त वर्ष 2025 में देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7 फीसदी के करीब रहने का अनुमान है। वित्त मंत्रालय ने भारतीय अर्थव्यवस्था की आज जारी समीक्षा रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है। इससे उत्साहित सरकार ने कहा है कि कोविड महामारी के बाद लागतार चौथा साल होगा जब देश की अर्थव्यवस्था 7 फीसदी या इससे अधिक रफ्तार से बढ़ेगी।
‘भारतीय अर्थव्यवस्था: समीक्षा’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में वित्त मंत्रालय ने कहा है, ‘इसकी काफी संभावना है कि देश की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 7 फीसदी या इससे अधिक की वृद्धि दर्ज करेगी और कुछ का अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष में भी वास्तविक वृद्धि दर 7 फीसदी रह सकती है। अगर वित्त वर्ष 2025 के लिए अनुमान सही साबित होता है तो महामारी के बाद यह लगातार चौथा साल होगा जब भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7 फीसदी या इससे अधिक रहेगी। यह बड़ी उपलब्धि होगी जो भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और क्षमता का प्रमाण है। यह आगे के लिए भी अच्छा संकेत है।’
मगर वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह रिपोर्ट आर्थिक समीक्षा नहीं है। आर्थिक समीक्षा आम चुनावों के बाद पूर्ण बजट से पहले पेश की जाएगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2025 के लिए अंतरिम बजट पेश करेंगी। अपने पहले अग्रिम अनुमान में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने वित्त वर्ष 2024 में देश की अर्थव्यवस्था 7.3 फीसदी बढ़ने का अनुमान लगाया था, जो विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के अनुमान से ज्यादा है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन के नेतृत्व में अर्थशास्त्रियों के एक समूह द्वारा तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय क्षेत्र की मजबूती और अन्य हालिया तथा भावी संरचनात्मक सुधारों से 2030 तक वृद्धि दर 7 फीसदी से ऊपर रहने की काफी संभावना है।
रिपोर्ट कहती है, ‘भू-राजनीतिक संघर्ष के कारण बढ़ा जोखिम ही चिंता की बात है। निर्यात के बल पर ही वृद्धि की राह आसान नहीं होगी। भारत को अपनी बढ़त वाले क्षेत्रों में बाजार हिस्सेदारी बनाए रखने और बढ़ाने के लिए लॉजिस्टिक्स लागत कम करने तथा उत्पाद की गुणवत्ता सुधारने के लिए निवेश करने की जरूरत है।’
रिपोर्ट के अनुसार भारत को अपनी बढ़त वाले क्षेत्रों में बाजार हिस्सेदारी को बनाए रखने और उसे बढ़ाने के लिए लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने और उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार के लिए निवेश करने की जरूरत है।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले वर्षों में अर्थव्यवस्था को मुख्य तौर पर तीन प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इनमें वैश्विक व्यापार की सुस्त रफ्तार, सेवाओं के व्यापार पर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का प्रभाव और ऊर्जा में परिवर्तन।
नागेश्वरन ने रिपोर्ट में लिखा है, ‘ पिछले एक दशक के दौरान लागू की गई नीतियों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था इन तीनों चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए सबसे बेहतर स्थिति में है।’
रिपोर्ट में भविष्य के सुधार के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को उजागर किया गया है। इनमें कौशल, लर्निंग आउटकम, स्वास्थ्य, ऊर्जा सुरक्षा, एमएसएमई के लिए अनुपालन बोझ को कम करना और श्रम बल में स्त्री-पुरुष अनुपात को संतुलित करना शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले तीन साल में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकती है। इस दौरान देश का जीडीपी 5 लाख करोड़ डॉलर हो जाएगा जो अगले छह से सात वर्षों में यानी 2030 तक 7 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है।