भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष संजीव पुरी ने नई दिल्ली में रुचिका चित्रवंशी के साथ बातचीत में कहा कि भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) ने भविष्य के सौदों के लिए एक खाका तैयार किया है। उन्होंने कहा कि इससे भारत के लिए वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखला बनाने के अवसर पैदा होंगे। प्रमुख अंश:
वित्त वर्ष 2026 में वृद्धि का परिदृश्य कैसा रहेगा?
चीन सहित विश्व के तमाम देशों में आर्थिक वृद्धि दर कमजोर है। अच्छी खबर यह है कि भारत की नींव बहुत मजबूत है। भारत की अर्थव्यवस्था लचीली है। खाद्य महंगाई की स्थिति अब बेहतर है और मौसम भी बेहतर रहने का अनुमान है। उम्मीद है कि खाद्य महंगाई और नियंत्रण में आएगी। व्यक्तिगत आयकर से छूट दी गई है। निवेश में तेजी का सभी को लाभ मिलेगा। जहां तक निजी निवेश का सवाल है, कोविड के पहले की तुलना में घोषणाएं अधिक हुई हैं। भू-अर्थशास्त्र और भू-राजनीति अनिश्चित विषय हैं। मौसम के संकेत अच्छे हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन भी हकीकत है।अगली कुछ तिमाहियों में स्थिति बेहतर होने की संभावना है।
भारत-पाकिस्तान टकराव पर उद्योग का क्या रुख है? क्या आपको लगता है कि वैश्विक भू राजनीतिक अनिश्चितता के बीच एक और अनिश्चितता आई है और इसका निजी निवेश पर असर होगा?
राष्ट्रीय सुरक्षा शीर्ष प्राथमिकता है। बाकी चीजें उसके बाद आती हैं। हम भारत व पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का स्वागत करते हैं और हाल की शत्रुतापूर्ण घटनाओं पर भारत सरकार की प्रभावशाली तथा संतुलित कूटनीतिक और सुरक्षा प्रतिक्रिया की सराहना करते हैं। प्रधानमंत्री ने देश की सुरक्षा को देखते हुए तेज, निर्णायक और जिम्मेदारी भरे कदम उठाए हैं और संदेश दिया है कि आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा तथा उससे सख्ती से निपटा जाएगा।
भारत ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर आपकी क्या राय है?
साफ तौर पर यह ऐतिहासिक समझौता है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब भारत ने इस तरह का समग्र समझौता किया है, जिसमें 99 प्रतिशत शुल्क शामिल हैं। इस हिसाब से यह बहुत शानदार है या कहें कि भविष्य के समझौतों के लिए एक खाका है। इसका महत्त्व इसलिए भी है क्योंकि यह विश्व की पांचवीं और छठी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच समझौता हुआ है। बड़ी भूमिका निभाने के लिए हमें वैश्विक मूल्य श्रृंखला से जुड़ना होगा। इस तरह के एफटीए इसकी राह बनाते हैं। हमें वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखला बनाने के अवसर तलाशने चाहिए। विश्व इस समय लचीली आपूर्ति श्रृंखला तलाश रहा है। इसका दायरा बढ़ाने से हमें अर्थव्यवस्था में मूल्यवर्द्धन का मौका मिलेगा।
सेवाओं के मामले में भारत अब अन्य देशों के बराबर है। दूसरे, कृषि पर शुल्क दरें अभी खुली हैं। इससे वैश्विक मूल्य श्रृंखला के हिसाब से एमएसएमई के लिए संभावनाएं बनेंगी।
भारत ने एफटीए के तहत वाहन शुल्क चरणबद्ध तरीके से 100 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने पर सहमति जताई है। क्या इससे घरेलू वाहन उद्योग पर बुरा असर पड़ेगा?
इस पर विस्तार से अभी कुछ नहीं पता है, इसलिए कुछ कहना कठिन है। समझौते काफी परामर्श के बाद हुए हैं। ऐसे में मुझे लगता है कि सभी पहलुओं को ध्यान में रखा गया है। परिधान एक क्षेत्र है, जिसे लाभ होने की संभावना है क्योंकि हम बांग्लादेश और वियतनाम के बराबर आ गए हैं।
ट्रंप सरकार के शुल्क से भारतीय उद्योग किस तरीके से निपट रहा है?
भारत ने जिस तरह से स्थिति संभाली है, वह सराहीय है। समझौते पर जिस तेजी से काम चल रहा है, जल्द कुछ हो सकता है। स्थिति बेहतर तरीके से संभाली गई है। हमें लगता है कि नई वैश्विक व्यवस्था, जिसे अर्थशास्त्री अव्यवस्था कह रहे हैं, में एफटीए या द्विपक्षीय समझौते ही आगे बढ़ने की राह सुनिश्चित करेंगे। भारत इनके जरिये वैश्विक मूल्य श्रृंखला में शामिल हो सकेगा। वैश्विक व्यापार का 70 प्रतिशत वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में होता है।
आज दुनिया को लचीली आपूर्ति श्रृंखला की जरूरत है। द्विपक्षीय व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर करने के मामले में भारत बेहतर स्थिति में है, जो आपसी लाभ वाला होगा। कारोबार के लिए अनिश्चितता अच्छी नहीं होती, लेकिन मेरे हिसाब से यह अस्थायी है।
समझौते में भारत को किस चीज पर जोर देना चाहिए?
हमने देखा है कि ब्रिटेन के साथ समझौते में ही 90 प्रतिशत शुल्क दरें शामिल हैं। मुझे उम्मीद है कि अन्य द्विपक्षीय व्यापार समझौतों में भी शुल्क को व्यापक तरीके से शामिल किया जाएगा।
शहरी और ग्रामीण मांग की स्थिति को आप किस रूप में देख रहे हैं?
अगली दो तिमाहियों में शहरी मांग में धीरे-धीरे सुधार होने की संभावना है। कृषि आय बढ़ने पर ग्रामीण मांग भी बेहतर होगी। शहरी मांग के हिसाब से यह अच्छा है कि ब्याज दरें घट रही हैं, खाद्य महंगाई कम हुई है और व्यक्तिगत आयकर कम हुआ है।
निवेश के लाभ कभी-कभी देरी से और कुछ नकारात्मक जोखिम के साथ आते हैं। चीन द्वारा भारत में अपना माल पाटे जाने से भारतीय निर्माताओं के लिए निर्यात के अवसर प्रभावित होंगे।
क्या आपको लगता है कि उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली सामग्री, सेवा महंगी होने से कीमत बढ़ेगी?
हमारे हिसाब से इसका असर कम ही होगा।