भारत तेजी से स्मार्टफोन निर्यात का एक बड़ा केंद्र बनता जा रहा है। न्यूज वेबसाइट द इंडियन एक्सप्रेस की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 की पहली छमाही में भारत ने अमेरिका को 36 फीसदी स्मार्टफोन निर्यात किए, जो पिछले साल के 11 फीसदी से काफी ज्यादा है। इस उछाल का सबसे बड़ा कारण है Apple का भारत में बढ़ता प्रोडक्शन और सरकार की नीतियां, जिन्होंने विदेशी कंपनियों को भारत में कारखाने लगाने के लिए प्रोत्साहित किया है।
इसके अलावा, चीन के साथ बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव ने भी कंपनियों को भारत की ओर रुख करने के लिए मजबूर किया है। जनवरी से मई 2025 तक भारत ने अमेरिका को 2.13 करोड़ स्मार्टफोन भेजे, जो पिछले साल की तुलना में तीन गुना ज्यादा है। इन स्मार्टफोन्स की कीमत 9.35 बिलियन डॉलर रही, जो 2024 के पूरे साल के आंकड़े को पार कर गई। इस दौरान भारत से स्मार्टफोन निर्यात में 182 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। आज स्मार्टफोन भारत का अमेरिका को सबसे बड़ा निर्यात होने वाला उत्पाद बन गया है।
दूसरी ओर, चीन का अमेरिका में स्मार्टफोन निर्यात तेजी से घटा है। 2025 के पहले पांच महीनों में चीन से अमेरिका को स्मार्टफोन शिपमेंट 27 फीसदी कम होकर 2.94 करोड़ यूनिट रह गया, जिसकी कीमत करीब 10 बिलियन डॉलर थी। पिछले साल की शुरुआत में जहां चीन की हिस्सेदारी 82 फीसदी थी, वह अब घटकर 49 फीसदी रह गई है। वियतनाम 14 फीसदी हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर है, जिसने 83 लाख यूनिट्स भेजे।
चीन के निर्माता अपनी हिस्सेदारी बचाने के लिए कीमतों में भारी कटौती कर रहे हैं। चीन के कस्टम्स डेटा के अनुसार, जून 2025 में अमेरिका को निर्यात किए गए स्मार्टफोन्स की औसत कीमत पिछले साल की तुलना में 45 फीसदी कम थी। यह कटौती तब हुई, जब बीजिंग और वाशिंगटन के बीच 90 दिन की व्यापारिक शांति चल रही थी। फिर भी, चीनी सामानों पर औसतन 30 फीसदी और स्मार्टफोन्स पर 20 फीसदी टैरिफ लागू है। जून में चीन से स्मार्टफोन शिपमेंट 71 फीसदी गिरा, और अप्रैल में Apple आईफोन सहित दूसरे डिवाइस का निर्यात 72 फीसदी घटकर 70 करोड़ डॉलर से नीचे चला गया, जो 2011 के बाद सबसे कम है।
Apple ने भारत में अपना प्रोडक्शन तेज कर दिया है। 2020 में पुराने मॉडलों से शुरुआत करने वाली कंपनी अब फॉक्सकॉन जैसे अपने पार्टनर्स के साथ पूरे आईफोन रेंज का प्रोडक्शन भारत में कर रही है। वैश्विक स्तर पर Apple के 20 फीसदी आईफोन अब भारत में बन रहे हैं। मई में फॉक्सकॉन ने तमिलनाडु में प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए अपनी भारतीय इकाई, युझान टेक्नोलॉजीज में 1.49 बिलियन डॉलर का निवेश किया। भारत की सप्लाई चेन अभी चीन से छोटी है, लेकिन तेजी से बढ़ रही है। 2023 में जहां Apple के 14 भारतीय सप्लायर थे, 2025 में यह संख्या 64 हो गई, जबकि चीन में यह 157 है।
भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर भी तेजी से उभर रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2014-15 में जहां केवल दो मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट थीं, 2024-25 में यह बढ़कर 300 हो गईं। मोबाइल फोन प्रोडक्शन 28 गुना बढ़कर 5.45 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, और निर्यात 127 गुना बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये हो गया। इस सेक्टर में 2021 से अब तक 4 बिलियन डॉलर से ज्यादा का विदेशी निवेश आया, जिसमें से 2.8 बिलियन डॉलर प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के तहत आए।
हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने भारत में बने आईफोन्स पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी दी है, ताकि इसे दोबारा अमेरिका में बनाया जाए। फिर भी, Apple और उसके साझेदार भारत को लंबे समय के लिए मैन्युफैक्चरिंग बेस के रूप में देख रहे हैं।