एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने बुधवार को कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधार और सरकार द्वारा खर्च बढ़ाए जाने के कारण सितंबर तिमाही और उसके बाद भारत की वृद्धि दर गति पकड़ेगी। एडीबी ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान 7 प्रतिशत बरकरार रखा है।
वहीं ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकनॉमिक कोऑपरेशन ऐंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) ने वित्त वर्ष 2024 के लिए भारत की वृद्धि का अनुमान 10 आधार अंक बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है। सितंबर के अपने एशियाई विकास परिदृश्य (एडीओ) में एडीबी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 में निर्यात पूर्व के अनुमान से अधिक रहेगा, जिसका श्रेय सेवाओं के निर्यात में वृद्धि को जाता है।
हालांकि, अगले वित्त वर्ष 2025-26 में वस्तु निर्यात वृद्धि अपेक्षाकृत धीमी रहेगी। एडीबी ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2024-25 (31 मार्च, 2025 को समाप्त वर्ष) में जीडीपी वृद्धि 7 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2025-26 में 7.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। दोनों ही अनुमान अप्रैल, 2024 के समान हैं। साथ ही भारत की वृद्धि संभावनाएं मजबूत बनी हुई हैं।’
भारतीय अर्थव्यवस्था गत वित्त वर्ष 2023-24 में 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है। इसमें कहा गया, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि धीमी होकर 6.7 प्रतिशत रह गई, लेकिन कृषि क्षेत्र में सुधार तथा उद्योग व सेवाओं के लिए काफी हद तक मजबूत परिदृश्य से आने वाली तिमाहियों में इसमें तेजी आने की उम्मीद है।
एडीबी के भारत के निदेशक मियो ओका ने कहा, ‘भारत की अर्थव्यवस्था ने वैश्विक भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच उल्लेखनीय जुझारू क्षमता दिखाई है और यह स्थिर वृद्धि के लिए तैयार है।’ ओईसीडी ने अपने अंतरिम रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि वैश्विक जीडीपी वृद्धि 2024 और 2025 में स्थिर होकर 3.2 प्रतिशत रहेगी और आगे चलकर अवस्फीति, वास्तविक आय में सुधार और ज्यादातर देशों में कम प्रतिबंधात्मक मौद्रिक नीति रहेगी, जिसकी वजह से मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी। बहरहाल इसने चेतावनी दी है कि मौजूदा भूराजनीतिक और व्यापारिक तनावों के कारण निवेश पर बुरा असर पड़ सकता है और आयात मूल्य बढ़ सकता है।
इसमें कहा गया है, ‘श्रम बाजार सुस्त होने से वृद्धि दर अपेक्षा से अधिक धीमी हो सकती है। अवस्फीति के कारण वित्तीय बाजारों में व्यवधान पैदा हो सकता है। वहीं अगर सकारात्मक पक्ष देखें तो वास्तविक आमदनी में बढ़ोतरी से ग्राहकों का आत्मविश्वास और व्यय में मजबूती आएगी।