अमेरिका द्वारा 26 प्रतिशत जवाबी शुल्क लगाए जाने से भारत के निर्यात में 5.76 अरब डॉलर की कमी आ सकती है। यह 2025 में अमेरिका को हुए कुल निर्यात की तुलना में 6.41 प्रतिशत कम होगा। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) ने सोमवार को यह कहा।
यह संकुचन मछली और क्रश्टेशियन के निर्यात में कमी के कारण होगा, जिसका निर्यात 20 प्रतिशत तक गिर सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक स्टील और लोहे के निर्यात में 18 प्रतिशत, हीरे, सोने और संबंधित उत्पादों का निर्यात 15.3 प्रतिशत, वाहनों व कल पुर्जों का निर्यात 12.1 प्रतिशत, इलेक्ट्रिकल, टेलीकॉम और इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का निर्यात 12 प्रतिशत गिर सकता है। 2024 में भारत ने अमेरिका को 89.81 अरब डॉलर के वस्तु का निर्यात किया था।
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए नया जवाबी कर लगाया, जिससे अब तक लगने वाले कर के अलावा अतिरिक्त कर लग गया है। यह विभिन्न देशों के लिए 10 प्रतिशत से लेकर 50 प्रतिशत तक है। 10 प्रतिशत बुनियादी शुल्क शनिवार से लागू हो गया, तथा अलग अलग देशों पर लगने वाला अतिरिक्त शुल्क 9 अप्रैल से लागू हो जाएंगे।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल भी अमेरिका द्वारा लगाए गए जवाबी शुल्क के कारण भारतीय निर्यातकों के समक्ष आने वाली समस्याओं का जायजा लेने के लिए उद्योग और निर्यातकों से मुलाकात करेंगे। निर्यात में संभावित कमी वाले अन्य क्षेत्रों में प्लास्टिक (9.4 प्रतिशत), कार्पेट (6.3 प्रतिशत), पेट्रोलियम उत्पाद (5.2 प्रतिशत), कार्बनिक रसायन (2.2 प्रतिशत) और मशीनरी (2 प्रतिशत) शामिल हैं, जिन पर बुरा असर पड़ सकता है।
हालांकि भारत कुछ चुनिंदा उत्पाद क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी स्थिति में है, जिससे नुकसान की भरपाई संभव है। टेक्सटाइल, मेड-अप, अपैरल, सिरैमिक उत्पादों, अकार्बनिक रसायन और औषधि क्षेत्र में निर्यात बढ़ने की संभावना है।
पेट्रोलियम, सोलर पैनल और फार्मास्यूटिकल्स जैसे कुछ उत्पाद श्रेणियों को जवाबी कर से मुक्त रखा गया है। अमेरिका को होने वाले भारत के कुल निर्यात में इनकी हिस्सेदारी 22.7 प्रतिशत या 20.4 अरब डॉलर है।
इसी तरह से अमेरिका ने स्टील, एल्युमीनियम, वाहनों और उनके कल पुर्जों पर पहले ही 25 प्रतिशत अतिरिक्त कर लगा रखा है। इन वस्तुओं का 2.2 अरब डॉलर का निर्यात होता है, जो अमेरिका को होने वाले कुल निर्यात का 2.5 प्रतिशत है।