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Moody’s ने भारत की Baa3 रेटिंग स्थिर रखी, मजबूत अर्थव्यवस्था और बाहरी स्थिति बनी सहारा

मूडीज ने भारत की बीएए-3 रेटिंग स्थिर रखी, राजकोषीय समेकन और मजबूत अर्थव्यवस्था ने निवेश आकर्षण में बाधाओं के बावजूद लचीलापन बनाए रखा

Last Updated- September 29, 2025 | 9:46 PM IST
Moody's
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने सोमवार को भारत के लिए स्थिर दृष्टिकोण के साथ अपनी सबसे कम बीएए-3 रेटिंग की पुष्टि की है। एजेंसी ने कहा कि विपरीत बाहरी रुझानों के कारण विनिवेश के क्षेत्र में भारत को निवेश आकर्षित करने में व्यवधान आ रहा है, वहीं ‘तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और मजबूत बाहरी स्थिति’ के कारण भारत को लचीलापन मिल रहा है।

 मूडीज ने कहा, ‘रेटिंग की पुष्टि और स्थिर दृष्टिकोण हमारे इस विचार को दर्शाता है कि भारत में क्रेडिट की मजबूती बनी हुई है। साथ ही यह बड़ी, तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, जिसकी बाहरी स्थिति मजबूत होने के साथ राजकोषीय घाटे के हिसाब से घरेलू वित्तपोषण का आधार मजबूत है।  इसकी वजह से प्रतिकूल बाहरी रुझानों के प्रति लचीलापन मिल रहा है। खासकर ऐसे समय में घरेलू मजबूती से भारत को मजबूती मिल रही है, जब उच्च अमेरिकी शुल्क और अन्य अंतरराष्ट्रीय नीतिगत उपायों की वजह से भारत की विनिर्माण में निवेश आकर्षित करने की क्षमता बाधित हो रही है।’

मूडीज की यह रिपोर्ट फिच रेटिंग्स की रिपोर्ट के एक महीने बाद आई है। फिच ने भारत के लिए अपनी सॉवरिन रेटिंग को अपने सबसे निचले निवेश ग्रेड स्तर (बीबीबी माइनस) को बरकरार रखा था। इससे पहले एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत की रेटिंग बीबीबी माइनस से बढ़ाकर बीबीबी कर दी थी, जो 18 साल में पहली बार 14 अगस्त को किया गया था।

 रेटिंग एजेंसी ने यह भी उल्लेख किया है कि भारत की ऋण की मजबूती को राजकोषीय हिसाब से लंबे समय से चली आ रही कमजोरियों को दुरुस्त करके संतुलित किया गया है और यह स्थिति बने रहने की उम्मीद है।

 मूडीज ने कहा, ‘मजबूत जीडीपी वृद्धि और धीरे धीरे राजकोषीय समेकन से सरकार के उच्च ऋण के बोझ में क्रमिक गिरावट आएगी और ऋण भुगतान की कमजोर क्षमता में सुधार के लिए यह पर्याप्त नहीं होगा। खासकर ऐसी स्थिति में, जब निजी खपत बढ़ाने के लिए सरकार ने राजकोषीय उपाय किए हैं, जिससे राजस्व पर बोझ पड़ा है।’

सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपने राजकोषीय घाटे को 15.69 लाख करोड़  रुपये आंका है, जो जीडीपी का 4.4 प्रतिशत है।

इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार ने राजकोषीय घाटे को कम करके 4.5 प्रतिशत लाने का लक्ष्य रखा है। यह ऐसा लक्ष्य है, जो 2021 से राजकोषीय नीति के मुताबिक है। इसके बावजूद सामान्य सरकारी स्तर पर बड़े घाटे का समेकन धीमा रहा है, भले ही तेज वृद्धि से राजस्व बढ़ा है और 2022 में महामारी से बाहर निकलने के बाद खर्च का दबाव कम हुआ है।

 रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘सरकार का राजकोषीय समेकन का एक लंबा ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। लेकिन हाल के नीतिगत उपायों से पता चलता है कि व्यापक वैश्विक आर्थिक वातावरण को देखते हुए सरकार ने रुख बदलने के संकेत दिए हैं। 

निजी खपत को बढ़ाने के लिए सरकार ने आयकर छूट दी। साथ ही जीएसटी दरें कम करने की घोषणा की। इससे कर संग्रह का आधार घटा है और इसकी वजह से सरकार के राजस्व को नुकसान होगा और ऋण वहनीयता में संभावित सुधारों में कमी आएगी।’ इसके बावजूद एजेंसी को उम्मीद है कि सरकार अगले दशक में धीरे-धीरे ऋण कम करने के अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध रहेगी। इस वजह से भारत के महामारी से उबरने के बाद राजकोषीय समेकन को लेकर किसी भारी बदलाव का जोखिम बहुत सीमित है।

First Published - September 29, 2025 | 9:41 PM IST

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