भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मुद्रास्फीति में नरमी और वृद्धि के बेहतर परिदृश्य को देखते हुए लगातार दूसरी समीक्षा बैठक में रीपो दर पर यथास्थिति बनाए रखने का आज निर्णय किया। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने मुख्य मुद्रास्फीति को 4 फीसदी पर लाने के अपने प्राथमिक लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है, जिसे पिछले तीन वर्षों में कोविड-19 महामारी और यूरोप में युद्ध जैसे लगातार झटकों के कारण ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।
रिजर्व बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया और बैंक ऑफ कनाडा द्वारा दरों में इजाफा किए जाने के बावजूद आरबीआई ने लगातार दूसरी बार दर वृद्धि पर विराम लगाया है। आरबीआई ने अप्रैल में दर वृद्धि विराम लगाने से पहले मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रीपो दर में 250 आधार अंक का इजाफा कर 6.5 फीसदी कर दिया था। हालांकि आरबीआई ने जोर दिया था कि इसे दर वृद्धि पर रोक नहीं बल्कि विराम माना जाना चाहिए।
एमपीसी के सभी 6 सदस्यों ने रीपो दर को 6.5 फीसदी पर बनाए रखने पर सहमति जताई लेकिन बाहरी सदस्य जयंत वर्मा के मौद्रिक नीति के रुख को लेकर अलग विचार थे। आरबीआई ने मुद्रास्फीति को लक्ष्य के अनुरूप बनाए रखने और वृद्धि को सहारा देने के लिए अपने समायोजन वाले रुख को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखा है।
मॉनसून परिदृश्य और अल नीनो को लेकर अनिश्चितता के बीच मुद्रास्फीति पर नजर बनाए रखने पर जोर देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘मार्च-अप्रैल 2023 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 2022-23 के 6.7 फीसदी से घटकर वहनीय दायरे में आ गई है। हालांकि मुख्य मुद्रास्फीति अभी भी लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है और 2023-24 के हमारे अनुमान के अनुसार इसके ऊपर बने रहने की आशंका है।’
उन्होंने कहा, ‘एमपीसी मुद्रास्फीति को कर लक्ष्य के दायरे में लाने के लिए तुरंत और उचित रूप से आगे की मौद्रिक कार्रवाई करेगी।’ हालांकि केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2024 के लिए मुद्रास्फीति के लक्ष्य को 5.2 फीसदी से मामूली घटाकर 5.1 फीसदी कर दिया है।
आरबीआई के सतर्क रुख को देखते हुए 10 वर्षीय बेंचमार्क प्रतिभूतियों का रिटर्न 4 आधार अंक बढ़कर 7.02 फीसदी पर पहुंच गया।
केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2024 के लिए वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है।
दास ने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष में परिवारों की खपत तथा निवेश गतिविधियों में सुधार से घरेलू मांग की स्थिति वृद्धि को सहारा देने वाली बनी हुई है। ग्रामीण मांग में भी सुधार देखी जा रही है। अप्रैल में मोटरसाइकिलों और तिपहियों की बिक्री में अच्छी वृद्धि हुई है लेकिन ट्रैक्टरों की बिक्री में नरमी बनी हुई है।’तरलता की स्थिति पर दास ने कहा कि आरबीआई अपने तरलता प्रबंधन में कुशलता दिखाएगा। बैंकों द्वारा अधिशेष धन को वैरिएबल रिवर्स रीपो नीलामी में रखने से परहेज करने के बारे में पूछे जाने पर डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि इस महीने के मध्य में अग्रिम कर का भुगतान किया जाना है, जिसकी वजह से बैंकिंग तंत्र से नकदी निकल सकती है।
दास ने कहा कि हालिया वीआरआरआर नीलामी में बैंकिंग तंत्र से 1.5 लाख करोड़ रुपये की नकदी खींची गई है। आरबीआई के कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नोमुरा के भारत में अर्थशास्त्री अरुदीप नंदी ने कहा, ‘आरबीआई गवर्नर वृद्धि को लेकर आश्वस्त हैं और मुद्रास्फीति पर उकना सतर्क रुख है। हालांकि हमारा वृहद दृष्टिकोण है कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष के लिए अपने वृद्धि और मुद्रास्फीति दोनों के अनुमान को कम कर सकता है।’ आरबीआईके सतर्क रुख से संकेत मिलता है कि दर में फिलहाल कटौती की उम्मीद नहीं है।
भारतीय स्टेट बैंक में समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा, ‘मुद्रास्फीति को 4 फीसदी पर लाने पर जोर देना बाजार की आकांक्षा के अनुरूप हैञ लेकिन दर में निकट भविष्य में कटौती की संभावना नहीं है। हमारा मानना है कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में दर में पहली कटौती की जा सकती है। उस समय रीपो दर 25 आधार अंक से ज्यादा घटाया जा सकता है।’ एचडीएफसी बैंक के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि आरबीआई ने मुद्रास्फीति को 4 फीसदी पर रखने पर जोर दिया है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि केंद्रीय बैंक उस समय तक दरों को मौजूदा स्तर पर बनाए रखेगा।
एचडीएफसी बैंक ने कहा, ‘इसका यह मतलब नहीं है कि आरबीआई मुद्रास्फीति के 4 फीसदी पर आने तक दर को मौजूदा स्तर पर बनाए रखेगा।