चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के जीडीपी वृद्धि (GDP growth) अनुमान में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा की गई कटौती के बाद भारतीय रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बहुपक्षीय संस्था के अनुमान में संभवत: कोई त्रुटि हुई होगी क्योंकि वृद्धि के मोर्चे पर प्रदर्शन कहीं बेहतर हो सकता है। IMF ने भारत के लिए GDP ग्रोथ अनुमान को 6.1 फीसदी से घटाकर 5.9 फीसदी कर दिया है।
मौद्रिक नीति के प्रभारी RBI के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्र एवं अन्य अधिकारियों द्वारा तैयार अप्रैल के लिए अर्थव्यवस्था की स्थिति की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हालांकि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी लेकिन अधिकतर हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि बहुपक्षीय संस्था, खासकर IMF के पूर्वानुमान में कोई त्रुटि हो सकती है क्योंकि वास्तविक परिणाम उन्हें सकारात्मक रूप से अचंभित कर सकते हैं।’
RBI ने कहा है कि इस रिपोर्ट में व्यक्त किए गए विचार लेखकों के निजी हैं, न कि केंद्रीय बैंक के।
RBI ने अप्रैल की अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में वित्त वर्ष 2024 के लिए जीडीपी अनुमान को 6.4 फीसदी से बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया था। कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में नरमी के आसार को देखते हुए ऐसा किया था। मौद्रिक नीति समिति ने अप्रैल की बैठक में नीतिगत ब्याज दर को अपरिवर्तित रखा था। हालांकि RBI ने कहा था कि मुद्रास्फीति पर उसकी नजर बरकरार है। इससे पहले मई 2022 और फरवरी 2023 के बीच दरों में 250 आधार अंकों की वृद्धि की गई थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुपक्षीय संस्थानों ने खपत की रफ्तार सुस्त पड़ने और बाहरी चुनौतियों को देखते हुए 2023-24 के लिए भारत की वास्तविक GDP ग्रोथ के अपने पिछले अनुमानों में कटौती की थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से उभरती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो सकता है। वैश्विक वृद्धि में इसका योगदान करीब 15 फीसदी होगा जो दूसरा सबसे बड़ा योगदान है। यह अमेरिका और यूरोपीय संघ के एकीकृत योगदान से भी अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी खपत में हो रही दमदार वृद्धि के साथ भारत में कुल मांग परिदृश्य मजबूत है।
दूसरी ओर, ग्रामीण मांग परिदृश्य में भी तेजी से सुधार हो रहा है। इसे रबी की पैदावार बंपर रहने की उम्मीदों से रफ्तार मिल रही है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण खड़ी फसल को हुए नुकसान में कमी दिख रही है।’
रिपोर्ट में अल नीनो के जोखिम को उजागर किया गया है लेकिन यह भी कहा गया है कि इंडियन ओशन डायपोल (IOD) फिलहाल स्थिर है और आगे उसमें सुधार होने के आसार हैं।
रिपोर्ट में निवेश गतिविधियों में जबरदस्त तेजी, बुनियादी ढांचे में निवेश पर राजकोषीय जोर और प्रमुख क्षेत्रों के कॉरपोरेट निवेश में सुधार का भी उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2022-23 में वस्तु निर्यात 6 फीसदी बढ़ गया जबकि सेवा निर्यात में भी तेजी बरकरार है।